अनिल जोशी द्वारा की गई प्रोमोशनें नवजोत सिद्धू के निशाने पर

Edited By Updated: 21 Apr, 2017 08:25 AM

anil joshi  s promotion on the target of navjot sidhu

वैसे तो कहा जाता है कि वक्त बदलते देर नहीं लगती, परंतु कुछ ही महीनों के भीतर पंजाब के दो कद्दावर राजनीतिज्ञों के समय में भारी आपसी उलटफेर हुआ है।

जालंधर  (खुराना): वैसे तो कहा जाता है कि वक्त बदलते देर नहीं लगती, परंतु कुछ ही महीनों के भीतर पंजाब के दो कद्दावर राजनीतिज्ञों के समय में भारी आपसी उलटफेर हुआ है। कुछ समय पहले अकाली-भाजपा सरकार के दौरान लोकल बाडीज मंत्री अनिल जोशी काफी पावरफुल थे और उन्होंने, बादल परिवार तथा भाजपा नेतृत्व ने उस समय के भाजपा नेता नवजोत सिद्धू की एक न चलने दी परंतु वक्त ने करवट ली, पंजाब में अकाली-भाजपा का लगभग सफाया हुआ और मंत्री अनिल जोशी भी अपनी सीट न बचा सके। साथ ही साथ उपेक्षा के दौर से गुजर रहे नवजोत सिद्धू कांग्रेस में शामिल होकर न केवल जोर-शोर से जीते बल्कि उन्हें अनिल जोशी वाले मंत्रालय से ही नवाजा गया। 


इस प्रकार कुछ माह पहले जहां पूरे पंजाब में अनिल जोशी का सिक्का चला करता था, वहीं आज जोशी कहीं दिखाई नहीं दे रहे और नवजोत सिद्धू हर ओर छाए हुए हैं। अनिल जोशी ने पंजाब चुनावों के उपलक्ष्य में कोड आफ कंडक्ट लगने के चंद दिन पहले लोकल बाडीज विभाग में भारी उलटफेर किए और थोक के भाव में अधिकारियों व कर्मचारियों को प्रोमोशन लैटर बांटे। अब यह सभी प्रोमोशनें नवजोत सिद्धू के निशाने पर आ गई हैं। गत दिवस श्री सिद्धू ने लोकल बाडीज के चीफ विजीलैंस आफिसर अनिल कांसल को पदमुक्त कर दिया और राज्य के चीफ टाऊन प्लानर हेमंत बत्तरा को डिमोट करके दोबारा एस.टी.पी. बना दिया। श्री कांसल के बारे में कांग्रेस का मत है कि लोकल बाडीज के सी.वी.ओ. रहते उन्होंने ज्यादातर शिकायतों को दबाया और राजनीतिक आकाओं का पूरा ख्याल रखा। हेमंत बत्तरा के बारे में कहा जाता है कि उनकी पदोन्नति के चलते बराड़ व भाटिया जैसे उच्चाधिकारियों की वरिष्ठता सूची को इग्नोर किया गया। 


लोकल बाडीज से जुड़े सूत्र बताते हैं कि कोड आफ कंडक्ट लगने से चंद दिन पहले अनिल जोशी ने जो अधिकारी पदोन्नत किए उनमें कइयों के मामले में नियमों की अनदेखी की गई और वरिष्ठता को दरकिनार करके जूनियर अधिकारियों को उनके ऊपर लगा दिया गया। ऐसा करते समय बार-बार ‘जनहित’ शब्द का हवाला दिया गया। अब नवजोत सिद्धू ने अनिल जोशी द्वारा अंतिम समय में लिए गए ज्यादातर फैसलों को खंगालना शुरू कर दिया है और कांसल तथा हेमंत बत्तरा पर हुई कार्रवाई को इस कड़ी की शुरूआत बताया जा रहा है, जिस कारण पूरे पंजाब में चर्चा है कि नवम्बर-दिसम्बर 2016 में पदोन्नतियां पाने वाले कई अधिकारियों को अब निराशा का मुंह देखना पड़ सकता है और उनकी डिमोशन तक के आर्डर भी आ सकते हैं। 

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