Edited By Punjab Kesari,Updated: 06 Nov, 2017 12:39 AM
उत्तराखंड में साल 2013 की प्राकृतिक आपदा से सबक लेते हुए सरकार ने राज्य के सर्वाधिक संवेदनशील पर्वतीय क्षेत्र में मौजूद केदारनाथ धाम को 3 दीवारों के सुरक्षा कवच से घेरने वाली पुनॢवकास योजना को कुछ संशोधनों के साथ अंतिम रूप दे दिया है।
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नई दिल्ली: उत्तराखंड में साल 2013 की प्राकृतिक आपदा से सबक लेते हुए सरकार ने राज्य के सर्वाधिक संवेदनशील पर्वतीय क्षेत्र में मौजूद केदारनाथ धाम को 3 दीवारों के सुरक्षा कवच से घेरने वाली पुनर्विकास योजना को कुछ संशोधनों के साथ अंतिम रूप दे दिया है।
केन्द्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा तैयार की गई केदारपुरी पुनर्विकास योजना के संशोधित मसौदे में धार्मिक एवं ऐतिहासिक महत्व के इस तीर्थ स्थल को प्राकृतिक आपदाओं से स्थायी सुरक्षा प्रदान करने के उपाय किए गए हैं। मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंजूरी से संशोधित योजना में 3 अहम बदलाव शामिल किए गए हैं। इनमें केदारनाथ मंदिर परिसर को 3 स्तरीय सुरक्षा कवच से घेरना, साधकों की आध्यात्मिक साधना के लिए केदारनाथ धाम के आसपास पहाडिय़ों में गुफाएं बनाना और तीर्थ यात्रियों के ठहरने सहित किसी भी मकसद से होने वाले निर्माण कार्यों को नदी के बहाव की दिशा में ही करने की बाध्यता को शामिल किया गया है।
पूर्व योजना में मंदिर परिसर को दीवारों के 2 स्तरीय सुरक्षा कवच से घेरने की बात कही गई थी। उल्लेखनीय है कि पिछले माह मोदी ने केदारनाथ मंदिर के आसपास 2 वर्ग कि.मी. क्षेत्रफल में 750 करोड़ रुपए की पुनॢनर्माण योजना को हरी झंडी दिखाई थी। इसके तहत केदारनाथ धाम को अंग्रेजी वर्णमाला के ‘यू’ अक्षर के आकार की 3 दीवारों से घेरा जाएगा। इसमें मंदिर के दोनों ओर मंदाकिनी एवं सरस्वती नदी की धारा के समानांतर पूरे परिसर को घेरते हुए ‘यू’ आकार में बोल्डर की पहली दीवार बनाई जाएगी।
इसके बाद दूसरा घेरा धातु की जालियों के कवच वाली पत्थरों की दीवार का और तीसरा घेरा कंक्रीट की दीवार का होगा। 3 स्तरीय सुरक्षा घेरे से भविष्य में बाढ़, भूस्खलन, भूकम्प जैसी आपदा से प्राचीन मंदिर को सुरक्षित बनाना है, साथ ही तीर्थ स्थल के दोनों ओर सरस्वती और मंदाकिनी नदियों के तट पर कई घाट बनाकर पानी के बहाव तक तीर्थ यात्रियों की निर्बाध पहुंच को सीमित किया जाएगा।