पंजाब में पराली जलाने के 104 केस दर्ज,फिर नहीं रुकते किसान

Edited By Punjab Kesari,Updated: 21 Nov, 2017 08:50 AM

104 stuble burning case registered in punjab

पंजाब में पराली जलाए जाने के ज्वलंत मामले में भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) की तरफ से पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान एग्रीकल्चर डिपार्टमैंट के ज्वाइंट सैक्रेटरी राहुल गुप्ता पेश हुए।

चंडीगढ़ (बृजेन्द्र): पंजाब में पराली जलाए जाने के ज्वलंत मामले में भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) की तरफ से पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान एग्रीकल्चर डिपार्टमैंट के ज्वाइंट सैक्रेटरी राहुल गुप्ता पेश हुए। उन्होंने हाईकोर्ट को बताया कि ऐसा ही मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। वहीं सरकार ने बताया कि पराली जलाने को लेकर 104 केस दर्ज किए गए हैं। यह कार्रवाई सिर्फ इसलिए की गई ताकि कोई किसान पराली न जलाए। हाईकोर्ट ने मामले में लिखित जवाब पेश करने को कहा जिस पर सरकार ने 2 सप्ताह का समय मांगा। केस की अगली सुनवाई 15 जनवरी में होगी। 
याची पक्ष के वकील चरणपाल सिंह बागड़ी ने बताया कि सरकार ने हाईकोर्ट में बताया कि वह आई.पी.सी. की धारा 188 के तहत कार्रवाई कर रही है जो धारा 144 के उल्लंघन के तहत की जा रही है। बागड़ी ने कहा कि धारा 144 के तहत किसानों के खिलाफ यह कार्रवाई हैरान करने वाली है। इससे पहले मामले में हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा था कि किस कानून के तहत किसानों पर कार्रवाई हो रही है। वहीं सरकार ने पराली जलाने पर किसानों के खिलाफ कार्रवाई के पीछे एन.जी.टी. आदेशों को आधार बनाया था। याची पक्ष के वकील चरणपाल सिंह बागड़ी ने दलीलें पेश करते हुए कहा था कि पराली जलाए जाने से नहीं रोका जा सकता बल्कि सरकार को इसके लिए तंत्र मुहैया करवाने चाहिएं। मामले में सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया था। 


ये मांगें की हैं हाईकोर्ट में


याचिका में मांग की गई है कि प्रतिवादी पक्ष को आदेश दिए जाएं कि किसानों द्वारा पराली जलाने से रोकने के लिए प्रति एकड़ के हिसाब से उचित मुआवजे की घोषणा करे। इसके लिए नोटीफिकेशन/पॉलिसी जारी की जाए। इसके अलावा किसानों को तंत्र, उपकरण और मशीनरी प्रदान की जाए। प्रत्येक जिले में वह स्थान प्रदान किया जाए जहां पराली को फैंका जा सके। याचिका में भाकियू ने केंद्र सरकार समेत वित्त मंत्रालय के सचिव तथा पंजाब सरकार को पार्टी बनाया है। वहीं संबंधित केस की सुनवाई लंबित रहने या मुआवजे की राशि को लेकर नोटीफिकेशन जारी होने तक प्रतिवादी पक्ष द्वारा जुर्माने को लेकर चालान करने, किसानों के राजस्व रिकार्ड में रैड एंट्री करने, कमीशन एजैंट्स से फसल की रकम लेने पर प्रतिबंध, बिना एस.एम.एस. के कम्बाइन चलाने की कार्रवाई पर रोक, पराली जलाने पर गांवों का अनुदान रोकने, बिजली मीटर काटने, सी.आर.पी.सी. की धारा 144 के तहत कार्रवाई करने आदि पर रोक लगाई जाए। 

 


इसके अलावा हाईकोर्ट से मांग की गई है कि केंद्र सरकार को निर्देश दिए जाएं कि औद्योगिक यूनिट्स स्थापित करे जिनमें कृषि अवशेष डाल सकें ताकि उर्जा का वैकल्पिक स्रोत बन सके, एथेनॉल, पेपर, पैकेजिंग मैटीरियल व बोर्ड आदि का निर्माण हो सके। याचिका की सुनवाई तक किसानों को पराली जलाने से रोकने के संबंध में बनी पॉलिसी, नोटीफिकेशन या बने आदेशों पर रोक लगाई जाए। इसके अलावा किसानों को प्रति एकड़ के हिसाब से उचित रकम पराली इक_ा करने और इसके ट्रांसपोर्टेशन के लिए दी जाए। 

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