Edited By Punjab Kesari,Updated: 29 Jan, 2018 12:21 PM
एक तरफ जहां पंजाब सरकार द्वारा किसानों को फसली विभिन्नता के लिए उत्साहित किया जा रहा है, वहीं पंजाब सरकार की दलीलें मानकर आलुओं की बिजाई करने वाले किसान संकट की स्थिति में फंस गया है। दरअसल पिछले 3 वर्षों से आलुओं की फसल का सही भाव न मिलने से किसान...
मोगा( ग्रोवर): एक तरफ जहां पंजाब सरकार द्वारा किसानों को फसली विभिन्नता के लिए उत्साहित किया जा रहा है, वहीं पंजाब सरकार की दलीलें मानकर आलुओं की बिजाई करने वाले किसान संकट की स्थिति में फंस गया है। दरअसल पिछले 3 वर्षों से आलुओं की फसल का सही भाव न मिलने से किसान वर्ग को आर्थिक मार पड़ी है। पंजाब में स्थिति अब यहां तक पहुंच गई है कि कोल्ड स्टोर मालिक किसानों द्वारा स्टोर किए गए आलुओं को सड़कों किनारे मुफ्त में फैंकने लगे हैं।
‘पंजाब केसरी’ द्वारा इस संबंध में एकत्रित की गई जानकारी में सामने आया है कि किसान वर्ग अब आलुओं का असल मंदा भाव होने कारण नई फसल की जुटाई करने से ही कन्नी काटने लगा है, क्योंकि आलुओं का खरीदार व्यापारी न होने कारण किसानों के पास अब अपने खर्च पर फसल की जुटाई करवाकर आलुओं की संभाल के लिए कोल्ड स्टोरों में संभालने के लिए खर्च अदा करने की समर्था भी नहीं है। बताया जा रहा है कि पूरे पंजाब के कोल्ड स्टोरों में पड़ा करीब 25 से 30 प्रतिशत आलुओं का स्टाक पूरी तरह से खराब हो गया है।
कोल्ड स्टोर मालिकों के पास अब इन आलुओं को सड़कों पर फैंकने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है। अनाज मंडी से मिली जानकारी के अनुसार नए आलुओं का भाव किसानों को प्रति बोरी 260 से 280 रुपए मिल रहा है, जबकि किसानों का कहना है कि इतने मंदे भाव से तो किसानों को खर्च भी पूरा नहीं हो रहा। शहर के बुघीपुरा चौक के नजदीक फैंके आलुओं संबंधी स्टोर वालों का कहना है कि अब आलुओं को फैंकने के सिवाय कोई रास्ता नहीं है। स्टोर वालों का कहना है कि गुजरों को भी मुफ्त में आलू उठवाए जा रहे हैं, ताकि वे अपने पशुओं का पेट भर सकें।