Edited By Punjab Kesari,Updated: 25 Jan, 2018 08:10 AM
मोगा के सी.आई.ए. स्टाफ की ओर से 18 वर्ष पहले कब्जा में लिया गया विदेशी लाइसैंसी रिवॉल्वर मालखाने में से गुम होने उपरांत पुलिस दुविधा में फंसती नजर आ रही है। यही नहीं मालिक की ओर से इस मामले पर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने उपरांत उसको 4 लाख रुपए अदा...
मोगा(पवन ग्रोवर): मोगा के सी.आई.ए. स्टाफ की ओर से 18 वर्ष पहले कब्जा में लिया गया विदेशी लाइसैंसी रिवॉल्वर मालखाने में से गुम होने उपरांत पुलिस दुविधा में फंसती नजर आ रही है। यही नहीं मालिक की ओर से इस मामले पर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने उपरांत उसको 4 लाख रुपए अदा करने का आदेश दिया गया है।
‘पंजाब केसरी’ द्वारा हासिल की जानकारी अनुसार सी.आई.ए. स्टाफ ने 5 मार्च, 2000 को जिले के गांव माहला के निवासी को धनवंत सिंह को विदेशी रिवॉल्वर सहित गिरफ्तार करके असला एक्ट अधीन केस दर्ज किया था। यह लाइसैंसी रिवॉल्वर धनवंत सिंह के पिता निर्भय सिंह की थी। अदालत में केस चलने उपरांत 2010 में हाईकोर्ट ने कथित मुलजिम को उसके सही व्यवहार के चलते जमानत दे दी। जमानत मिलने के बाद निर्भय सिंह ने जिला अदालत में अपना लाइसैंसी कीमती रिवॉल्वर हासिल करने के लिए आवेदन दिया लेकिन लाइसैंस रिन्यू न होने के कारण अदालत ने 2011 में आवेदन रद्द कर दिया। सूत्रों का कहना है कि जमानत आवेदन रद्द होने उपरांत पुलिस अधिकारियों ने कथित तौर पर इस रिवॉल्वर को खुर्द-बुर्द कर दिया।
यही नहीं पंजाब पुलिस एकैडमी फिल्लौर में इस विदेशी रिवॉल्वर की जगह कोई और रिवॉल्वर जमा करवा दिया गया। 2014 में निर्भय सिंह ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में यह रिवॉल्वर लेने के लिए रिट दायर की तो पुलिस अधिकारियों में इस मामले को लेकर हड़कंप मच गया। डी.एस.पी. (सिटी) मोगा तथा एस.पी.डी. की जांच रिपोर्ट में यह तथ्य उभरकर सामने आया कि मालखाने के इंचार्ज हवलदार जगमोहन सिंह ने यह रिवॉल्वर जमा करवाने के लिए हवलदार सुखदेव सिंह को पी.पी.ए. फिल्लौर भेजा था।
पुलिस ने हाईकोर्ट की झाड़ के डर से थाना सिटी में 17 जनवरी, 2015 को पी.पी.ए. फिल्लौर में फायर आम्र्ज इंचार्ज अमरनाथ तथा हवलदार सुखदेव सिंह जिसकी 7 जनवरी, 2011 को मौत हो चुकी थी, के खिलाफ केस दर्ज कर लिया। इसके बाद पी.पी.ए. फिल्लौर में फायर आम्र्ज इंचार्ज अमरनाथ ने कहा कि वह बेकसूर है तथा अदालत ने 24 अक्तूबर, 2015 को यह केस रद्द की रिपोर्ट मंजूर कर ली। अब पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस कुलदीप सिंह की ओर से 28 नवम्बर, 2017 को 2 महीने के अंदर पीड़ित को 4 लाख रुपया हर्जाना अदा करने का आदेश दिया गया है। वहीं पता चला है कि पुलिस द्वारा अब फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में डबल बैंच के पास रिव्यू पटीशन दायर करने की योजनाबंदी की जा रही है।