25 जून 1989 की सुबह बन गई थी 'काल', पढ़ कर कांप उठेगी आपकी भी रूह

Edited By Updated: 25 Jun, 2016 02:02 AM

on the morning of june 25 1989 was a period

25 जून, 1989 का दिन मोगा निवासियों के लिए ऐसा आया जिसने मोगा के हरेक...

मोगा(पवन ग्रोवर): 25 जून, 1989 का दिन मोगा निवासियों के लिए ऐसा आया जिसने मोगा के हरेक नागरिक को झिंझोड़ कर रख दिया था और सुबह चहल-पहल के बाद एकदम से हर तरफ मातम की चादर बिछ गई थी, जिसे आंखों देखने वाले आज तक नहीं भुला पाए हैं। लोगों के लिए वह दिन ‘काल’ के रूप में बन गया था। यदि उक्त घटना का इतिहास पढ़ा जाए तो पढऩे वाला भी कांप उठता है। 

 
तब से लेकर आज तक जब भी 25 जून आती है तो मोगा निवासी मायूस हो जाते हैं। इस दिन ‘तेरा वैभव अमर रहे मां, हम दिन चार रहें न रहें’ की कहावत को आर.एस.एस. संघ के कार्यकत्र्ताओं ने अपनी हिम्मत, हौसले और निडरता से पूरा कर दिखाया। आर.एस.एस. के स्वयं सेवकों ने आधुनिक भारत के इतिहास में अपने बलिदानों के अनेक अध्याय जोड़े हैं। मोगा का तत्कालीन नेहरू पार्क गोलीकांड भी एक दर्द भरा इतिहास है। 25 जून के दिन को याद कर आज भी आंखें नम हो जाती हैं। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आर.एस.एस.) की शाखा पर इसी दिन आतंकवादियों ने सुबह आतंकी हमला किया था।    
 
क्या हुआ था 25 जून, 1989 को
जानकारी के अनुसार शहीदी पार्क (1989 का नाम नेहरू पार्क) में सामान्य दिनों की तरह कुछ लोग सुबह की सैर में व्यस्त थे और नेहरू पार्क में एक ओर आर.एस.एस. की शाखा लगी थी कि अचानक आतंकवादियों ने शाखा में शामिल निहत्थे स्वयं सेवकों पर गोलियों की बौछार कर दी, जिससे जहां 25 लोग शहीद हो गए, वहीं शाखा में शामिल लोगों के  साथ आस-पास के 31 के करीब लोग घायल हो गए थे। जिक्र योग्य है कि इस घटना के अगले दिन भी संघ परिवार ने हिम्मत नहीं हारी, बल्कि इसी जगह पर फिर शाखा लगाई और बाद में नेहरू पार्क का नाम बदल कर शहीदी पार्क कर दिया गया, जो आज देशभक्तों के लिए तीर्थस्थल बना हुआ है।
 
गोलीकांड से आधे घंटे पश्चात अचानक नेहरू पार्क के गेट पर हुआ था बम विस्फोट
गोलीकांड दौरान घायल हुए स्वयं सेवकों ने बताया कि 25 जून, 1989 को इस घटना की खबर सारे शहर में आग की तरह फैल गई और घायलों को अस्पताल पहुंचाने के लिए लोगो की भारी भीड़ पार्क में घायलों के इलाज हेतु पहुंचाने के लिए इकट्ठी हो गई। कुछ ही समय के पश्चात गेट पर बम का विस्फोट हुआ और उस समय भी कई लोगों के चीथड़े उड़ गए। उन्होंने बताया कि इसके उपरांत बम विस्फोट से शहर में और दहशत फैल गई तथा प्रशासन के सहायता कार्य में धीमी गति आ गई, जिसके कारण घायलों को सहायता देरी से मिली, जिससे कई कीमती जिंदगियां बिछुड़ गईं। इसके बाद फिर अचानक दूसरे गेट पर एक और बम विस्फोट हुआ, जिससे कोई नुक्सान नहीं हुआ।
 
गोलीकांड के उपरांत आधे घंटे बाद लगा दिया था कफ्र्यू
लोगों ने बताया कि गोलीकांड के बाद जनसमूह नेहरू पार्क में जमा होना शुरू हो गया। मोगा सरकारी अस्पताल में 50 बिस्तरों की सुविधा थी, परंतु प्राथमिक उपचार उपलब्ध नहीं था, जिसकी वजह से नवयुवकों ने क्रोध में आकर मैडीकल स्टाफ के खिलाफ नारेबाजी की और इसी दौरान स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस द्वारा कफ्र्यू लगा दिया गया था तथा कई स्थानों पर राऊंड फायरिंग भी की थी, परंतु लोगों के रोष को देखते हुए पुलिस को कफ्र्यू खोलना पड़ा।
 
आर.एस.एस. का झंडा उतारने को कहा था आतंकवादियों ने
संजीव कुमार ने बताया कि आतंकवादियों ने आते ही सभा में संघ के कार्यकत्र्ताओं को आर.एस.एस. का झंडा उतारने को कहा, परंतु वहां पर मौजूद सीनियर कार्यकत्र्ताओं ने ऐसा करने से मना किया और उन्हें रोकने का प्रयास किया, परंतु किसी की बात न सुनते हुए आतंकवादियों ने अंधाधुंध फायरिंग कर दी।
 
गोलीकांड के उपरांत आधे घंटे बाद लगा दिया था कफ्र्यू
लोगों ने बताया कि गोलीकांड के बाद जनसमूह नेहरू पार्क में जमा होना शुरू हो गया। मोगा सरकारी अस्पताल में 50 बिस्तरों की सुविधा थी, परंतु प्राथमिक उपचार उपलब्ध नहीं था, जिसकी वजह से नवयुवकों ने क्रोध में आकर मैडीकल स्टाफ के खिलाफ नारेबाजी की और इसी दौरान स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस द्वारा कफ्र्यू लगा दिया गया था तथा कई स्थानों पर राऊंड फायरिंग भी की थी, परंतु लोगों के रोष को देखते हुए पुलिस को कफ्र्यू खोलना पड़ा।
 
कैसे बना नेहरू पार्क  से शहीदी पार्क और कब हुई स्थापना
अगली ही सुबह जब स्वयं सेवकों द्वारा शाखा का आयोजन किया गया तो उस दौरान शहीदों की याद को जिंदा रखने के लिए शहीदी स्मारक बनाने का संकल्प लिया गया। इस कार्य हेतु मोगा पीड़ित मदद व स्मारक समिति का गठन किया गया। शहीदी स्मारक का नींव पत्थर 9 जुलाई, 1989 को माननीय भाऊ राव देवरस वरिष्ठ नेता द्वारा रखा गया। इस भव्य स्मारक का उद्घाटन 24 जून, 1990 को प्रो. राजिंद्र सिंह द्वारा रखा गया। आज भी हर साल शहीदों की याद में श्रद्धांजलि समागम आयोजित किया जाता है। आज मोगा पीड़ित मदद व स्मारक समिति अध्यक्ष डा. राजेश पुरी व अन्य पदाधिकारियों के सहयोग से अपनी सेवाएं निभा रही है।
 

कैसे बना नेहरू पार्क  से शहीदी पार्क और कब हुई स्थापना
अगली ही सुबह जब स्वयं सेवकों द्वारा शाखा का आयोजन किया गया तो उस दौरान शहीदों की याद को जिंदा रखने के लिए शहीदी स्मारक बनाने का संकल्प लिया गया। इस कार्य हेतु मोगा पीड़ित मदद व स्मारक समिति का गठन किया गया। शहीदी स्मारक का नींव पत्थर 9 जुलाई, 1989 को माननीय भाऊ राव देवरस वरिष्ठ नेता द्वारा रखा गया। इस भव्य स्मारक का उद्घाटन 24 जून, 1990 को प्रो. राजिंद्र सिंह द्वारा रखा गया। आज भी हर साल शहीदों की याद में श्रद्धांजलि समागम आयोजित किया जाता है। आज मोगा पीड़ित मदद व स्मारक समिति अध्यक्ष डा. राजेश पुरी व अन्य पदाधिकारियों के सहयोग से अपनी सेवाएं निभा रही है
 
नेहरू पार्क के पिछले छोटे गेट से दाखिल हुए थे आतंकवादी
इस कांड को देखने वाले घायल संघ के  एक कार्यकत्र्ता ने बताया कि जब सभा चल रही थी तो अचानक पिछले गेट से शोर की आवाज सुनाई दी तो संघ की कार्रवाई करने वाले कार्यकत्र्ता ने कहा कि ‘देखो छोटे गेट से आतंकवादी घुस आए हैं’। ऐसा सुन कर सभा में उपस्थितियों का ध्यान उस ओर गया और सभी ने साहस से उनका सामना किया।
 
4 आतंकवादियों ने बोला था हमला : डा. विजय
डा. विजय ने बताया कि वहां मौजूद स्वयं सेवकों के अनुसार 4 आतंकवादियों ने इस दिन सभा पर हमला बोल दिया, जिनमें से 1 आतंकवादी गेट के पास खड़ा था, जबकि 2 आतंकवादियों ने अंदर आते ही गोलियां चलानी शुरू कर दी थीं तथा एक आदमी वैन में बैठा था। वैन छोटे गेट के बाहर खड़ी थी। इन आतंकवादियों ने खाकी रंग के पायजामे और नाइलॉन की चप्पल पहन रखी थी। इस सभा में हर आयु वर्ग के सेवक मौजूद थे। उन्होंने कहा कि रोजाना वहां आम जनता क ी सैर हेतु काफी भीड़ जमा होती थी, परंतु उस दिन शाखा के कारण स्वयं सेवक ही थे, इसलिए काफी लोगों की जानें बच गईं।
 
25 जून,1989 में देश को अलविदा कहने वाले शहीदों के नाम
लेखराज धवन (64 साल), बाबू राम, भगवान दास, शिव दयाल, मदन गोपाल, मदन मोहन, भगवान सिंह, गजानंद, अमन कुमार, ओम प्रकाश, सतीश कुमार (17), केशो राम (26), प्रभजोत सिंह, नीरज, मनीष चौहान (19), जगदीश भगत, वेद प्रकाश पुरी, ओम प्रकाश व ङ्क्षछद्र कौर (दंपति), ङ्क्षडपल (2), भगवान दास, पंडित दुर्गा दत्त, प्रह्लाद राय, जगतार सिंह, कुलवंत सिंह।
शहीदी पार्क में श्रद्धांजलि दिवस मनाया जा रहा कल
 
1989 के मोगा गोलीकांड के शहीदों को नमन करने के लिए 26 जून को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ द्वारा शहीदी पार्क में श्रद्धांजलि दिवस मनाया जा रहा है। इसी स्थान पर बने स्मारक के पास सुबह 8 से साढ़े 9 बजे तक हवन-यज्ञ होगा। इसके उपरांत 10 बजे श्रद्धांजलि कार्यक्रम होगा। उक्त जानकारी देते हुए मोगा पीड़ित सहायता व स्मारक सम्मति के अध्यक्ष डा. राजेश पुरी ने बताया कि 26 को आयोजित होने जा रहे कार्यक्रम में राज्य सभा सदस्य श्वेत मलिक, बजरंग लाल गुप्ता क्षेत्रीय संघ संचालक उत्तर क्षेत्र, हीरा लाल शर्मा चेयरमैन फिरोजशाह कालेज और बलवंत राय धवन विशेष रूप से पहुंचेंगे।  
 
मौत को आंखों से देखा है मैंने : डा. विजय 
इस गोलीकांड दौरान संघ की सभा में बनी पहली पंक्ति में मौजूद डा. विजय सिंगला ने बताया कि 25 जून को शहीदी पार्क मोगा में जालिम आतंकवादियों द्वारा निहत्थे लोगों पर की गई गोलियों की बौछार से मेरा सीना भी छलनी हो गया और जैसे ही आतंकवादियों ने गोलियां चलानी शुरू कीं तो हमें सूचित किया गया कि लेट जाओ, जिसके कारण हम सभी लेट गए। आतंकवादियों ने ए.के.-47 राइफल से गोलियां चलाईं और लेटने के बावजूद एक गोली मेरे दाएं पांव को चीरती हुई पार हो गई।  इसके अलावा 2 गोलियां मेरे पीठ में भी लगीं और बाकी अंगों को गोलियां चीरती हुई निकल गईं। 
 
उन्होंने बताया कि एक आतंकवादी को मैंने अपनी आंखों से देखा, परंतु दूसरे को नहीं देख पाया। उन्होंने कहा कि ज्यों ही आतंकवादी इस 4-5 मिनट के गोलीकांड उपरांत भाग गए तो मैंने स्वयं उठ कर अपने पैरों पर बह रहे रक्त को अपने रूमाल से रोका। इसके उपरांत भारी संख्या में लोग इकट्ठा हो गए, जिन्होंने मुझे सिविल अस्पताल मोगा में दाखिल करवाया।
 

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!