Edited By Punjab Kesari,Updated: 31 Dec, 2017 10:43 AM
पिछले 5 वर्षों से कृषि क्षेत्र में आई बड़ी कमी के कारण मालवा में अब त्यौहारों समेत अन्य प्रोग्रामों के लिए उत्साह ही नहीं रहा है। इस तरह की बनी स्थिति कारण जहां इस वर्ष गत दीपावली, दशहरा व अन्य त्यौहारों दौरान लोगों में उत्साह देखने को नहीं मिला,...
मोगा (ग्रोवर): पिछले 5 वर्षों से कृषि क्षेत्र में आई बड़ी कमी के कारण मालवा में अब त्यौहारों समेत अन्य प्रोग्रामों के लिए उत्साह ही नहीं रहा है। इस तरह की बनी स्थिति कारण जहां इस वर्ष गत दीपावली, दशहरा व अन्य त्यौहारों दौरान लोगों में उत्साह देखने को नहीं मिला, वहीं अब नए वर्ष के जश्न मनाने प्रति भी लोगों की दिलचस्पी नहीं रही है। मालवा क्षेत्र के प्रमुख ङ्क्षबदू तहत जाने जाते मोगा शहर के 6 बड़े होटलों में चाहे नववर्ष की आमद के लिए समागम तो रखा गया है, लेकिन लोगों द्वारा इन समागमों में शिरकत करने के लिए पिछले वर्ष जितना उत्साह नहीं दिखाया जा रहा, वैसे इन होटलों के मालिकों ने लोगों को कई तरह की ऑफर करके प्रोग्राम में शिरकत करने के लिए कई स्कीमें लांच की हैं।
‘पंजाब केसरी’ द्वारा शहर के विभिन्न क्षेत्र से जुड़े लोगों से जब नववर्ष के समागमों में शिरकत करने के लिए सवाल पूछा गया तो लोगों ने जवाब देते कहा कि नोटबंदी व जी.एस.टी. की मार से खेती क्षेत्र में आई कमी ने सारा कारोबार ठप्प करके रख दिया है, इसलिए नववर्ष के प्रोग्रामों में शिरकत करने का सवाल ही पैदा नहीं होता। पता चला है कि शहर के कुछ प्रतिशत बड़े कारोबारी तो परिवारों समेत समागमों में शिरकत करने के लिए जा रहे हैं, लेकिन आम तथा मध्य कारोबारियों ने नववर्ष के प्रोग्रामों से किनारा कर लिया है क्योंकि महंगे भाव की टिकटें लेकर प्रोग्राम देखना लोगों के वश की बात नहीं है। दूसरी तरफ शहर के होटल मालिकों समेत अन्य मुलाजिमों ने नववर्ष की आमद संबंधी लोगों के मध्य कम उत्साह की पुष्टि की है।
गांव के 90 प्रतिशत लोगों में नहीं नववर्ष मनाने का उत्साह
शहरी लोगों में चाहे कुछ प्रतिशत नववर्ष मनाने का उत्साह है, लेकिन गांवों के 90 प्रतिशत तक लोगों में नया वर्ष मनाने का कोई उत्साह देखने को नहीं मिल रहा। विभिन्न गांवों के लोगों से जब नववर्ष की आमद संबंधी जश्न मनाने की तैयारियों के मामले पर बातचीत की तो उन्होंने कहा कि गांवों में इस संबंधी कोई भी समागम नहीं होता।
पंजाब की आर्थिकता की रीढ़ की हड्डी राज्य की किसानी इस समय दुविधा में फंसी हुई है, जिस कारण आर्थिकता व कर्जे के बोझ के कारण किसान वर्ग के और ही खर्च पूरे नहीं होते, इसलिए नववर्ष के जश्नों पर पैसा खर्चा करने की ग्रामीण लोगों की समर्था ही नहीं है। गौरतलब है कि गांवों के लोग नववर्ष की आमद पर कई धार्मिक समागम करवाकर नववर्ष की शुरूआत करने की तैयारियां जरूर कर रहे हैं।