Edited By Punjab Kesari,Updated: 05 Mar, 2018 09:56 AM
मालवा क्षेत्र में कैंसर के उपरांत अब काला पीलिया की बीमारी ने लोगों को अपनी चपेट में लेना शुरू कर दिया है, जिस कारण लोग बेहद परेशानी के आलम में से गुजर रहे हैं। चाहे इस बीमारी के बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा मरीजों को नि:शुल्क दवाइयां मुहैया...
मोगा (पवन ग्रोवर): मालवा क्षेत्र में कैंसर के उपरांत अब काला पीलिया की बीमारी ने लोगों को अपनी चपेट में लेना शुरू कर दिया है, जिस कारण लोग बेहद परेशानी के आलम में से गुजर रहे हैं। चाहे इस बीमारी के बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा मरीजों को नि:शुल्क दवाइयां मुहैया करवाने के दावे किए जा रहे हैं, लेकिन विभाग की ओर से केवल उन मरीजों को ही दवाइयां दी जा रही हैं जिनकी विभाग के पास रजिस्ट्रेशन है। हकीकत यह है कि प्राइवेट तौर पर भी बहुसंख्यक लोग इस बीमारी के इलाज के लिए अस्पतालों में जा रहे हैं।
एकत्रित किए गए ब्यौरों में यह तथ्य उभरकर सामने आया कि मोगा जिले में काला पीलिया की बीमारी के शिकार लोगों की गिनती 4,065 है, जिनमें बहुसंख्यक लोग बाघापुराना तहसील के गांवों से संबंधित हैं। सूत्रों ने इस बात को भी बेपर्द किया है कि यहां के सरकारी सिविल अस्पताल में इस बीमारी के इलाज के लिए मरीज तड़कसार से ही कतारों में खड़े होकर अपनी बारी की प्रतीक्षा करते हैं, लेकिन इस बीमारी के अस्पताल में सिर्फ एक ही माहिर डाक्टर होने के कारण मरीजों को घंटों इंतजार करना पड़ता है। हैरानी की बात तो यह है कि पंजाब सरकार ने अब फंड की कमी के कारण नए मरीजों को इस बीमारी के इलाज की दवाइयां मुहैया करवाने पर भी एक बार रोक लगा दी है। वैसे इस बीमारी से पीड़ितों की रजिस्टे्रशन हो रही है, लेकिन नए मरीजों को दवाइयां कब से शुरू की जानी हैं, इसका अभी कोई पता नहीं है।
जिले के गांव लंघेयाना में मरीजों की गिनती 400 से ऊपर
जिले के बाघापुराना क्षेत्र में काला पीलिया के मरीजों की संख्या अधिक होने की गवाही इस अधीन पड़ते गांवों के बहुसंख्यक मरीज भी भर रहे हैं। एकत्रित जानकारी के अनुसार 2017 में गांव लंघेयाना में मरीजों की गिनती 370 थी, जबकि इस समय गांव में मरीजों की गिनती 400 से भी पार हो गई है। समाजसेवी नेता निर्मल सिंह का कहना था कि हैपेटाइटस-सी से पीड़ित मरीजों की गिनती दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। उन्होंने कहा कि कुछ समय पहले जब गांव में काला पीलिया के मरीजों की जांच के लिए कैंप लगाया गया था तो वह मरीजों की गिनती देखकर दंग रह गए थे।
इसी तरह 40 वर्षीय सुरजीत कौर हैपेटाइटस-सी से पीड़ित होने के कारण निजी अस्पताल से महंगे मूल्य पर दवाई लेने को मजबूर है। इस महिला ने बताया कि उसने पहले देसी दवाई, फिर होम्योपैथिक प्रणाली का सहारा लिया तथा आखिरकार एलोपैथी पर निर्भर होना पड़ रहा है। पीड़ित ने पंजाब सरकार से मांग की कि इलाज का प्रबंध किया जाए। गांववासी जगदेव सिंह ने कहा कि वह हैपेटाइटस-सी की बीमारी से जूझ रहा है। उसने कहा कि इस बीमारी की महंगी दवाई आम आदमी नहीं ले सकता।
गंदा पानी पीने से नहीं फैल रहा काला पीलिया
आमतौर पर यह धारणा मानी जाती है कि काला पीलिया की बीमारी फैलने का बड़ा कारण पंजाब वासियों की ओर से सेवन किए जाने वाला गंदा पानी माना जाता है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का मानना है कि गंदा पानी पीने से किसी भी तरह काला पीलिया की बीमारी नहीं फैलती।
क्या कहना है स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का
इस मामले संबंधी जब जिला एपीडिमोलॉजिस्ट मनीष अरोड़ा से संपर्क किया गया तो उन्होंने भी स्पष्ट किया कि काला पीलिया की बीमारी गंदा पानी पीने से नहीं फैलती। उन्होंने कहा कि असुरक्षित शारीरिक संबंध बनाने तथा एक-दूसरे की सुइयों का प्रयोग करने से यह बीमारी फैलती है। इसके बचाव के लिए ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा भी इस बीमारी के बचाव के लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है।