साइकिल स्टैंड में रेलवे को करोड़ों का चूना

Edited By Punjab Kesari,Updated: 18 Mar, 2018 01:34 PM

scam in cycle stand

रेलवे स्टेशन पर साइकिल स्टैंड बिना ठेकेदार के चलाने के मामले में अब करोड़ों रुपए के नुक्सान होने की बात भी की जा रही है, जिससे कई अधिकारियों पर जांच की तलवार लटक गई है।

लुधियाना (सहगल) : रेलवे स्टेशन पर साइकिल स्टैंड बिना ठेकेदार के चलाने के मामले में अब करोड़ों रुपए के नुक्सान होने की बात भी की जा रही है, जिससे कई अधिकारियों पर जांच की तलवार लटक गई है। 
 

रेलवे के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार सारे मामले की जांच डिवीजन स्तर पर चल रही है परंतु इसकी गूंज उच्चाधिकारियों तक पहुंचने से यह मामला एकाएक गर्मा गया है। रेलवे अधिकारियों ने साइकिल स्टैंड बंद करवाकर रेल यात्रियों के लिए भी मुसीबत खड़ी कर दी। हालांकि सब सही है कहकर इस मसले को टालने की कोशिश की जा रही है परंतु रैवेन्यू के नुक्सान की बात अगर सामने आती है तो यह मामला स्वतंत्र जांच एजैंसी को सौंपा जा सकता है। 

पैसे में होती रही बंदरबांट

ठेकेदार रहित साइकिल स्टैंड पर टिकट चैकरों की ड्यूटी लगाई गई परंतु स्टाफ की शॉर्टेज के कारण वे अपनी ड्यूटी रजिस्टर में तो लगाते थे, परंतु साइकिल स्टैंड का सारा कामकाज पूर्व ठेकेदार के सुपुर्द रहा। लिहाजा साइकिल-स्कूटर स्टैंड व कार पार्किंग से जो पैसा इकट्ठा हुआ, उसमें बंदरबांट होती रही। स्टैंड के लिए जारी पॢचयों पर किसी अधिकारी के न तो हस्ताक्षर थे और न ही स्टैंप। 


मामले की जांच रेल के विजीलैंस विभाग को भी पता थी और कमर्शियल विभाग का इसमें सीधा हस्तक्षेप था। चीफ इंस्पैक्टर टिकट पैसे का सारा हिसाब रख रहे थे और उनकी देखरेख में पैसे रेल के खाते में जमा हो रहे थे। इससे पहले रेलवे ने साइकिल स्टैंड का ठेका 2 करोड़ 30 लाख रुपए में तीन साल के लिए दिया था परंतु ठेकेदार ने इसे बीच में छोड़ दिया। इसके बाद कई बार तीन महीने के लिए कोटेशन पर साइकिल स्टैंड का ठेका किसी न किसी को ठेके पर दिया गया परंतु कोई भी लंबे समय के लिए नहीं टिका। लिहाजा साइकिल स्टैंड की देखरेख फिर से रेलवे विभाग के कंधों पर आ गई है। 

रोज 20 से 25 हजार रुपए जमा होता रहा : हाकम सिंह
चीफ इंस्पैक्टर टिकट हाकम सिंह ने बताया कि साइकिल स्टैंड की देखरेख जब से रेल विभाग के पास आई है, रोज 20 से 25 हजार रुपए रैवेन्यू जमा होता है और टिकट चैकर अपनी ड्यूटी बखूबी निभाते रहे। ऐसे में घपले की बात बेमानी है। स्टेशन पर मुख्य द्वार व सिविल लाइन में दो साइकिल स्टैंड व दो कार पार्किंग हैं। इन चारों यूनिटों से जो भी पैसा इकट्ठा होता रहा, वह रोज जमा होता रहा। अब रेल अधिकारियों के निर्देश पर ठेका बंद करवा दिया है और पार्किंग फ्री कर दी गई है। 

ठेके की रकम अधिक होने पर नहीं टिकते ठेकेदार 
साइकिल स्टैंड के ठेके की रकम अधिक होने पर कोई ठेकेदार नहीं टिकता। फिर हर वर्ष ठेके को 10 प्रतिशत बढ़ा दिया जाता है। ऐसे में सारा बोझ पब्लिक पर डालकर अधिक कमाई करके रेल विभाग को आमदन बढ़ानी होती है परंतु 24 घंटे साइकिल स्टैंड चलाने के लिए ठेकेदार को भारी संख्या में कर्मचारी रखने पड़ते हैं। थोड़े दिनों में आटे-दाल का भाव पता चलने पर वे बीच में ठेका छोड़ देता है। कार पार्किंग की फीस 30 रुपए 4 घंटे की है। उसके बाद 100 रुपए तथा 24 घंटे के 200 रुपए लिए जाते हैं।  

रेलवे स्टेशन पर रौनक कम हुई 
साइकिल स्टैंड बंद होने के कारण सैंकड़ों यात्री जो अपने वाहन स्टेशन पर खड़े करके जाते थे, की संख्या में भारी कमी आई है। इससे पहले ट्रैफिक रेल यात्रियों के स्लीपर कोच जो खाली चल रहे हैं, में बैठने पर रोक लगाने से अमृतसर से अम्बाला के बीच आवागमन करने वाले 17 हजार दैनिक रेल यात्रियों में भी भारी कमी आई है। उन्होंने बस चालकों से रोज आने के दाम सैट करके बसों से आना-जाना शुरू कर दिया है। 

स्टालों के ठेकेदारों की मुसीबतें बढ़ीं, बिक्री में कमी 
स्टेशनों पर यात्रियों की संख्या में भारी कमी से अब स्टेशनों पर खाने-पीने का सामान बेचने वाले स्टालों की बिक्री में भी भारी कमी आई है। इन स्टालों के ठेकेदारों में अब अपने स्टाल घाटे में चलने की आशंका से आर्थिक हानि का भय व्याप्त है। इनमें से कइयों का कहना है कि रेल में अधिकारी ही रेल के दुश्मन सिद्ध हो रहे हैं। 


 

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