बोर्ड व स्कूलों की खींचतान से 3 लाख विद्यार्थियों की पढ़ाई हुई प्रभावित

Edited By Punjab Kesari,Updated: 06 Feb, 2018 11:00 AM

punjab school education board

पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड द्वारा वार्षिक परीक्षाओं के लिए सैल्फ सैंटर खत्म करने के बाद प्राइवेट स्कूलों के परीक्षार्थियों के परीक्षा केन्द्र सरकारी स्कूलों में बनाने के फैसले खिलाफ लामबंद हुए एफीलिएटिड स्कूल संचालकों ने सोमवार को विरोध में लुधियाना...

लुधियाना (विक्की): पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड द्वारा वार्षिक परीक्षाओं के लिए सैल्फ सैंटर खत्म करने के बाद प्राइवेट स्कूलों के परीक्षार्थियों के परीक्षा केन्द्र सरकारी स्कूलों में बनाने के फैसले खिलाफ लामबंद हुए एफीलिएटिड स्कूल संचालकों ने सोमवार को विरोध में लुधियाना के 450 स्कूल बंद रखे। स्कूलों द्वारा किए गए इस विरोध से परीक्षाओं के दिनों में आज करीब 3 लाख विद्यार्थियों की पढ़ाई का एक दिन का नुक्सान हुआ। इनमें करीब 90 हजार विद्यार्थी 10वीं और 12वीं कक्षाओं के भी शामिल हैं। बोर्ड की 12वीं की वार्षिक परीक्षाएं 28 फरवरी को शुरू होनी है जबकि 10वीं की परीक्षाएं 12 मार्च से शुरू होंगी। सरकार व बोर्ड के निर्णय के विरोध में आगे आई स्कूली एसोसिएशनों ने साफ शब्दों में चेतावनी दी कि अगर बोर्ड ने अपने फैसले को वापस न लिया तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। उधर सोमवार शाम को स्कूल एसोसिशनों ने फैसला किया कि मंगलवार को स्कूल संचालक मुख्यमंत्री कै.अमरेंद्र सिंह से भी मिलेंगे।    

सरकार को नहीं परीक्षार्थियों की चिंता
एसो. ऑफ पी.एस.ई.बी. प्राइवेट स्कूलज़ पंजाब के प्रधान राजिंद्र शर्मा व रासा के सैक्रेटरी रंजीत सिंह सैनी ने दावा किया कि सोमवार को लुधियाना के सभी एफीलिएटिड स्कूल बंद रहे। उन्होंने बोर्ड के फैसले बारे कहा कि इस गलत निर्णय से उनके स्कूलों के छात्रों को काफी दूर तक बनने वाले सैंटरों में पेपर देने के लिए जाना पड़ेगा। इन विद्यार्थियों में लड़कियां भी शामिल हैं जिनकी सुरक्षा अति लाजमी है। उन्होंने कहा कि दूर बनने वाले सैंटरों में जाने के लिए विद्यार्थियों  की जेब पर किराए के रूप में बोझ भी बढ़ेगा लेकिन सरकार व बोर्ड ने उक्त नियम बनाते समय विद्यार्थियों को पेश आने वाली परेशानी को भी ध्यान में नहीं रखा।  

परीक्षार्थी भी बोर्ड के फैसले को लेकर टैंशन में 
उधर, स्कूलों के अलावा परीक्षार्थी भी बोर्ड के इस निर्णय से असमंजस में हैं। दसवीं की परीक्षा देने वाली छात्रा शिवानी ने कहा कि सैंटर बदलने के फैसले के बाद बहुत दबाव है। सरकारी स्कूलों में सुविधाओं की कमी की बातें सुनते रहते हैं। इसलिए सबसे पहली चिंता तो सरकारी स्कूल में बनने वाले परीक्षा केंद्रो को लेकर है। 12वीं साइंस की छात्रा किरणदीप कौर ने कहा कि दूर-दराज बनने वाले परीक्षा केंद्रों में पहुंचने के लिए उनकी जेब पर किराए के नाम पर बोझ बढ़ेगा। साइंस स्ट्रीम के छात्र सोहन सिंह ने कहा कि जिन विद्यार्थियों के पास व्हीकल नहीं है, वे किस तरह दूसरे परीक्षा केंद्रों तक पहुंचेंगे। बोर्ड ने इस बात की ओर ध्यान नहीं दिया। कामर्स के छात्र कुलजिंद्र सिंह ने कहा कि सरकारी स्कूलों में सुविधाएं न होने के कारण पेपर देते समय टैंशन बनी रहेगी, ऐसे में इसका असर भी उनके परिणाम पर पढ़ेगा।  
 

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