Edited By Punjab Kesari,Updated: 11 Jan, 2018 02:07 PM
पंजाब की कांग्रेस सरकार भी पूर्व अकाली-भाजपा सरकार की तर्ज पर कार्य कर रही है। प्रदेश की स्थिति सुधारने व कारोबारियों के हित में इसकी सोच भी नैगेटिव है। पत्रकारों से बातचीत करते हुए यह आरोप पंजाब प्रदेश व्यापार मंडल ने राज्य सरकार पर लगाया।
लुधियाना(सेठी): पंजाब की कांग्रेस सरकार भी पूर्व अकाली-भाजपा सरकार की तर्ज पर कार्य कर रही है। प्रदेश की स्थिति सुधारने व कारोबारियों के हित में इसकी सोच भी नैगेटिव है। पत्रकारों से बातचीत करते हुए यह आरोप पंजाब प्रदेश व्यापार मंडल ने राज्य सरकार पर लगाया। इस संबंध में प्रधान प्यारे लाल सेठ, सुनील मेहरा, मोहिन्द्र अग्रवाल व समीर जैन ने कहा कि राज्य को चलाने के लिए अधिकतर राजस्व कारोबारी ही जुटाते हैं, परंतु सरकारें अपना वोट बैंक पक्का करने के लिए उस राजस्व का लाभ अन्य लोगों को दे देती है।
इन नेताओं ने कहा कि सरकार बनने से पूर्व कांग्रेस ने अपने वायदों में कहा था कि कारोबारियों के ऋण पर ब्याज कम किया जाएगा व उनके एन.पी.ए. अकाऊंट सरलता से हल करवाए जाएंगे, नए यूनिट लगाने के लिए बॉर्डर एरिया पर नई भूमि दी जाएगी और बिजली 5 रुपए प्रति यूनिट दी जाएगी लेकिन सरकार ने कोई भी वायदा पूरा नहीं किया। उल्टा कारोबारियों के राजस्व में से किसानों के ऋण माफ कर दिए गए जो स्पष्ट पक्षपात की नीति है। उन्होंने पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र पर भी आरोप लगाया कि उन्होंने भी बड़े-बड़े बयानों में कहा था कि उनकी सरकार आने के बाद वह पंजाब के कारोबार को प्रफुल्लित करने के लिए विदेशी निवेश करवाएंगे, जो अब तक नजर नहीं आ रहा है।पहले से कारोबार करने वाले उद्यमी भी पलायन करने के मूड में नजर आ रहे हैं।
राज्य सरकार को कारोबारियों का 1000 करोड़ रुपए का रिफंड देने में भी पिछले कई वर्षों से असहाय नजर आ रही है। व्यापार मंडल ने कहा कि किसानों के हित में सोचने वाली यह सरकार कारोबारियों को अनदेखा कर रही है। उन्होंने मांग की कि सरकार किसानों को देने वाली 6500 करोड़ की बिजली सबसिडी को कम करने के लिए 7 एकड़ तक की भूमि वाले किसानों को फ्री बिजली का लाभ दे।व्यापार मंडल ने कहा कि पंजाब के वित्तमंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने भी जी.एस.टी. के मामले में चुप्पी साधी हुई है। ऐसा प्रतीत होता है जैसे यहां पर भी वोट बैंक पक्का हो रहा है, क्योंकि वित्तमंत्री ने जी.एस.टी. के 6 माह बीत जाने के बाद भी एक भी जटिल प्रावधान पर कौंसिल से आग्रह नहीं किया है। यह सरकार कारोबारियों पर नहीं, केवल वोट की भूखी है।