Edited By Punjab Kesari,Updated: 06 Jan, 2018 03:59 PM
नगर निगम चुनावों में कांग्रेस को सियासी फायदा पहुंचाने के नाम पर विकास कार्य करवाने की आड़ में अफसरों द्वारा नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, जिसके तहत सरकार की मंजूरी या तय डैडलाइन खत्म होने का इंतजार किए बिना ही नए टैंडर लगाने व उन पर वर्क...
लुधियाना(हितेश) : नगर निगम चुनावों में कांग्रेस को सियासी फायदा पहुंचाने के नाम पर विकास कार्य करवाने की आड़ में अफसरों द्वारा नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, जिसके तहत सरकार की मंजूरी या तय डैडलाइन खत्म होने का इंतजार किए बिना ही नए टैंडर लगाने व उन पर वर्क आर्डर जारी करने का काम हो रहा है।
अगर नियमों की बात करें तो नए विकास कार्य करवाने के लिए जो भी एस्टीमेट तैयार होता है, उस पर एफ. एंड सी.सी. या टैक्नीकल एडवाइजरी कमेटी की मंजूरी मिलने के बाद सरकार द्वारा कोई एतराज लगने को लेकर 21 दिन तक इंतजार करना होता है। यही प्रक्रिया टैंडर आने के बाद वर्क आर्डर जारी करने को लेकर अपनानी बनती है। लेकिन चुनावी मौसम में इन सब नियमों का जनाजा निकल रहा है। इसके तहत पहले विकास कार्यों की जरूरत बारे फील्ड स्टाफ से सर्टीफिकेट लेकर उसके लिए फंड की उपलब्धता होने पर प्रस्ताव पास करने के लिए सरकार द्वारा जारी की गई गाइडलाइंस को सियासी दबाव के चलते ड्राप कर दिया गया। फिर अफसर इतने बेखौफ हो गए कि टैक्नीकल एडवाइजरी कमेटी से एस्टीमेट पास होने से अगले ही दिन टैंडर लगा दिए जाते हैं। इसके लिए हवाला दिया जाता है कि टैंडर आने तक सरकार द्वारा तय 21 दिन का पीरियड पूरा हो जाता है। जिनमें से कई विकास कार्यों के तो 21 दिन पूरे होने से पहले ही रङ्क्षनग बनने के बावजूद आडिट ब्रांच द्वारा आंखें मूंदकर पेमैंट करने की मंजूरी दी जा रही है।
टैंडर प्रक्रिया की अनियमितताओं को लेकर सख्त हैं सिद्धू के तेवर
नगर निगम अफसरों का यह रवैया उस समय सामने आ रहा है, जब टैंडर प्रक्रिया की अनियमितताओं को लेकर लोकल बाडीज मंत्री नवजोत सिद्धू के तेवर काफी सख्त हैं। जिन्होंने अकाली-भाजपा सरकार के समय हुए हलका वाइज विकास कार्यों में सिंगल टैंडरों की अलाटमैंट को लेकर तीन सुपरिंटैंडैंट इंजीनियरों को सस्पैंड करने के बाद अब टैंडर प्रक्रिया को लेकर मोहाली के मेयर-कमिश्नर तक पर गाज गिरा दी है।