Edited By Punjab Kesari,Updated: 01 Jan, 2018 11:24 AM
अकाली दल व भाजपा ने पंजाब के बाकी शहरों के हाल ही में हुए नगर निगम चुनाव मिलकर लड़े हैं लेकिन लुधियाना नगर निगम के चुनाव में यह गठजोड़ टूट सकता है जिसके संकेत भाजपा द्वारा सभी 95 सीटों के लिए दावेदारों से आवेदन मांगने से मिले हैं।अकाली दल व भाजपा के...
लुधियाना(हितेश): अकाली दल व भाजपा ने पंजाब के बाकी शहरों के हाल ही में हुए नगर निगम चुनाव मिलकर लड़े हैं लेकिन लुधियाना नगर निगम के चुनाव में यह गठजोड़ टूट सकता है जिसके संकेत भाजपा द्वारा सभी 95 सीटों के लिए दावेदारों से आवेदन मांगने से मिले हैं।अकाली दल व भाजपा के स्थानीय व राज्य स्तरीय वरिष्ठ नेता कई बार आपस में मीटिंग करके यह रणनीति बना चुके हैं कि नगर निगम चुनाव में कांग्रेस के साथ मुकाबला कैसे किया जाए। इसे लेकर यह बात सामने आई है कि दोनों पार्टियों में इस मुद्दे पर सहमति बन गई है कि आधी-आधी सीटों के बंटवारे के फार्मूले पर चुनाव लड़ा जाएगा। इसमें पहले वार्डबंदी का प्रभाव कम करने के लिए मजबूत चेहरों की तलाश की जाएगी जो कांग्रेस के दिग्गजों को टक्कर देने की स्थिति में हो और जरूरत पडऩे पर इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सीटों को आपस में बदला भी जा सकता है। इस बारे में दोनों ही पार्टियों के नेता मीडिया व स्टेज पर दावे कर रहे हैं।लेकिन गत दिनों संगठन मंत्री द्वारा की गई जिले के सभी भाजपा पदाधिकारियों की मीटिंग में सारा नजारा ही बदला हुआ नजर आया जहां मुद्दा उठा कि पंजाब में हाल ही में जितनी जगह भी नगर निगम के चुनाव हुए हैं, उस दौरान भाजपा की स्थिति अकाली दल से बेहतर रही है। इसके मद्देनजर सभी 95 वार्डों की टिकटों के लिए आवेदन मांगने का फैसला किया गया जिसे भाजपा के अकेले चुनाव लडऩे की तैयारी के रूप में देखना इसलिए भी गलत नहीं होगा क्योंकि सभी दावेदारों से बूथ वाइज 120 लोगों की आधार कार्ड व फोन नंबर के साथ लिस्ट देने के लिए कहा गया है। इसकी समीक्षा करके रिपोर्ट तैयार करने के लिए विधानसभा एरिया वाइज टीमें भी बना दी गई हैं।
वर्कर लंबे समय से कर रहे हैं अकेले चुनाव लडऩे की मांग
यह कोई पहला मौका नही है, जब भाजपा के अकाली दल से अलग होकर चुनाव लडऩे के संकेत मिले हों। इससे पहले सरकार में रहते समय दोनों पाॢटयों के रिश्तों की खटास किसी से छिपी नही थी। जिस कारण अकसर कुछ मुददों को लेकर सहमति न बनने कारण गठबंधन टुटने की कगार पर पहुंच जाता था। जिस मामले में हर बार भाजपा नेततव्र को दखल देना पड़ा। अब सरकार से बाहर होने के बाद भाजपाइयों द्वारा अकाली दल के खिलाफ जहर उगला जा रहा है। इसके तहत भाजपा वर्करों ने हाईकमान को साफ कर दिया है कि नगर निगम चुनावों को लोकसभा चुनावों का सैमीफाईनल मानकर चलना चाहिए और अगर पंजाब में भगवा फहराना है तो अकाली दल से अलग होकर चलना पड़ेगा।
ताजा घटनाओं से बढ़ी कड़वाहट
पंजाब के विधानसभा चुनावों में मिली हार का ठीकरा भाजपा द्वारा यह कहकर अकाली दल के सिर फोड़ा जा रहा है कि उसके प्रति जनता की नाराजगी भारी पड़ गई। इसके बावजूद दोनों पार्टियों की हाईकमान ने इकट्ठे रहने का राग अलापते हुए पहले से सक्रियता बढ़ाने का दावा किया था। लेकिन हाल में ही 2 घटनाओं के बाद गठबंधन में कड़वाहट बढ़ गई है। इसमें पहले अकाली दल के रा’यसभा सांसद नरेश गुजराल ने मोदी सरकार की वर्किंग पर सवाल उठाए तो भाजपा ने जवाबी हमला किया। फिर गुजरात व हिमाचल के सी.एम. के शपथ ग्रहण समारोह में न बुलाए जाने को लेकर अकाली दल ने खुलेआम भाजपा पर नाराजगी जाहिर की।