इगो व क्रैडिट वार में पिछड़ रही लुधियाना की इंडस्ट्री

Edited By Punjab Kesari,Updated: 11 Jan, 2018 01:59 PM

ludhianas industry

केंद्र व राज्य सरकारें इंडस्ट्री को प्रमोट करने के लिए कई स्कीम लांच करती हैं। लेकिन पिछले 10 सालों पर ही निगाह दौड़ा ली जाए तो एक भी ऐसी स्कीम ऐसी नहीं है जिसका लुधियाना की इंडस्ट्री ने सही तरीके से फायदा लिया हो। कई प्रोजैक्ट तो शुरू हो गए लेकिन...

लुधियाना(धीमान): केंद्र व राज्य सरकारें इंडस्ट्री को प्रमोट करने के लिए कई स्कीम लांच करती हैं। लेकिन पिछले 10 सालों पर ही निगाह दौड़ा ली जाए तो एक भी ऐसी स्कीम ऐसी नहीं है जिसका लुधियाना की इंडस्ट्री ने सही तरीके से फायदा लिया हो। कई प्रोजैक्ट तो शुरू हो गए लेकिन एक दशक से भी ज्यादा समय बीतने के बाद भी प्रोजैक्ट कहां हैं उनका कुछ अता-पता नहीं। ऐसे कई प्रोजैक्ट है जिनमें करोड़ों रुपए सबसिडी के रूप में भी एसोसिएशनों को मिल गए। परंतु आज भी प्रोजैक्ट अधर में है। इनमें लुधियाना इंटीग्रेटिड टैक्सटाइल पार्क प्रमुख है। जिस पर सरकार ने 40 करोड़ की सबसिडी भी दे दी।

आज यहां सिर्फ  8 फैक्टरियां ही उत्पादन का काम शुरू कर पाई हैं। जबकि 3 साल पहले तक ही करीब 95 फैक्टरियों में काम शुरू हो जाना चाहिए था। केंद्र ने इसे देखते हुए 31 दिसम्बर 2018 का समय दिया है। इसके बाद केंद्र सरकार 40 करोड़ ब्याज सहित वापस लेगी। इस प्रोजैक्ट के सिरे न चढऩे का मुख्य कारण आपसी लड़ाई है। इसी पार्क को देखने वाले पुराने व नए एम.डी. की आपसी खींचतान ने 1984 से चलने वाले निटवियर क्लब पर भी ताले जड़ दिए हैं। यह दोनों इस क्लब के मौजूदा व पिछले प्रधान हैं। इनकी आपसी इगो के कारण 1400 सदस्य सरकारी स्कीम लेने में वंचित हैं। इसके अलावा डाइंग इंडस्ट्री के लिए सी.ई.टी.पी. प्लांट भी आज तक एसोसिएशनों की इगो व क्रैडिट लेने के लालच के चलते सिरे नहीं चढ़ा। लुधियाना की करीब 280 डाइंग यूनिटों पर किसी भी समय नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की तलवार चल सकती है। इसी तरह यूनाइटेड साइकिल एंड पार्ट्स मैन्यूफैक्चर्स एसोसिएशन जो अपने आपको एशिया की सबसे बड़ी एसोसिएशन कहती है साइकिल इंडस्ट्री के लिए एक भी नई तकनीक सदस्यों को उपलब्ध नहीं करवा पाई। एसोसिएशनों की आपसी लड़ाई का अफसर पूरा फायदा उठा रहे हैं जो सरकार से मिलने वाला पैसा फर्जी तरीके से एसोसिएशनों के नाम पर अपनी जेब में डाल रहे हैं।

ये है बड़ी एसोसिएशनों के हाल 
हालांकि चीन में हर साल एसोसिएशन के 2 ग्रुप प्रदर्शनी देखने जाते हैं और सरकार इन्हें सबसिडी भी देती है। आंकलन किया जाए तो इन ग्रुपों के प्रधानों ने आज तक तकनीकी जानकारी भी सदस्यों के साथ सांझा नहीं की। चैम्बर ही ऐसी एसोसिएशन है जो अपने सदस्यों को तकनीकी जानकारी देने के लिए सैमीनार करवाती रहती है। लेकिन इस पर अकाली-भाजपा का ठप्पा होने के कारण इनके सदस्यों को काफी नुक्सान हो रहा है। छोटी एसोसिएशनों भी दोफाड़ हो चुकी है। इनमें फास्टनर एसोसिएशन, आटो पार्ट्स एसोसिएशन प्रमुख हैं।  

 

कौन-सी बड़ी स्कीमों को फायदा नहीं मिला 
-कलस्टर डिवैल्पमैंट 27 में से केवल एक ही बना 
- टैक्सटाइल पार्क नहीं बना
-डाइंग के लिए सी.ई.टी.पी. प्लांट नहीं लग पाया
-प्रधानमंत्री रोजगार योजना का नहीं लिया फायदा
-स्किल्ड डिवैल्पमैंट प्रोग्राम के तहत वर्कर को नहीं दी गई जानकारी 

 

क्या है इस समस्या का हल
अपनी नाकामियों को छुपाने वाले करीब एक दर्जन ऐसे प्रधान हैं जिन्होंने एक शब्द भी बयां नहीं किया। लेकिन कुछ उक्त ऐसे प्रधान आए जिन्होंने माना की आपसी लड़ाई के कारण इंडस्ट्री फायदा नहीं उठा पा रही। इसका हल तभी निकल सकता है यदि सारी एसोसिएशनों के प्रधान बिना कुर्सी का लालच किए एक साथ मिलकर काम करें। सरकार तक पहुंच कर खुद सरकारी स्कीमों की जानकारी लें और सदस्यों तक पहुंचाएं। काम करने के इच्छुक सदस्यों को एक छत के नीचे इकट्ठा कर उनके दस्तावेज सरकार तक पहुंचाएं। इन सारी जिम्मेदारियों को समझते हुए सभी एसोसिएशनों के प्रधानों को सरकार के पास खुद जाकर इसका फायदा उठाने के लिए जद्दोजहद करनी चाहिए। जब तक सरकारी स्कीमों का फायदा नहीं मिल जाता तब तक प्रधानों को सरकार के पीछे लगे रहना चाहिए। 

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