पंजाब में गिर रहा जमीनी पानी का स्तर

Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Jan, 2018 03:12 PM

ground level water

पंजाब सरकार व पंजाब खेतीबाड़ी यूनिवॢसटी द्वारा रा’यभर के किसानों को खेती विभिन्नता के तहत गेहूं व धान के फसली चक्कर से बाहर निकलकर सब्जियों समेत सहायक धंधों को अपनाने पर जोर दिया जा रहा है। इस गंभीर विषय पर पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने पंजाब सरकार...

लुधियाना (सलूजा): पंजाब सरकार व पंजाब खेतीबाड़ी यूनिवॢसटी द्वारा रा’यभर के किसानों को खेती विभिन्नता के तहत गेहूं व धान के फसली चक्कर से बाहर निकलकर सब्जियों समेत सहायक धंधों को अपनाने पर जोर दिया जा रहा है। इस गंभीर विषय पर पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने पंजाब सरकार को एक पत्र लिखकर यह सुझाव दिया कि धान की बुआई के समय में यदि 10 दिन की और बढ़ौतरी कर दी जाए तो इससे जमीनी पानी का और भी बचाव हो सकता है। 

पहले होती थी मई में बुआई
पंजाब में पहले किसानों द्वारा गेहूं की कटाई अप्रैल माह में करने के बाद मई में ही धान की बुआई कर दी जाती थी। जब पानी का स्तर गिरता चला गया तो सरकार को इस संबंध में कानून बनाना पड़ा। बने कानून के तहत अब पंजाब का कोई भी किसान 15 जून से पहले धान की बुआई नहीं कर सकता है। कई मामलों में तो कानून की उल्लंघना करने वाले किसानों को जुर्माने तक की अदायगी करनी पड़ जाती है। 

पूसा-44 व पी.आर.-126 की अधिकतम होती है बुआई
कृषि विभाग के अनुसार पंजाब के अलग-अलग इलाकों में दिल्ली की खोज संस्था द्वारा धान की विकसित की गई पूसा-44 और पंजाब खेतीबाड़ी यूनिवॢसटी की पी.आर.-126 की बुआई होती है। पूसा पकने में 155 से 160 दिन लेती है, जबकि पी.आर.-126 की फसल पकने में लगभग 120 दिन लेती है। इन दोनों फसलों में अंतर केवल झाड़ का है। इसलिए अधिकतर किसान पूसा को ही पहल देते हैं। 

15 जून की बजाय 25 जून को हो बुआई
पी.पी.सी.बी. के चेयरमैन काहन सिंह पन्नू ने सरकार को जानकारी दी कि पंजाब के 108 ब्लाक ऐसे हैं यहां पर धान की खेती का कवर एरिया अधिक होने कारण जमीनी पानी का काफी हद तक गिर चुका है। इसलिए धान की बुआई का समय 15 जून की बजाए 25 जून कर दी जाए। जिला मुख्य कृषि अधिकारी डा. बलदेव सिंह ने बताया कि पी.पी.सी.बी. द्वारा सरकार को यह सुझाव दिया गया है। इस संबंध में सरकार आने वाले समय दौरान क्या फैसला लेती है, यह तो समय ही बताएगा। 

धान का कवर एरिया बढ़ा
1960 में 2 लाख 27 हजार हैक्टेयर जमीन पर।
अब 30 से 32 लाख हैक्टेयर जमीन पर।
73 फीसदी सिंचाई होती है ट्यूबवैलों से।

धान की बुआई 1 जून से हो
भारतीय किसान यूनियन लखोवाल के महासचिव हरिन्द्र सिंह लखोवाल का कहना है कि जितनी देरी से धान की बुआई होगी उतनी ही किसानों को परेशानी झेलनी पड़ती है। वे धान की बुआई 15 जून की बजाए 1 जून से चाहते हैं। सरकार को इस संबंध में विचार करना चाहिए।

सरकार ने पराली की सम्भाल संबंधी क्या किया 
भारतीय किसान यूनियन कादियां के प्रधान हरमीत सिंह ने कहा कि गिर रहे पानी के स्तर को बचाना एक अ‘छा प्रयास है। लेकिन धान की बुआई के समय में 10 दिन की देरी करना उचिात नहीं होगा। कादियां ने पी.पी.सी.बी. व सरकार से पूछा कि पराली की सम्भाल को लेकर किस तरह की पॉलिसी बनाई जा रही है। धान की बुआई का समय 15 जून ठीक है। 

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