Edited By Punjab Kesari,Updated: 10 Jan, 2018 03:17 PM
जी.एस.टी. से मिलने वाले राजस्व में प्रतिमाह आ रही गिरावट को लेकर सरकार चिंतित है। देश के कारोबारी नई कर प्रणाली की जटिलताओं को लेकर पहले ही नाखुश चल रहे हैं। वहीं कर विशेषज्ञ और प्रोफैशनल्स भी परेशान हैं। इसलिए सरकार जी.एस.टी. की जटिलताओं को दूर कर...
लुधियाना (सेठी) : जी.एस.टी. से मिलने वाले राजस्व में प्रतिमाह आ रही गिरावट को लेकर सरकार चिंतित है। देश के कारोबारी नई कर प्रणाली की जटिलताओं को लेकर पहले ही नाखुश चल रहे हैं। वहीं कर विशेषज्ञ और प्रोफैशनल्स भी परेशान हैं। इसलिए सरकार जी.एस.टी. की जटिलताओं को दूर कर इसे सरल बनाने का मन बना रही है।
जी.एस.टी. कानून और प्रक्रिया में सुधार पर बनी कारोबारियों की सलाहकार समिति के बाद एक और तकनीकी समिति ने भी सिफारिश की है कि जी.एस.टी. में हर महीने जरूरी 3 रिटर्न को मिलाकर सिर्फ एक रिटर्न भरने की सुविधा दे दी जाए। माना जा रहा है कि जी.एस.टी. कौंसिल 18 जनवरी को होने वाली बैठक में इस पर विचार करेगी। यदि इसे मंजूरी मिली तो लाखों टैक्स पेयर्स के लिए जी.एस.टी. अनुपालन काफी आसान हो जाएगा। फिलहाल मासिक या तिमाही रिटर्न भरने वाले सभी कारोबारियों को आऊटवर्ड सप्लाई या सेल्स रिटर्न जी.एस.टी. आर.-1 इनवर्ड सप्लाई या परचेस रिटर्न जी.एस.टी. आर.-2 और अंत में एक फाइनल रिटर्न जी.एस.टी. आर.-3 फाइल करनी होती है। सूत्रों से पता चला है कि जी.एस.टी.एन. के चेयरमैन की अगुवाई वाली एक समिति ने सिर्फ एक कॉन्सोलिडेटिड रिटर्न की सिफारिश की है। हालांकि डाटा मैङ्क्षचग जैसी अनिवार्यता उसमें बरकरार रखी जाएगी। सूत्रों से यह भी पता चला है कि समिति ने 3 में से 1 रिटर्न की सिफारिश भी की है। इससे सालाना 37 की जगह अधिकतम 13 या कम से कम 4 रिटर्न भरने की जरूरत रह जाएगी। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि प्रोसैस आसान होगा तो रैवेन्यू भी बढ़ेगा।
ट्रेड स्तर पर बनाए जाएं एच.एस.एन. कोड : इस बैठक में एच.एस.एन. कोड जो 75 फीसदी कारोबारियों के लिए मुसीबत बना हुआ है, उस पर भी विचार हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि एच.एस.एन. कोड ट्रेड स्तर पर लगाए जाएं। इससे कारोबारियों में कन्फ्यूजन कम हो जाएगी, क्योंकि एक वस्तु पर 2 प्रकार के एच.एस.एन. कोड लगे हैं। टैक्स स्लैब भी उसी प्रकार से 12 फीसदी या 18 फीसदी लगा हुआ है, जिस पर कौंसिल को गंभीरता से विचार करना होगा।