मरीजों को अस्पताल की फार्मेसी से दवाइयां खरीदने के लिए मजबूर कर रहे डाक्टर

Edited By Punjab Kesari,Updated: 16 Jan, 2018 03:16 PM

doctors forced to buy medicines

गैर सरकारी संस्था सोशल रिफोर्म नेसेहत मंत्री ब्रह्म महिन्द्रा, स्वास्थ्य निदेशक तथा ड्रग कंट्रोल पंजाब को पत्र लिख कर मरीजों को बलि का बकरा बनाए जाने पर रोक लगाने को कहा है। अपने लिखे पत्र में संस्था के प्रधान राजेश गुप्ता ने कहा कि मरीजों को लूटने...

लुधियाना(सहगल): गैर सरकारी संस्था सोशल रिफोर्म नेसेहत मंत्री ब्रह्म महिन्द्रा, स्वास्थ्य निदेशक तथा ड्रग कंट्रोल पंजाब को पत्र लिख कर मरीजों को बलि का बकरा बनाए जाने पर रोक लगाने को कहा है। अपने लिखे पत्र में संस्था के प्रधान राजेश गुप्ता ने कहा कि मरीजों को लूटने में मैडीकल कौंसिल ऑफ इंडिया के साथ स्वास्थ्य अधिकारियों के निर्देशों की भी परवाह नहीं की जा रही पत्र में शेष एतराज इस प्रकार है। अस्पताल में मरीजों के से भारी भरकम फीस लेने के बाद उन्हें अपनी इस हाऊस फार्मेसी से दवाइयां खरीदने को मजबूर किया जा रहा है। टैगोर नगर में स्थित एक अस्पताल द्वारा मरीजों से अपने अस्पताल की फार्मेसी से दवाइयां खरीदने के लिए धक्केशाही की जा रही है। बाहर से लाई दवाइयां मरीज को नहीं दी जाती। डाक्टर द्वारा लिखी दवाइयां अगर फार्मेसी में नहीं हो तो फार्मासिस्ट स्वयं ही डाक्टर की लिखी दवा बदल कर दूसरी दवा दे देता है और कह दिया जाता है कि दूसरी दवा भी वही सालट है जो डाक्टर ने लिखा है। पर उसे किसी दूसरी दवा की दुकान पर नहीं जाने दिया जाता। कानून विशेषज्ञ इसे मरीजों के अधिकारों का हनन बता रहे हैं पर अस्पताल की मैनेजिंग कमेटी के दिशा निर्देशों पर मरीजों की खाल उतारने की कोशिश की जा रही है।

छोटे अस्पतालों, कलीनिकों ने शुरू किया गैर कानूनी धंधा
बड़े अस्पताल की मनमानियां और जिला स्वास्थ्य प्रशासन द्वारा उन्हें कुछ न कहने से कई छोटे अस्पतालों, नॄसग होम व कलीनिकों पर भी बिना लाइसैंस दवा की दुकानें खुल चुकी है जहां स्थानीय कम्पनियों की दवाइयां रखी है जो और कही से नहीं मिलती। मजबूरन मरीजों को यही दवाइयां खरीदनी पड़ती है। जबकि मैडीकल कौंसिल आज इंडिया ने डाक्टरों को दवाइयां के जैनेटिक नाम लिखने को कहा है। अपने निर्देशों में कौंसिल ने साफ लिखा है कि दवाइयों के ब्रांड लिखने की बजाय दवा का साल्ट बड़े अक्षरों में लिखा जाए परन्तु अभी तक अधिकतर डाक्टर दवा का ब्रांड ही लिख रहे हैं।

सिविल सर्जन भी जारी कर चुके हैं निर्देश 
सिविल सर्जन ने सितम्बर माह के मैडीकल कौंसिल ऑफ इंडिया के लिखित दिशा-निर्देशों के हवाले से पत्र लिख कर ई.एस.आई. अस्पताल के मैडीकल सुपरिंटैंडैंट, सभी सीनियर मैडीकल अफसरों, आई.एम.ए. के प्रधान, दयानंद अस्पताल तथा सी.एम.सी. के मैडीकल सुपरिंटैंडैंट को पत्र लिख कर दवाइयों को ब्रांड लिखने की बजाय उनके जैनेटिक नाम लिखने अथवा दवा के साल्ट को बड़े अक्षरों में लिखने के कहा है। हाल ही में पंजाब मैडीकल कौंसिल ने सी.एम.सी., डी.एम.सी. अस्पताल को दवाइयों के साल्ट नेम लिखने की बजाय ब्रांड नाम लिखने पर नोटिस जारी कर जवाबतलबी की है परन्तु परनाला अब भी वहीं का वही है।


आर.टी.आई. के तहत मांगी जानकारी 
सोशल रिफोर्म नामक संस्था ने मरीजों को पेश आ रही परेशानियों के मद्देनजर सिविल सर्जन कार्यालय से आर.टी.आई. के तहत निम्न जानकारी मांगी है।
-शहर में कैमिस्टों की दुकानें व उनका ब्यौरा।
-प्राइवेट क्लीनिकों की दुकानें व उनका ब्यौरा।
-मैडीकल स्टोर व क्लीनिक चलाने के लिए औपचारिकताएं।
-कैमिस्ट शॉप चलाने के लिए नियम/कानून।
-क्या डाक्टर अपने घर अथवा क्लीनिक पर दवा की दकान खोल सकता है।
-गैर कानूनी दवा की दुकानों पर अब तक क्या एक्शन लिया गया।
-क्या किसी डाक्टर अथवा क्लीनिक पर बिना लाइसैंस दवा की दुकान चलाने पर कोई कार्रवाई की गई।

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