ईंट माफिया के सताए और प्रशासनिक अधिकारियों की अनदेखी का शिकार

Edited By Punjab Kesari,Updated: 08 Feb, 2018 03:41 PM

bricks supply department

नगर में गैर-कानूनी ईंटों का कारोबार चला रहे दलालों से परेशान लुधियाना जिला ईंट-भट्ठा मालिक एसो. ने जिला स्तर पर अधिकारियों द्वारा सुनवाई न होने पर अब हाईकोर्ट की शरण ली है। संस्था के पदाधिकारियों ने खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के सचिव, डायरैक्टर, डिप्टी...

लुधियाना(खुराना): नगर में गैर-कानूनी ईंटों का कारोबार चला रहे दलालों से परेशान लुधियाना जिला ईंट-भट्ठा मालिक एसो. ने जिला स्तर पर अधिकारियों द्वारा सुनवाई न होने पर अब हाईकोर्ट की शरण ली है। संस्था के पदाधिकारियों ने खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के सचिव, डायरैक्टर, डिप्टी सैक्रेटरी, लुधियाना के डिप्टी कमिश्नर सहित खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के कंट्रोलर्स पर व्यापारियों की अनदेखी का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी है।संस्था प्रधान रमेश मोही ने बताया कि दलालों द्वारा पिछले लम्बे समय से लुधियाना जिला में अन्य स्थानों से स्मगङ्क्षलग करके लाई गई ईंटों का गैर-कानूनी धंधा खुलेआम किया जा रहा है। इस संबंध में कई बार विभागीय अधिकारियों को अवगत करवाया गया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। ऐसे में जहां अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो रहे हैं, वहीं विभाग की छवि भी धूमिल हो रही है।
 

भट्ठा मालिक ही लाइसैंस प्राप्त कर बेच सकते हैं ईंटें
नियमों के मुताबिक केवल भट्ठा मालिक ही ईंटों की बिक्री कर सकते हैं, जिसके लिए उन्हें विभाग से लाइसैंस लेना पड़ता है, साथ ही अपने बिक्री ऑफिस का पता रजिस्टर्ड करवाना पड़ता है। खरीदार द्वारा खरीदी गई ईंटों के बिल पर बाकायदा बिल्डिंग के निर्माण स्थल का पूरा ब्यौरा दर्ज करवाना जरूरी होता है। ईंटें केवल लिखे गए पते पर ही स्टोर की जा सकती हैं। अन्य किसी जगह रखी ईंटों को विभागीय कर्मचारी जब्त करके मालिक पर जुर्माना लगा सकते हैं। 

250 में से 50 भट्ठे किए बंद
लुधियाना जिला में ईंट माफिया के खौफ और कारोबार के कम होने के चलते भट्ठा मालिकों ने 250 में से करीब 50 भट्ठे बिल्कुल बंद कर दिए हैं। कारण यह बताया जा रहा है कि सरकार को कारोबारियों द्वारा बड़ा राजस्व चुकाए जाने के बाद भी विभागीय अधिकारी उनकी सुनवाई नहीं कर रहे हैं।

बिना नम्बर प्लेट ट्रकों में हो रही ईंटों की अवैध सप्लाई
ऐसे में हैरानीजनक पहलू यह भी सामने आया कि शहरभर की सड़कों पर दौड़ रहे बिना नम्बर प्लेट के ट्रकों में माफिया द्वारा ईंटों का अवैध कारोबार किया जा रहा है। इस मामले को लेकर संबंधित अधिकारी अनजान बने बैठे हैं। दलालों द्वारा राजस्थान, गंगानगर, हरियाणा व डबवाली आदि इलाकों से ईंटों की स्मगङ्क्षलग करके गली-मोहल्ले में बैठे छोटे दुकानदारों, सीमैंट स्टोर मालिकों व बिल्डिंग मैटीरियल स्टोरों पर गैर-कानूनी ढंग से सप्लाई पहुंचा रहे हैं। ऐसे दलालों व अवैध कारोबारियों के खिलाफ एक्ट-1988 की धारा-& के तहत 7 ई.सी. के मुताबिक मामला दर्ज करने का प्रावधान है, लेकिन ऐसे हजारों मामले सामने होने के बावजूद विभागीय अधिकारियों द्वारा आजतक किसी भी आरोपी के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है। 

तूड़ी से बनी ईंटों की हो रही सप्लाई
ट्रेड से संबंधित कारोबारियों के मुताबिक दलालों द्वारा अन्य रा’यों से सप्लाई की जा रही ईंटें पूरी तरह से खोखली अर्थात तूड़ी से बनाई जाने के साथ ही अंडर साइज होती हैं, जिस कारण न सिर्फ इमारतें गिर सकती हैं, बल्कि कई परिवार तबाह हो सकते हैं। प्रधान मोही के मुताबिक इस मुद्दे पर उनकी संस्था द्वारा विभाग के कंट्रोलर राकेश भास्कर व सुरिन्द्र बेरी को कई बार अवगत करवाया गया है, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।


पूरे वर्ष में केवल 5 माह ही चला सकेंगे ईंट-भट्ठा
नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एन.जी.टी.) के आदेशों के मुताबिक ईंट-भट्ठा मालिक पूरे वर्ष में केवल 150 दिनों तक ही ईंटें अपने भट्ठों पर पका सकते हैं। इस दौरान उन्हें 7 माह तक अपने भट्ठे बंद और नई तकनीक के भट्ठे बनवाने के आदेश जारी किए गए हैं, जो जिग-जैग प्रणाली से लैस होंगे। नई प्रणाली के 1 भट्ठे के निर्माण कार्य के लिए 35 से 40 लाख रुपए खर्च होंगे।बता दें कि नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा उक्त फैसला राज्य में लगातार बढ़ रहे पॉल्यूशन को देखते हुए लिया गया है। अब ऐसे में देखने वाली बात यह है कि एक तो ईंट-भट्ठा कारोबारी पूरे वर्ष में केवल 5 माह ही भट्ठे चला सकेंगे और ऊपर से उन्हें ईंट माफिया की धक्केशाही भी बर्दाश्त करनी पड़ेगी। 

 

 

 

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