गरीबों के मुंह का निवाला साहूकारों की थाली में

Edited By Punjab Kesari,Updated: 17 Mar, 2018 11:48 AM

blue card holder

कैप्टन सरकार के आदेशों पर प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा नीले कार्डधारकों की री-वैरीफिकेशन में एक बार फिर से जरूरतमंद परिवारों के नीले कार्ड रद्द करने व आटा-दाल योजना के अंतर्गत मिलने वाली सरकारी गेहूं का लाभ सिफारिशी लोगों को पहुंचाए जाने की बातें...

लुधियाना (खुराना): कैप्टन सरकार के आदेशों पर प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा नीले कार्डधारकों की री-वैरीफिकेशन में एक बार फिर से जरूरतमंद परिवारों के नीले कार्ड रद्द करने व आटा-दाल योजना के अंतर्गत मिलने वाली सरकारी गेहूं का लाभ सिफारिशी लोगों को पहुंचाए जाने की बातें सामने आ रही हैं, जो बड़े मकानों, ए.सी. कमरों व लग्जरी गाडिय़ों के मालिक हैं और अपने राजसी सुख के चलते गरीब के मुंह का निवाला उनकी थाली से उड़ा ले गए हैं।जिन 26,000 के करीब परिवारों के नीले कार्ड रद्द किए गए हैं उनमें कुछ विधवा महिलाएं, रिक्शा चालक व मजदूरी करके अपना पेट भरने वाले परिवार शामिल बताए जा रहे हैं, जिसकी पुष्टि स्वयं खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अधिकारी भी कर रहे हैं। 

कैसे किया गया नीले कार्डधारकों का सर्वे
योजना के मुताबिक सर्वे टीम में शामिल खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के कर्मियों, निगम कर्मियों व ग्रामीण इलाकों में पटवारियों द्वारा सरकारी योजनाओं का लाभ प्राप्त कर रहे नीले कार्डधारक परिवारों की सही पहचान करने के लिए डोर-टू-डोर सर्वे करके रिपोर्ट तैयार करने के आदेश दिए थे लेकिन बावजूद इसके सर्वे टीम के अधिकतर कर्मियों ने काम से जी-चुराते हुए सरकार द्वारा भेजे गए सर्वे फार्म डिपो होल्डरों व सियासी नेताओं को खुद ही भरने के लिए थमा दिए। इस दौरान उक्त विभागीय कर्मियों ने फील्ड में उतरने के नाम पर उक्त नेताओं के ए.सी. कार्यालयों में बैठकर ड्यूटी बजाई और योजना से जुड़े असल परिवारों को नजरअंदाज करके सियासी नेताओं के चहेतों के नीले कार्ड जारी कर दिए।

विभागीय इंस्पैक्टर लोगों को कर रहे गुमराह 
जानकारी के मुताबिक जिन परिवारों के नीले कार्ड री-वैरीफिकेशन के दौरान रद्द कर दिए गए हैं उन्हें विभागीय इंस्पैक्टर यह कहते हुए गुमराह कर रहे हैं कि वे जल्द ही उनके कार्ड फिर से शुरू कर देंगे, जबकि नियमों के मुताबिक कार्ड को पुन: शुरू करने की पावर इंस्पैक्टर के पास है ही नहीं। ऐसे में हैरानीजनक पहलू यह है कि फिर आखिर क्यों इंस्पैक्टर लोगों को गुमराह कर रहे हैं और इसके पीछे उनका क्या स्वार्थ छिपा है। कार्ड फिर से शुरू करने के लिए विभागीय कंट्रोलर भी अपने आपको असहाय महसूस कर रहे हैं तो फिर कैसे इंस्पैक्टर लाभपात्रों को रद्द किए गए कार्ड फिर से शुरू करने का झूठा आश्वासन दे रहे हैं। 

क्या कहते हैं विभागीय कंट्रोलर्स 
इस संबंध में बात करते हुए खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के कंट्रोलर्स राकेश भास्कर व सुरिन्द्र बेरी ने बताया कि उनके पास ऐसी कई शिकायतें व लोग आ रहे हैं, जिनके कार्ड री-वैरीफिकेशन के दौरान रद्द हो चुके हैं, जो असल में सरकार की उक्त योजना के सांचे में पूरी तरह से फिट बैठते हैं। ऐसे परिवारों को सरकार की सस्ती गेहूं का लाभ मिलना जरूरी है। इनमें बहुत सी बुजुर्ग महिलाएं व लाचार परिवार हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि इन परिवारों के रद्द किए गए नीले कार्ड फिर से उनके द्वारा शुरू नहीं किए जा सकते हैं। वे उनकी रिपोर्ट संबंधित अधिकारियों को भेज सकते हैं। 

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