Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 Dec, 2017 11:22 AM
पंजाब सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद भी कुछ कोलोनाइजर्स अनरजिस्टर्ड कालोनियों के जरिए न सिर्फ जरुरतमंद जमीन खरीदने वालों को नुक्सान पहुंचा रहे हैं, वहीं सरकार के खजाने में भी करोड़ों का चूना लग रहा है।
अमृतसर (नीरज): पंजाब सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद भी कुछ कोलोनाइजर्स अनरजिस्टर्ड कालोनियों के जरिए न सिर्फ जरुरतमंद जमीन खरीदने वालों को नुक्सान पहुंचा रहे हैं, वहीं सरकार के खजाने में भी करोड़ों का चूना लग रहा है।
इस संबंधी पंजाब सरकार की तरफ से जारी निर्देशानुसार ए.डी.ए. (अमृतसर विकास अथॉरिटी) ने अनरजिस्टर्ड कालोनियों, मैरिज पैलेसों व अवैध निर्माण रोकने के लिए जिला अमृतसर, तरनतारन, गुरदासपुर व पठानकोट के लिए रैगुलेटरी विंग में अलग-अलग टीमों का गठन कर दिया है। इसके अलावा 20 से ज्यादा अवैध कालोनियों को नोटिस भी भेज दिया है।
अतिरिक्त मुख्य प्रशासक तेजिन्द्रपाल सिंह संधू ने बताया कि यह टीमें जिला अमृतसर के इंचार्ज, जिला नगर योजनाकार अमृतसर, उपमंडल इंजीनियर तरनतारन के इंचार्ज, जिला नगर योजनाकार गुरदासपुर व पठानकोट के अधिकारियों के साथ बनाई गई हैं, जो अनरजिस्टर्ड कालोनियों में निर्माण रोकने के साथ साथ उन पर कार्रवाई करेंगी इन टीमों का लक्ष्य अमृतसर बैल्ट के क्षेत्र अनरजिस्टर्ड कालोनियों व मैरिज पैलेसों का निर्माण रोकना है। इसके साथ-साथ सब-डिवीजन स्तर पर भी एक जे.ई व प्लानिंग अफसर की टीम बनाई गई है, ताकि अवैध कालोनियों का निर्माण करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सके।
बाबा बकाला, तरनतारन व डेरा बाबा नानक के कालोनाइजर्स को नोटिस जारी
ए.डी.ए. की अलग-अलग टीमों की तरफ से पूरी अमृतसर बैल्ट के क्षेत्रों की छानबीन शुरू कर दी गई है, जिसमें जिला तरनतारन, गुरदासपुर व पठानकोट का इलाका भी शामिल हैं। इन इलाकों में बनाई जा रही अवैध कालोनियों में निर्माण रोकने के लिए नोटिस जारी किए जा चुका है। उक्त इलाकों में तरनतारन, गोइंदवाल साहिब, उदोनंगल, बाबा बकाला, दूलोनंगल व डेरा बाबा नानक का इलाका शामिल हैं, जहां अवैध निर्माण रोके गए हैं और नोटिस जारी किए गए हैं।
पुड्डा से पास करवानी पड़ती है कॉलोनी
जायज कॉलोनी काटने के लिए कालोनाइजर्स को पुड्डा दफ्तर में जाकर नक्शा पास करवाना पड़ता है और सी.एल.यू. सहित अन्य सभी प्रकार के टैक्स भरने के बाद ही कॉलोनी काटने की इजाजत दी जाती है, जबकि अवैध कालोनी काटने वाले इस प्रकार की कोई भी कानूनी औपचारिकता को पूरा नहीं करते हैं। पुड्डा अप्रूवड कालोनी की तुलना में अनअप्रूवड कालोनी में प्लाट सस्ता तो मिल जाता है, लेकिन बाद में कई प्रकार की असुविधाओं का सामना करना पड़ता है, जिसमें सीवरेज सिस्टम न होने से लेकर स्ट्रीट लाइट तक का नहीं होना शामिल रहता है। अवैध कालोनियों में रहने वालों को इस प्रकार की काफी मुश्किल हालातों से गुजरना पड़ता है और कई वर्षों तक ऐसे हालात रहते हैं। वर्षों बाद वोट बैंक बनाने वाले नेता फिर अनअप्रूवड कालोनियों में सीवरेज सिस्टम व स्ट्रीट लाइट की सुविधा भी प्रदान कर देते हैं।
रजिस्ट्री पर रोक, इंतकाल रद व अवैध निर्माण जमींदोज कर सकता है विभाग
अवैध व अनरजिस्टर्ड कालोनियों पर ए.डी.ए. व पुड्डा की तरफ से की जाने वाली कानूनी कार्रवाई में ऐसे लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है, जो अनरजिस्टर्ड कालोनियों में जमीन लेते हैं। जानकारी के अनुसार विभाग अवैध कालोनी को नोटिस जारी करने के बाद एस.डी.एम. व तहसीलदारों के जरिए संबंधित कालोनी की जमीन की रजिस्ट्रियों को रुकवा सकता है। इसके अलावा जिन प्लाटों की रजिस्ट्री हो चुकी होती है उनको रद्द करवाया जा सकता है और इंतकाल भी खारिज करवाया जा सकता है। इतना ही नहीं कालोनी में किया गया निर्माण ढहाया जा सकता है। निर्माण ढहाए जाने की कार्रवाई में तो अवैध कोलोनाइजर्स निकल जाते हैं और फंस वह लोग जाते हैं, जिन्होंने अनरजिस्टर्ड कालोनी में प्लाट खरीदा होता है। ऐसे लोग न तो अपना मकान बना पाते हैं और न ही प्लाट के मालिक रहते हैं।
कुछ पुड्डा अप्रूवड कालोनियों में भी अनअप्रूवड जमीन
वैसे तो प्रतिष्ठित कालोनाइजर्स कभी भी अनअप्रूवड कालोनी नहीं काटते हैं, लेकिन कुछ कालोनियों में देखा गया है कि कालोनाइजर्स पुड्डा अप्रूवड कालोनी के साथ-साथ कुछ हिस्सा अनअप्रूवड छोड़ देते हैं और अनप्रूवड हिस्से को बेचना शुरू कर देते हैं। पुड्डा अप्रूवड जमीन की तुलना में अनअप्रूवड जमीन का दाम काफी कम रहता है और यह सब विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से ही होता है।
खेतीबाड़ी की तरफ कम होता जा रहा है किसानों का रुझान
आधुनिक युग की चकाचौंध में पंजाब के किसानों का रुझान भी खेतीबाड़ी को छोड़कर कॉलोनी काटने की तरफ बढ़ता जा रहा है। अमृतसर जिले की बात कर लें तो जितनी भी कालोनियां अभी तक काटी जा चुकी हैं, वह सारी खेतीबाड़ी वाली जमीन पर ही काटी गई हैं। किसानों को उनकी फसलों का समर्थन मूल्य नहीं मिलने के कारण व खेतीबाड़ी में होने वाले नुक्सान के कारण ऐसे हालात बन रहे हैं। इसके अलावा वाइट कॉलर धंधे की तलाश में भी किसान कालोनाइजर्स बनते जा रहे हैं और धड़ाधड़ खेतीबाड़ी वाली जमीनों पर कॉलोनियां काटी जा रही हैं।