दम्पति की मार्मिक फरियाद : हमें मुआवजा नहीं इंसाफ चाहिए

Edited By Punjab Kesari,Updated: 28 Dec, 2017 09:02 AM

touching complaint of couple  we need justice

‘चंडीगढ़ रोड पर स्थित क्वांटम पेपर मिल में काम करने वाले मेरे बेटे ओंकार सिंह की मौत कम्पनी के कर्मचारियों व अधिकारियों की लापरवाही से हुई है। मैं नहीं चाहता कि मेरी ही तरह किसी और बाप को बेटे की मौत का संताप झेलने को मजबूर होना पड़े। अत: कम्पनी...

होशियारपुर(अमरेन्द्र): ‘चंडीगढ़ रोड पर स्थित क्वांटम पेपर मिल में काम करने वाले मेरे बेटे ओंकार सिंह की मौत कम्पनी के कर्मचारियों व अधिकारियों की लापरवाही से हुई है। मैं नहीं चाहता कि मेरी ही तरह किसी और बाप को बेटे की मौत का संताप झेलने को मजबूर होना पड़े। अत: कम्पनी वाले खुद इस मामले में लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ कार्रवाई करें।’ 

उक्त मार्मिक फरियाद मंगलवार को प्रैस क्लब में टूटोमजारा गांव के रहने वाले दम्पति चमनलाल व गुरमीत कौर ने मीडिया को संबोधित करते हुए की। उन्होंने कहा कि मुझे कम्पनी से कोई मुआवजा नहीं चाहिए। पिछले डेढ़ साल दौरान उनके 1 बेटे की मौत सड़क हादसे में पहले ही हो चुकी है वहीं दूसरे बेटे की मौत उक्त कम्पनी की तरफ से बरती लापरवाही की वजह से हो गई, जिस वजह से हम टूट गए हैं।
कम्पनी ने कोई लापरवाही नहीं बरती

जब इस संबंध में क्वांटम पेपर मिल के सीनियर मैनेजर मट्टू राम यादव से पूछा गया तो उन्होंने सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि कम्पनी की तरफ से इस मामले में कोई लापरवाही नहीं बरती गई। 17 नवम्बर को ड्यूटी के पश्चात जब ओंकार ने खुद कहा कि उसका इलाज जे.डी. अस्पताल में चल रहा है तो कम्पनी के नुमाइंदे ने उसके घरवालों को सूचना देते हुए उसे अस्पताल पहुंचाया था। 

मीडिया के समक्ष लगाई इंसाफ की गुहार
जापान से लौटे चमनलाल ने रोते हुए कहा कि मेरे 27 वर्षीय बेटे ओंकार सिंह ने 7 महीने पहले ही उक्त कम्पनी में बतौर कम्प्यूटर क्लर्क काम शुरू किया था। 16 नवम्बर 2017 को वह रोजाना की ही तरह रात के समय राजी-खुशी ड्यूटी करने निकला था। रात 12 बजे उसकी तबीयत बिगडऩे पर कम्पनी के लोग एम्बुलैंस में उसे जैजों रोड पर स्थित एक निजी अस्पताल के बाहर उतारकर गायब हो गए। सुबह जब पता चला तो घर के लोग ओंकार को लेकर दूसरे निजी अस्पतालों का चक्कर लगाते हुए 18 को पी.जी.आई. चंडीगढ़ पहुंचे जहां 19 की रात 2 बजे के करीब उसकी मौत हो गई। चमनलाल ने रोते हुए कहा कि जापान से आने में मुझे देर हो गई, तब तक मेरे बेटे की मौत हो चुकी थी। यदि कम्पनी वालों ने केयर की होती तो मेरा बेटा आज जिन्दा होता।

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