सरकार की अनदेखी का शिकार हो रहा है यह सरकारी स्कूल

Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Nov, 2017 10:10 AM

this government school is being victimized by the government  s ignorance

केन्द्र सरकार ने 7 वर्ष पहले एक विशेष योजना अधीन पंजाब के 22 जिलों में शैक्षिक पक्ष से पिछड़े क्षेत्रों में 27 व सरकारी मॉडल व आदर्श स्कूल खुलवाए थे ताकि ग्रामीण क्षेत्रों के अनदेखे किए जा चुके बच्चे अंग्रेजी माध्यम की पढ़ाई कर सकें व जिंदगी में कुछ...

श्री मुक्तसर साहिब (तनेजा): केन्द्र सरकार ने 7 वर्ष पहले एक विशेष योजना अधीन पंजाब के 22 जिलों में शैक्षिक पक्ष से पिछड़े क्षेत्रों में 27 व सरकारी मॉडल व आदर्श स्कूल खुलवाए थे ताकि ग्रामीण क्षेत्रों के अनदेखे किए जा चुके बच्चे अंग्रेजी माध्यम की पढ़ाई कर सकें व जिंदगी में कुछ बन सकें। उल्लेखनीय है कि इन 27 स्कूलों में 11 हजार बच्चे सी.बी.एस.ई. की पढ़ाई कर रहे हैं।

पंजाब के गरीब लोग जो ग्रामीण क्षेत्र से संबंधित हैं, के बच्चों को अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाई करवाने का सपना पूरा होता दिखाई नहीं दे रहा व इन बच्चों का भविष्य दाव पर है, क्योंकि समय की सरकारों ने स्कूलों को अनदेखा किया हुआ है। इसकी मिसाल इस क्षेत्र के बड़े गांव भागसर में चलाए जा रहे सरकारी मॉडल स्कूल से मिलती है। वर्ष 2010 में उस समय के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने इस स्कूल का नींव पत्थर रखा था जबकि वर्ष 2011 में सुखबीर सिंह बादल ने इस स्कूल का उद्घाटन किया था।

केन्द्र सरकार की सहायता प्राप्त इस स्कूल में अध्यापकों के 50 प्रतिशत पद खाली पड़े हैं जबकि 300 के करीब विद्यार्थी विभिन्न गांवों में विद्या प्राप्त कर रहे हैं परंतु सरकार व विभाग द्वारा इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया। जिसका  बुरा असर बच्चों की पढ़ाई पर पड़ रहा हैं। जबकि बातें शिक्षा के मियार को ऊंचा उठाने की, की जा रही हैं। 

बच्चों के अभिभावकों को सभी काम अपने बलबूते पर ही करने पड़ते हैं
सरकार का लक्ष्य था कि मॉडल स्कूलों के बच्चों से कोई फीस नहीं ली जाएगी, नि:शुल्क किताबें दी जाएंगी, नि:शुल्क वर्दियां मुहैया करवाई जाएंगी। लड़कियों के रहने के लिए नि:शुल्क होस्टल का प्रबंध होगा। बच्चों के आने-जाने के लिए नि:शुल्क बसें मुहैया करवाई जाएंगी परंतु सरकार ने बच्चों की फीसों को छोड़कर एक भी वायदा पूरा नहीं किया। सरकार द्वारा तो सिर्फ इन स्कूलों की इमारतें ही खड़ी की गई हैं। बाकी कोई सुविधा मुहैया नहीं करवाई गई। बच्चों के अभिभावकों को सभी काम अपने बलबूते पर ही करने पड़ते हैं।

25 पदों में से 13 पड़े हैं खाली
पंजाब केसरी द्वारा जब आज उक्त स्कूल में जाकर पड़ताल की गई तो पता चला कि यहां अध्यापकों के कुल 25 पद मंजूर हैं परंतु प्रिंसीपल सहित 13 अध्यापकों के पद यहां खाली पड़े हैं। जिस कारण बच्चों की पढ़ाई पर बुरा असर पड़ रहा है व परिणाम भी सहीं नहीं आते। जहां प्रिंसीपल नहीं, वहां क्लर्क भी नहीं है। पूरा कार्य अध्यापिका को ही करना पड़ता है। 

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