Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Dec, 2017 09:20 AM
2018 के बाद चंडीगढ़ में कार रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी तरह से बदलने वाली है। अगर आपको कार चाहिए तो पहले सर्टीफिकेट ऑफ इंटाइटलमैंट (सी.ओ.ई.) देना होगा। यानी आपको यह प्रमाण देना होगा कि कार रखने के लिए आपके पास पूरा स्पेस है।
चंडीगढ़ : 2018 के बाद चंडीगढ़ में कार रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी तरह से बदलने वाली है। अगर आपको कार चाहिए तो पहले सर्टीफिकेट ऑफ इंटाइटलमैंट (सी.ओ.ई.) देना होगा। यानी आपको यह प्रमाण देना होगा कि कार रखने के लिए आपके पास पूरा स्पेस है। शहर में बढ़ रहे वाहनों की संख्या और कम होती पार्किंग स्पेस को देखते हुए यू.टी. के डिपार्टमैंट ऑफ अर्बन प्लानिंग ने यह नया नियम ड्राफ्ट पार्किंग पॉलिसी में शामिल किया है। यह पॉलिसी रैजीडैंशियल एरिया के लिए तैयार की गई है। हालांकि इसमें गांव का आबादी एरिया शामिल नहीं होगा। यही नहीं रैजीडैंशियल एरिया में पार्किंग की परेशानी को कम करने और सड़कों में ट्रैफिक के प्रैशर को कम करने के लिए भी एक नया प्रावधान किया गया है।
प्रशासन ने सुझाव और ऑब्जैक्शन मांगे
अगर आपके पास एक कार है और दूसरी कार खरीदना चाहते हैं तो रोड टैक्स भी कई गुना बढ़ जाएगा। अगर दूसरी कार की कीमत 10 लाख रुपए है तो कार की आधी कीमत का रोड टैक्स भरना होगा। इसके साथ ही व्हीकल ऑनर को यह भी बताना होगा कि उसके पास पार्किंग स्पेस मौजूद है। अब प्रशासन ने इसके लिए लोगों के सुझाव और ऑब्जैक्शन मांगे हैं।
पीक आवर्स में बढ़ेंगे पार्किंग के चार्जिस
कंजैशन प्राइसिंग का कांसैप्ट चंडीगढ़ में पहली बार लाया जाएगा। इस कांसैप्ट की शुरूआत सैक्टर-17, 22, 35 और 43 से की जाएगी। इस कांसैप्ट को वी.1/वी.-2/वी.-3/वी.-4 रोड्स में लागू किया जाएगा। इसके अतिरिक्त इंडस्ट्रीयल एरिया फेज-1 और फेज-2 को भी इसी कांसैप्ट के तहत लाया जाएगा। खास बात यह है कि पीक आवर्स में इनपीक आवर्स में बढ़ेंगे पार्किंग के चार्जिस सड़कों में पार्किंग स्पेस का इस्तेमाल करने पर अधिक चार्ज देना पड़ेगा। ड्राफ्ट में यह समय सुबह 9 से 12 और शाम 5 से 8 बजे तक का तय किया गया है। रैजीडैंशियल एरिया में मोड़ पर वाहन पार्क करना गैर-कानूनी होगा। दरअसल टॄनग प्वाइंट्स में एमरजैंसी व्हीकल्स/फायर ट्रक्स को गुजरने के लिए पूरी स्पेस देनी होगी जिसके लिए टर्निग प्वाइंट्स से 15 मीटर की दूरी तक कोई भी व्हीकल पार्क नहीं किया जा सकेगा। यह नियम वी.-4, वी.-5 और वी.-6 रोड्स के लिए होगा। इंटर-सैक्शन में नो पार्किंग जोन को साफ तौर से मार्क किया जाएगा।
पॉलिसी में सी.ओ.ई. के लिए ऑक्शन की प्रक्रिया शुरू करने का फैसला लिया गया है। बिड में सफल होने वाले को ही रजिस्ट्रेशन और कार रखने की अनुमति दी जाएगी। सक्सैसफुल बिडर को भी यह मोहलत केवल 10 साल के लिए ही मिलेगी। यानी 10 साल तक व्हीकल को रखने और उसे इस्तेमाल करने के लिए परमीशन दी जाएगी। 1 जनवरी के बाद जितनी भी कारें खरीदी जाएंगी, उनके लिए यह सिस्टम अनिवार्य कर दिया गया है। जिस समय डिमांड अधिक होगी तो सी.ओ.ई. की वैल्यू भी अधिक हो जाएगी। इससे कार की वैल्यू भी अपने आप बढ़ जाएगी। ड्राफ्ट में यह भी सिफारिश की गई है कि सी.ओ.ई. को हर तिमाही में रिवाइज किया जाएगा। यह फैसला शहर में कारों की कैपेसिटी पर निर्भर होगा।
कम्युनिटी पार्किंग के लिए किराया
रैजीडैंट्स वैल्फेयर एसोसिएशन (आर.डब्ल्यू.ए.) को भी अहम जिम्मेदारी दी जाएगी। हरेक सब-सैक्टर में कम्युनिटी पार्किंग शुरू की जाएगी जिसके अंतर्गत नेबरहुड, कमर्शियल और इंस्टीच्यूशनल पार्किंग स्पेस आएगी। यह पार्किंग स्पेस इस्तेमाल करने के लिए किराया भी देना पड़ेगा। इन पार्किंग स्पेस को आर.डब्ल्यू.ए. की तरफ से मैनेज किया जाएगा।
ग्रीन एरिया में नहीं पार्क होंगे व्हीकल
ग्रीन एरिया में अब कोई भी वाहन पार्क नहीं हो पाएंगे, न ही इन्हें किसी भी तरह से बदला जा सकेगा। प्रशासन ने बताया है कि इसकी वजह से पर्यावरण को नुक्सान पहुंच सकता है। बच्चों की हैल्थ के लिए भी यह सिस्टम हानिकारक साबित हो सकता है।
इंडस्ट्रीज और कंपनियों को स्टाफ बस जरूरी
जिन इंडस्ट्रीयल/आई.टी. कंपनियों में कर्मचारियों की संख्या 50 से अधिक हो, उन्हें स्टाफ बस रखना अनिवार्य किया जाएगा। अगर किसी इंडस्ट्री या कंपनी के बाहर वहां काम करने वाले किसी कर्मचारी की कार पार्क होती है तो उस पर 1000 रुपए का जुर्माना लगेगा।
बाहरी राज्यों से रजिस्टर्ड व्हीकल्स की 50 प्रतिशत ज्यादा फीस
बाहरी राज्यों से रजिस्टर्ड व्हीकल्स को शहर में पार्किंग की 50 प्रतिशत अधिक फीस चुकानी पड़ सकती है। हालांकि इसमें पंजाब और हरियाणा के व्हीकल्स शामिल नहीं होंगे। इसके साथ ही उन रैजीडैंशियल मरला हाऊसिज को प्रॉपर्टी टैक्स में 50 प्रतिशत की छूट दी जाएगी जिनके अपने घर में प्राइवेट पार्किंग की पूरी स्पेस होगी।