Edited By Punjab Kesari,Updated: 16 Dec, 2017 10:49 AM
बाघापुराना क्षेत्र की नहरों, सूओं, रजबाहों पर बने पुलों की दयनीय हालत तथा टूटे एंगलों के कारण पुलों पर घटित हो रहे विभिन्न हादसों में मानवीय जिंदगियां दांव पर लग रही हैं। वहीं हादसों के शिकार कई लोग जिंदगी भर के लिए अपाहिज हो गए हैं, लेकिन संबंधित...
बाघापुराना(चुटानी): बाघापुराना क्षेत्र की नहरों, सूओं, रजबाहों पर बने पुलों की दयनीय हालत तथा टूटे एंगलों के कारण पुलों पर घटित हो रहे विभिन्न हादसों में मानवीय जिंदगियां दांव पर लग रही हैं। वहीं हादसों के शिकार कई लोग जिंदगी भर के लिए अपाहिज हो गए हैं, लेकिन संबंधित विभाग गहरी नींद में सोया हुआ है तथा उसकी नजर इस बड़ी समस्या की ओर अभी तक नहीं पड़ी।
ऐसे दयनीय पुलों की मुरम्मत तथा नवनिर्माण के लिए गांवों के क्लबों, पंचायतों तथा यहां आए दिन गुजरने वाले राहगीरों द्वारा अखबारी तथा जुबानी अपील करके बार-बार संबंधित अधिकारियों को अवगत करवाया गया, लेकिन किसी की भी आंख नहीं खुली।
इस क्षेत्र के आधे से अधिक पुलों की हालत दयनीय बनी हुई है। कई पुल तो ऐसे हैं, जिनकी सीमा पूरी हुए अनेक वर्ष बीत गए हैं, जबकि गांव वैरोके, कोटला मेहर सिंह वाला तथा संगतपुरा-समाध भाई की नहरों पर अंग्रेज शासन में बने पुल की निर्धारित उम्र 100 वर्ष बीत चुकी है। इन पुलों की ईंटें भी क्षतिग्रस्त होकर गिर रही हैं, इन पर कभी भी कोई बड़ा हादसा घटित हो सकता है।
गांव मंडीरा वाला की नहर पर पुल की खस्ता हालत के सुधार के लिए गांव का बाबा मुरली दास क्लब ही आखिर आगे आया, जिसने अपने प्रयास से मुरम्मत की। इसी तरह गांव लधाईके तथा माड़ी मुस्तफा में गुजरते सूए के पुलों की मुरम्मत गांव वैरोके के भाई दरबारी दास गुरुद्वारा ट्रस्ट द्वारा करवाई गई।
गांव रोडे में भी घटित बड़े हादसे उपरांत गांव के लोगों ने ही सुए के पुल की मुरम्मत करवाई। ऐसे पुलों की दयनीय हालत से ङ्क्षचतित लोगों तथा पंचायतों द्वारा की गई अपीलों का विभाग पर कोई असर न होने कारण लोग तीव्र संघर्ष के रास्ते में दिखाए दे रहे हैं। विभिन्न पुल कई विभागों के अंतर्गत आते हैं। मंडी बोर्ड कुल 22 पुलों की देखरेख कर रहा है, जबकि लोक निर्माण विभाग 15 पुलों की मुरम्मत तथा नवनिर्माण के लिए जिम्मेदार है।