Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Nov, 2017 03:12 PM
सर्दी का मौसम शुरू होते ही लोग गर्म कपड़े खरीदने लगते हैं, वहीं कंबल, रजाइयां आदि निकालने व नए खरीदने का सिलसिला शुरू हो जाता है। इस बार कंबल व रजाइयों खरीदने में लोगों का रूझान ज्यादातर फाइबर की बनी रजाइयों की ओर है।
अमृतसर (कक्कड़): सर्दी का मौसम शुरू होते ही लोग गर्म कपड़े खरीदने लगते हैं, वहीं कंबल, रजाइयां आदि निकालने व नए खरीदने का सिलसिला शुरू हो जाता है। इस बार कंबल व रजाइयों खरीदने में लोगों का रूझान ज्यादातर फाइबर की बनी रजाइयों की ओर है। वहीं ऐसे भी लोग हैं, जो अपने सामने तैयार की गई रूई की रजाइयां खरीदने को अधिमान देते हैं। रजाइयों के बाजार में ड्रैगन यानि फाइबर की रजाइयों का प्रभाव ज्यादा है, जो देखने में सुंदर व वजन में भी हल्की हैं और आसानी से सिमट जाती हैं। दूसरी ओर मध्यमवर्गीय लोग जिनका बजट ऐसी रजाइयों व भारी कंबलों के लिए नहीं होता, वे अपनी पुरानी रजाइयों में नई रूई डालकर सर्दी के मौसम में प्रयोग हेतु तैयार कर लेते हैं।
इस संबंध में नगर के विभिन्न रूई की पिंजाई करने वाले स्थानों पर पुरानी रजाइयों में नई रूई भरवाने का काम जोर-शोर से चल रहा है। बेशक फाइबर बाजार में हावी हो चुका है व लोगों को पसंद भी आ रहा है, लेकिन फिर भी रूई की पिंजाई करने वालों के पास मध्यमवर्गीय लोग रजाइयों के लिए पहुंच रहे हैं। कुछ रूई की पिंजाई करने वालों का यह भी कहना है कि फाइबर की रजाई-तलाई मार्कीट में आने से उनका कारोबार बहुत ज्यादा प्रभावित हुआ है। वर्ष में मात्र 3 माह चलने वला कार्य भी ड्रैगन के मुंह में चला गया है।
क्या कहते हैं रूई की पिंजाई करने वाले
रूई की पिंजाई करने वालों का कहना है कि हमारे काम में हाथ की कारीगरी से रूई को अलग-अलग किया जाता है। यदि रजाई में रूई पूरी न हो तो नई रूई डाल कर पर्याप्त रजाई बना दी जाती है, वहीं रजाइयों का काम करने वाले कारीगरों का भी यही कहना है कि देश में हर व्यापार और कारोबार पर ड्रैगन हावी हो रहा है। विगत कुछ वर्षों से फाइबर को रजाइयां-तलाइयां, कंबल मार्कीट में आने से रूई पींजने वालों का कारोबार बुरी तरह प्रभावित हुआ है और पीढिय़ों से चला आ रहा यह काम बंद होने की कगार पर है।