Edited By Punjab Kesari,Updated: 19 Dec, 2017 07:31 AM
आजादी के 70 वर्षों बाद किसी दूल्हे को अपनी दुल्हन को विवाह कर लाने में इतनी मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ा होगा, जितना रावी दरिया के पार बसे गांवों के दूल्हों को करना पड़ता है। गौरतलब है कि हलका दीनानगर के मकौड़ा पत्तन पर बने पैंटून पुल का हिस्सा...
गुरदासपुर(दीपक): आजादी के 70 वर्षों बाद किसी दूल्हे को अपनी दुल्हन को विवाह कर लाने में इतनी मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ा होगा, जितना रावी दरिया के पार बसे गांवों के दूल्हों को करना पड़ता है। गौरतलब है कि हलका दीनानगर के मकौड़ा पत्तन पर बने पैंटून पुल का हिस्सा पानी के तेज बहाव से टूट गया था जिसके कारण ये गांव देश से फिर कट गए। गत दिवस विवाह करने के लिए जाने वाले दूल्हे बलविंद्र कुमार का गांव एक तरफ तो उसकी दुल्हन का गांव दरिया की दूसरी तरफ था जिस कारण दूल्हे को बारात सहित खस्ताहाल बेड़ी में जान जोखिम में डाल कर दुल्हन को विवाह कर लाना पड़ा।
आजादी के 70 वर्षों के बाद भी इन गांवों की किस्मत बदलने की बात शायद ही कोई करता हो। जिला गुरदासपुर व पठानकोट के दर्जन के करीब गांवों का यही हाल है। सियासी अनदेखी के शिकार हुए ये लोग बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं तथा इनको भय है कि आने वाले समय में उनके गांवों में लोग लड़की देने से भी इंकार न कर देंगे।