सुनाम नहीं, सुनाम ऊधम सिंह वाला रेलवे स्टेशन कहिए जनाब

Edited By Punjab Kesari,Updated: 17 Nov, 2017 08:59 AM

tell me sunam udham singh railway station

शकों के लम्बे संघर्ष के बाद देश के लिए शहादत देने वाले शहीद ऊधम सिंह के पैतृक शहर सुनाम के रेलवे स्टेशन को आखिर वकील व सामाजिक कार्यकर्ताओं की सरकार से जद्दोजहद के चलते शहीद के नाम की पहचान मिल गई है और सुबह सामाजिक व सूचना अधिकार कार्यकत्र्ता व...

सुनाम ऊधम सिंह वाला (मंगला): दशकों के लम्बे संघर्ष के बाद देश के लिए शहादत देने वाले शहीद ऊधम सिंह के पैतृक शहर सुनाम के रेलवे स्टेशन को आखिर वकील व सामाजिक कार्यकर्ताओं की सरकार से जद्दोजहद के चलते शहीद के नाम की पहचान मिल गई है और सुबह सामाजिक व सूचना अधिकार कार्यकर्ता व अन्य लोगों की मौजूदगी में सुनाम रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर सुनाम ऊधम सिंह वाला कर दिया गया है। रेलवे अधिकारियों ने इस संंबंध में सप्ताह पहले अधिसूचना जारी कर दी थी।

गौरतलब है कि पिछले 11 वर्षों से रेलवे स्टेशन का नाम शहीद के नाम पर करवाने की कोशिश चल रही थी। तत्कालीन राज्य सरकार ने 25 जनवरी 2006 को शहर के नाम को सुनाम ऊधम सिंह वाला करने के बदलने के लिए एक अधिसूचना जारी कर दी थी लेकिन इस मामले को रेलवे के साथ ठीक से तालमेल नहीं किया, जिससे काफी देरी हुई लेकिन जब राज्य सरकार रेलवे के साथ सही तरीके से मामला नहीं उठा पाई तो इतिहासकार राकेश कुमार व सामाजिक व सूचना अधिकार कार्यकत्र्ता जतिंद्र जैन पंजाब व हरियाणा के चंडीगढ़ स्थित वकील एच.सी. अरोड़ा ने इसके लिए 2006 में प्रयास शुरू किए थे। जैन ने कहा कि हम नियमित रूप से रेलवे स्टेशन के साथ इस मामले के लिए तालमेल कर रहे हैं। नाम बदलवाने का श्रेय कोई भी ले लेकिन हमने अपना सामाजिक फर्ज अदा कर दिया है। जैन ने कहा कि हिंदी में ऊधम सिंह के नाम में रेलवे की ओर से छोटा उ डाल दिया है जोकि गलत है, नाम को ठीक करवाने के फिर से प्रयास किए जाएंगे। उधर रेलवे स्टेशन पर शहीद ऊधम सिंह का नाम लिखे जाने से शहीद के परिजनों के साथ शहर में खुशी की लहर है। 


‘शहीद ऊधम सिंह अमर रहे’ के लगे नारे
देश के महान शहीद ऊधम सिंह के नाम से जाने जाते शहर सुनाम के रेलवे स्टेशन पर आज सुनाम ऊधम सिंह वाला लिखने पर जहां शहीद के परिजनों ने खुशी जताई वहीं केन्द्र सरकार द्वारा राज्य सरकार के कई विभागों को शहीद के नाम पर न लिखे जाने के चलते रोष जताया। शहीद के परिजन हरदयाल सिंह ने बताया कि कई वर्षों से स्थानीय शहर का नाम शहीद के नाम पर लिखे जाने के लिए संघर्ष चलता आ रहा था लेकिन आज जाकर यहां बोर्ड पर शहीद का नाम लिखा गया है। शहीद ऊधम सिंह यादगार कमेटी के केसर सिंह ने कहा कि स्थानीय शहर में कई बार शहीद के नाम पर म्यूजियम व मैमोरियल बनाने को कहा गया पर अभी तक बना नहीं। पूर्व उप चेयरमैन मंडी बोर्ड रविन्द्र चीमा ने कहा कि पहले स्थानीय वासियों को शहर के बारे में पहचान बतानी पड़ती थी। अब नाम लिखे जाने से पहचान बताने की जरूरत नहीं है। इस मौके पर सुरिन्द्र सिंह, जंगीर सिंह, अजमेर सिंह, रानी कौर आदि मौजूद थे।

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