Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Jan, 2018 10:40 AM
पिछले कई सालों से किसान फसलों की औसत लागत में 50 प्रतिशत मुनाफा जोड़कर एम.एस.पी. तय करने की मांग कर रहे हैं। डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन कमीशन की रिपोर्ट के मुताबिक यह मांग किसानों की ओर से उठाई जा रही है। यह मांग 2014 के लोकसभा चुनावों के अवसर पर अच्छे...
जालंधर(बुलंद): पिछले कई सालों से किसान फसलों की औसत लागत में 50 प्रतिशत मुनाफा जोड़कर एम.एस.पी. तय करने की मांग कर रहे हैं। डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन कमीशन की रिपोर्ट के मुताबिक यह मांग किसानों की ओर से उठाई जा रही है। यह मांग 2014 के लोकसभा चुनावों के अवसर पर अच्छे दिन आने वाले के नारे में भी जोड़ी गई थी कि भाजपा सरकार के सत्ता में आते ही स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू की जाएगी, लेकिन सत्ता संभालते ही मोदी सरकार इस वायदे से भाग रही है। यही नहीं इस वायदे से किसानों का ध्यान हटाने के लिए 2022 तक खेती आमदन दोगुनी करने का संकल्प भी प्रधानमंत्री ने लिया। इस कार्य के लिए भी स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिशों को ध्यान में रखकर अलग-अलग राज्यों में कृषि हित योजनाएं लागू करनी चाहिएं। मोदी सरकार के कार्यकाल के इस अंतिम वर्ष किसानों ने उम्मीद जताई है कि सरकार स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू करने के साथ-साथ किसानों की आमदन दोगुनी करने के उपाय भी इस बजट सत्र में सुझाए।
केंद्र सरकार को चाहिए कि देश की किसानी को अगर डूबने से बचाना है तो उसके लिए संसद में खेतीबाड़ी के लिए अलग से बजट पेश किया जाए। इस बजट में किसानों की समस्याओं को सामने रख कर फंड रखे जाने चाहिएं। किसानों को कर्जे की मार से मुक्त करने के लिए खास योजनाबंदी लागू की जानी चाहिए।
-अजमेर सिंह लक्खोवाल, प्रधान भाकियू लक्खोवाल
भारत सरकार को कार्पोरेट वर्ग का छोड़ किसान वर्ग का हाथ थामना चाहिए क्योंकि देश का किसान वर्ग लगातार पछड़ता जा रहा है। भारत को अमरीका के पीछे लगकर डब्ल्यू.टी.ओ. के पीछे नहीं लगना चाहिए और इससे बाहर हो जाना चाहिए। वर्ना एम.एस.पी. बंद करनी पड़ेगी और देश का किसान बर्बाद हो जाएगा।
-बलबीर सिंह राजेवाल प्रधान, भाकियू राजेवाल
केंद्र सरकार बजट में किसानों को कुदरती आपदाओं के कारण हुए नुक्सान का उचित मुआवजा निर्धारित करे। किसानों की फसलों का वाजिब मूल्य दिया जाए और आत्महत्याओं को मजबूर हो चुके किसानों के लिए एक खास हैल्पलाइन हर जिले में चलाई जाए ताकि किसान जान देने की बजाए कर्जा उतारने में सक्षम हो सके।
-सरूप सिंह, किसान नेता