Edited By Punjab Kesari,Updated: 20 Jan, 2018 12:10 PM
सुरेश कुमार प्रकरण का मास्टर माइंड कौन है? पर्दे के पीछे कौन खेल खेल रहा है और वह कौन है जो इस मामले को तूल देने की कोशिश कर रहा है। ऐसे कुछ सवाल जवाब मांग रहे हैं। शक की सुई एक नौकरशाह आई.ए.एस. अधिकारी की तरफ जा रही है। ऐसी चर्चा है कि इस प्रकरण के...
जालंधर(राकेश बहल): सुरेश कुमार प्रकरण का मास्टर माइंड कौन है? पर्दे के पीछे कौन खेल खेल रहा है और वह कौन है जो इस मामले को तूल देने की कोशिश कर रहा है। ऐसे कुछ सवाल जवाब मांग रहे हैं। शक की सुई एक नौकरशाह आई.ए.एस. अधिकारी की तरफ जा रही है। ऐसी चर्चा है कि इस प्रकरण के पीछे इसी का दिमाग है। कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के मुख्यमंत्री बनते ही इस अधिकारी को बड़े पद से हटा कर साइड लाइन कर दिया गया। हालांकि सत्ता बदलने पर इसका साइड लाइन होना पहले से ही तय था लेकिन जिस तरह से साइड लाइन किया गया वह इस अधिकारी को हजम नहीं हुआ।
साइड लाइन करने के बाद इसको एक प्रभावहीन पद दे दिया गया। इसके बाद से ही यह अधिकारी मौके की तलाश में था। जैसे ही हाईकोर्ट में सुरेश कुमार को लेकर पटीशन दायर की गई, उक्त अधिकारी को नुक्सान पहुंचाने का मौका मिल गया। उक्त अधिकारी ने ही बाद में वे सारे दस्तावेज तैयार करवाने में मदद की जिनके आधार पर कोर्ट में नियुक्ति को रद्द किया गया। इस काम में इसकी मदद एक पुराने रिटायर्ड पुलिस अफसर ने भी की जो कि कभी सी.एम. कै. अमरेन्द्र सिंह का खासम-खास थे लेकिन वर्तमान में इसकी भी सी.एम.ओ. में चल नहीं रही थी। सूत्रों की मानें तो यह अफसर पुलिस तबादलों में हस्तक्षेप करता था लेकिन सुरेश कुमार ने इसको ऐसा करने नहीं दिया। इस कारण सुरेश कुमार इसकी आंखों मे खटकने लग गए। इन दोनों के अलावा पर्दे के पीछे एक और अहम पावरफुल किरदार ने सुरेश कुमार के खिलाफ काम किया। इसकी 2 लिस्टों को सुरेश कुमार ने पास नहीं किया था। इस बात को लेकर इसकी सुरेश कुमार से तानातनी हो गई थी।
अपील करने या नहीं करने का फैसला सरकार का
सुरेश कुमार ने अपने खिलाफ हाईकोर्ट में पटीशन दायर होने के बाद ही सी.एम. कै. अमरेन्द्र सिंह को अपना इस्तीफा सौंप दिया। यह साफ कर दिया था कि वह इस केस की पैरवी खुद नहीं करेंगे। इस बार भी वह अपने पुराने स्टैंड पर कायम हैं। वह साफ कर चुके हैं कि इसकी अपील करने या न करने का फैसला सरकार को करना है।
सरकार को क्या हो सकता नुक्सान
सुरेश कुमार की प्रशासन पर काफी पकड़ है। अपने 10 महीने के कार्यकाल में उन पर कोई भी आरोप नहीं लगा है। कैप्टन ने अपना सारा काम उन पर छोड़ा हुआ था। ऐसे में उनके जाने के बाद सरकार का काम प्रभावित हो सकता है।
चुनाव घोषणा पत्र के वायदों को लागू करवाने की रणनीति
विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी ने जो घोषणा-पत्र तैयार किया था उस घोषणा-पत्र को लागू करवाने की रणनीति सुरेश कुमार ने बनाई थी। किसानों को कर्ज माफी की प्लानिंग में भी सुरेश कुमार का बड़ा योगदान है। चुनाव में किए दूसरों वादों को पूरे करने की प्लानिंग भी तैयार कर रहे थे। इसके साथ ही इंडस्ट्रीयल पॉलिसी और एक्साइड पॉलिसी सहित पॉलिसी मेकिंग का काम सुरेश कुमार ही करते थे।