Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Nov, 2017 09:57 PM
शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष तथा पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने वीरवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजे एक पत्र द्वारा कहा कि वह उन शरारती तत्वों की साम्प्रदायिक तनाव पैदा करने की कोशिशों को तुरंत कंट्रोल करें जो दयाल सिंह ईवनिंग कालेज...
चंडीगढ़(पराशर): शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष तथा पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने वीरवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजे एक पत्र द्वारा कहा कि वह उन शरारती तत्वों की साम्प्रदायिक तनाव पैदा करने की कोशिशों को तुरंत कंट्रोल करें जो दयाल सिंह ईवनिंग कालेज दिल्ली का नाम वंदे मातरम् कालेज रखना चाहते हैं।
प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखकर उन्होंने कहा कि राष्ट्र निर्माता दयाल सिंह मजीठिया के नाम पर बने दयाल सिंह कालेज का नाम बदलने का अनावश्यक व खतरनाक विवाद हमारे देश की लोकतांत्रिक व धर्मनिरपेक्ष कद्रों-कीमतों पर बदनुमा धब्बा लगाएगा। देश में ऐसी अनगिनत संस्थाएं हैं जो शहीद भगत सिंह, महात्मा गांधी और अन्य हस्तियों के नाम पर चल रही हैं तथा कोई भी इनका नाम बदलकर वंदे मातरम् रखने का सोच नहीं सकता। कोई व्यक्ति सिर्फ शरारत करने के लिए ही ऐसे कदम को जायज ठहरा सकता है।
सुखबीर ने कहा कि दयाल सिंह एक बहुत ही महान देशभक्त और दानी व्यक्ति थे, जिन्होंने 1895 में एक एजुकेशनल ट्रस्ट की स्थापना के लिए अपनी एस्टेट दान में दे दी थी। दयाल सिंह कालेज की स्थापना 1910 में लाहौर में हुई थी। विभाजन के पश्चात दयाल सिंह कालेज करनाल व दिल्ली में बन गया था। 1959 में इस कालेज ने दिल्ली यूनिवर्सिटी की एक सहयोगी कालेज के तौर पर राजधानी में काम करना शुरू कर दिया था और बाद में 1978 में दिल्ली यूनिवर्सिटी ने इस कालेज को अपने अधीन ले लिया।
अकाली नेता ने कहा कि कालेज के सभी रिकार्ड दयाल सिंह ट्रस्ट के नाम पर हैं। इसके बाद 22 जून, 1978 को दयाल सिंह कालेज ट्रस्ट सोसायटी और दिल्ली यूनिवर्सिटी में हुई ट्रांसफर डीड में यह फैसला लिया गया कि यूनिवर्सिटी अधीन लिए जाने के बाद भी इस संस्था का नाम यही रहेगा। गवर्निंग बॉडी द्वारा दयाल सिंह कालेज का नाम वंदे मातरम् रखना इस क्लॉज की उल्लंघना है।