Edited By Punjab Kesari,Updated: 04 Nov, 2017 09:48 AM
पठानकोट से जोगिंद्रनगर की ओर जाने वाली नैरोगेज ट्रेनों को 40 वर्ष पहले स्टीम इंजन के जरिए हिमाचल की पहाडिय़ों की ओर रवाना किया जाता था, जिसके चलते टाय ट्रेन के आगे व पीछे वाले हिस्से पर 2 स्टीम इंजन लगाकर ट्रेन को रवाना किया जाता था।
पठानकोट(आदित्य, शारदा): पठानकोट से जोगिंद्रनगर की ओर जाने वाली नैरोगेज ट्रेनों को 40 वर्ष पहले स्टीम इंजन के जरिए हिमाचल की पहाडिय़ों की ओर रवाना किया जाता था, जिसके चलते टाय ट्रेन के आगे व पीछे वाले हिस्से पर 2 स्टीम इंजन लगाकर ट्रेन को रवाना किया जाता था।
ऐसे में 1977 को रेलवे की ओर से डीजल इंजन के प्रचलन के चलते उक्त नैरोगेज ट्रैक पर जाने वाली ट्रेन के साथ डीजल इंजन को जोड़ते हुए स्टीम इंजन का प्रचलन बंद कर दिया था। आज उसी परम्परा को फिर से चलाने की मुहिम के तहत रेलवे की ओर से नैरोगेज ट्रैक पर स्टीम इंजन को दौड़ा कर ट्रायल लिया गया, जिसके साथ 2 बोगियां भी लगाई गई थीं, लेकिन उक्त इंजन एक क्रासिंग फाटक क्रास करने के बाद ही हांफ गया, जिसके चलते इंजन बीच ट्रैक पर काली माता मंदिर के पास खड़ा हो गया। ऐसे में ढांगू रोड पर बने फाटक को जोकि बंद किया जा चुका था, के कारण उक्त सड़क पर वाहनों की आवाजाही कम से कम थम-सी गई।
स्टीम इंजन खराब होने के चलते 50 मिनट देरी से चली 52467 नम्बर ट्रेन
अधिकारियों ने बताया कि स्टीम इंजन की खराबी के चलते व्यस्त रेलवे ट्रैक को देखते हुए पठानकोट से जोङ्क्षगद्रनगर की ओर जाने वाली 52467 नम्बर ट्रेन लगभग 50 मिनट देरी से रवाना हुई।
टूरिजम को बढ़ावा देने हेतु स्टीम इंजन का ट्रायल करवाया गया
ए.डी.एन.ई जङ्क्षतद्र देव ने कहा कि हिमाचल प्रदेश की हसीन वादियों की ओर जाने वाली टाय ट्रेन में स्टीम इंजन लगा कर पर्यटकों को आकॢषत किए जाने हेतु स्टीम इंजन चलाने की योजना है। उन्होंने कहा कि ऐसा पर्यटकों की संख्या देखकर अगली रणनीति तैयार होगी।