Edited By Punjab Kesari,Updated: 01 Nov, 2017 05:08 PM
किसानों द्वारा धड़ल्ले से जलाई जा रही धान की पराली के कारण आसमान पर धुएं की चादर चढ़ गई है। गत 2-3 दिनों से छाई इस धुंध के कारण पूरा दिन सूर्य नहीं निकल पा रहा। धुएं के इस गुब्बार के कारण लोगों को आंखों व सांस संबंधी दिक्कतें भी आ रही हैं। गौरतलब है...
बठिंडा(विजय): किसानों द्वारा धड़ल्ले से जलाई जा रही धान की पराली के कारण आसमान पर धुएं की चादर चढ़ गई है। गत 2-3 दिनों से छाई इस धुंध के कारण पूरा दिन सूर्य नहीं निकल पा रहा। धुएं के इस गुब्बार के कारण लोगों को आंखों व सांस संबंधी दिक्कतें भी आ रही हैं। गौरतलब है कि नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की ओर से हर साल पराली जलाने के कारण पैदा होने वाले प्रदूषण को देखते हुए इस बार पंजाब सरकार को इस समस्या का उचित निपटारा करने के निर्देश दिए गए थे।
इसके चलते पंजाब सरकार की ओर से किसानों पर सख्ती की गई। जिला स्तर पर टीमों का गठन किया गया, जो पराली जलाने वाले किसानों पर लगातार नजर रख रही हैं। जिले में अब तक पराली को आग लगाने के 1500 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं व संबंधित किसानों के खिलाफ प्रशासन की ओर से बनती कार्रवाई भी की जा रही है, लेकिन इस सबके बावजूद पराली जलाने का काम भी लगातार चल रहा है।
बठिंडा के अलावा धान उत्पादक जिलों मानसा, मुक्तसर, पटियाला, फिरोजपुर, तरनतारन, फरीदकोट, लुधियाना, फतेहगढ़ साहिब आदि में भी पराली जलाने के हजारों मामले सामने आ चुके हैं। पूरे पंजाब में अब तक करीब 20 हजार मामले पराली जलाने के सामने आ चुके हैं जिनमें संबंधित प्रशासन कार्रवाई कर रहा है। पटियाला में पराली जलाने के 1907, फिरोजपुर में 1782, तरनतारन में 1637, संगरूर में 1619, मुक्तसर में 1420, फरीदकोट में 1310, लुधियाना में 1076, मानसा में 970 व फतेहगढ़ साहिब में 775 मामले सामने आ चुके हैं। इस बारे में कृषि विभाग के डायरैक्टर जसबीर सिंह ने कहा कि पराली का उचित निपटारा एक गंभीर समस्या है। अधिकांश किसान इसे आग लगाने को ही तरजीह देते हैं।