Edited By Punjab Kesari,Updated: 11 Nov, 2017 10:10 AM
केंद्र सरकार के अधीन चल रहे पुष्पा गुजराल साइंस सिटी में कुछ उच्चाधिकारियों की मिलीभगत से चल रहे टिकट घोटाले में सस्पैंड किए गए दोनों मुलाजिमों को केस दर्ज करने के बाद भी पुलिस गिरफ्तार नहीं कर पाई है। केस दर्ज करने के बाद पुलिस ने साइंस सिटी टिकट...
जालंधर(रविंदर शर्मा): केंद्र सरकार के अधीन चल रहे पुष्पा गुजराल साइंस सिटी में कुछ उच्चाधिकारियों की मिलीभगत से चल रहे टिकट घोटाले में सस्पैंड किए गए दोनों मुलाजिमों को केस दर्ज करने के बाद भी पुलिस गिरफ्तार नहीं कर पाई है। केस दर्ज करने के बाद पुलिस ने साइंस सिटी टिकट घोटाले से संबंधित सारा रिकार्ड
अपने कब्जे में ले लिया है। पुलिस अब अपने स्तर पर टिकट घोटाले में शामिल मुलाजिमों के अलावा अधिकारियों की भूमिका की भी जांच कर सकती है।
पंजाब केसरी ने पूरे खेल में अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए थे जिसके बाद पुलिस हरकत में आई। एस.एस.पी. संदीप शर्मा का कहना है कि डी.सी. के दिशा-निर्देश के बाद पूरे मामले में केस दर्ज कर अब अपने स्तर पर जांच शुरू कर दी गई है। पंजाब केसरी ने जुलाई महीने में ही इस घोटाले का पर्दाफाश किया था। इसके बाद डी.सी. कपूरथला ने इस मामले में जांच कमेटी बिठा दी थी। 4 महीने तक चली जांच के बाद साइंस सिटी के टिकट क्लर्क सुनील खन्ना व गुरप्रीत सिंह को दोषी ठहराया गया था। बताया गया कि दोनों कम्प्यूटर हार्डवेयर से छेड़छाड़ कर एक ही बार कोड की 2-2 टिकटें निकाला करते थे और यह गोरखधंधा पिछले कई वर्षों से चल रहा था। हैरानी की बात यह रही कि पंजाब केसरी के खुलासा करने और जांच कमेटी बैठने के बाद भी इन्हीं कम्प्यूटर से ही टिकट जारी होती रही। जून, 2017 में साइंस सिटी के मुलाजिमों ने ही एक बार कोड की 2 टिकटें पकड़ी थीं जिसके बाद मामला सामने आया था।
हालांकि शुरूआती दौर में इस घोटाले को दबाने का कई तरह के प्रयास किए गए थे मगर कुछ ईमानदार अधिकारियों के कारण मामला दब नहीं सका और डी.सी. ने पूरे मामले में जांच कमेटी बिठा दी थी। घोटाले की जांच डिप्टी जनरल मैनेजर सारिज बातिश, फाइनैंस मैनेजर डा. मनीष सिंगला, साइंटिस्ट डा. मनीष कुमार, साइंटिस्ट डा. रितेश पाठक और साइंटिस्ट बी.एस. भल्ला को सौंपी गई थी। इस जांच कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर डी.सी. कपूरथला मोहम्मद तैयब ने दोनों मुलाजिमों को सस्पैंड कर केस दर्ज करने की सिफारिश की थी।