Edited By Punjab Kesari,Updated: 09 Nov, 2017 07:50 AM
जनवरी 2016 में पंजाब में शुरू हुए टारगेट हत्याओं के मामलों को सुलझाने में लगी पंजाब पुलिस के लिए पेशेवर हत्यारों द्वारा आर.एस.एस. कार्यकत्र्ता रविंद्र गोसाईं की हत्या में उपयोग किया गया चोरी का मोटरसाइकिल, जोकि लाडोवाल के पास से मिला था, असल में...
लुधियाना (पंकज): जनवरी 2016 में पंजाब में शुरू हुए टारगेट हत्याओं के मामलों को सुलझाने में लगी पंजाब पुलिस के लिए पेशेवर हत्यारों द्वारा आर.एस.एस. कार्यकर्ता रविंद्र गोसाईं की हत्या में उपयोग किया गया चोरी का मोटरसाइकिल, जोकि लाडोवाल के पास से मिला था, असल में वरदान साबित हुआ है। 8 हाई-प्रोफाइल हत्याओं में यह पहली बार हुआ था कि हत्यारे अपने पीछे मोटरसाइकिल जैसा अहम सुराग छोड़कर गए थे। बस इसी को लेकर जांच में जुटी पुलिस व अन्य एजैंसियां आखिरकार सफलता के दरवाजे पर जा पहुंचीं।
सीमा पर बैठे आतंकी ग्रुपों द्वारा साम्प्रदायिक तनाव पैदा करने के लिए पंजाब में सरगर्म गैंगस्टरों से सम्पर्क साधकर की गई हिंसक गतिविधियों की शुरूआत जनवरी 2016 में किदवई नगर में आर.एस.एस. द्वारा शहीदी पार्क में लगाई जाने वाली शाखा के संचालक पर गोली चलाने से हुई थी। इसके बाद शिवसेना नेता अमित अरोड़ा पर भी इसी तरह कातिलाना हमला हुआ था परंतु गोली उसे छूकर निकल गई थी। दोनों घटनाओं में हमलावरों की असफलता तय साजिश के चलते थी, ताकि हिन्दू नेताओं में खौफ पैदा किया जाए या फिर निशाना बनने से चूके कार्यकत्र्ताओं की किस्मत ने उनका साथ दिया। इस सवाल का जवाब शीघ्र सामने आ जाएगा परंतु इसके बाद शुरू हुआ हत्याओं का दौर थमने को तैयार ही नहीं था। सभी हत्याओं में दोपहिया वाहन के पीछे बैठा हत्यारा जिस सटीकता से फायरिंग करता था, उससे साफ था कि वह प्रोफैशनल शूटर है।
अलग मॉडल का मोटरसाइकिल बना सहायक
हत्यारों द्वारा आर.एस.एस. कार्यकर्ता रविंद्र गोसाईं की हत्या के दौरान उपयोग किया गया काले-पीले रंग के मॉडल वाला मोटरसाइकिल पुलिस के लिए सबसे सहायक सिद्ध हुआ। वारदात उपरांत जब पुलिस को लाडोवाल से मोटरसाइकिल बरामद हुआ। मिल्लरगंज इलाके से मोहित नामक युवक का चोरी हुआ मोटरसाइकिल खुद को शातिर मान रहे हत्यारों के लिए काल साबित हुआ। पुलिस ने इसे चुराने वाले की फुटेज निकालकर सार्वजनिक कर दी, जिसके बाद परतें खुलती चली गईं।
लंबे समय बाद रखे ईनाम
पंजाब में जब आतंकवाद का काला दौर था, तब पंजाब पुलिस कुख्यात आतंकियों पर नकद ईनाम घोषित करती थी। आतंकी की सूचना देने वाले को ईनाम की राशि दी जाती थी परंतु आतंकवाद के खात्मे उपरांत ऐसा पहली बार हुआ कि हर हाईप्रोफाइल हत्या के बाद पुलिस को हत्यारों की जानकारी देने वाले को 5 से 50 लाख का नकद ईनाम व सब-इंस्पैक्टर की नौकरी देने की घोषणा करनी पड़ी।