Edited By Punjab Kesari,Updated: 17 Jan, 2018 10:40 AM
सामाजिक सुरक्षा स्त्री व बाल विकास विभाग के प्रमुख सचिव काहन सिंह पन्नू व डी.सी. अमृतसर कमलदीप सिंह संघा के आदेशानुसारए.डी.सी.पी. क्राइम, लेबर विभाग, शिक्षा विभाग व बाल सुरक्षा कमेटी की तरफ से अलग-अलग स्थानों पर बाल मजदूरी रोकने के लिए छापेमारी...
अमृतसर(नीरज): सामाजिक सुरक्षा स्त्री व बाल विकास विभाग के प्रमुख सचिव काहन सिंह पन्नू व डी.सी. अमृतसर कमलदीप सिंह संघा के आदेशानुसारए.डी.सी.पी. क्राइम, लेबर विभाग, शिक्षा विभाग व बाल सुरक्षा कमेटी की तरफ से अलग-अलग स्थानों पर बाल मजदूरी रोकने के लिए छापेमारी करवाई गई, जिसमें ज्वाइंट टीम की तरफ से 7 बच्चों को मुक्त करवाया गया है।
इस संबंधी जिला बाल सुरक्षा अधिकारी मनप्रीत कौर ने बताया कि ज्वाइंट टीम की तरफ से भगतांवाला डंप, गुरुद्वारा शहीदां साहिब व आस-पास के इलाकों में छापेमारी की गई है। इस छापेमारी का उद्देश्य बच्चों को बाल मजदूरी व भीख मांगने से बचाना है। बाल मजदूरी व भीख मांगना समाज पर एक बहुत बड़ा कलंक है, जिसको खत्म करना हम सबका कर्तव्य है। आने वाले दिनों में भी विभाग की तरफ से छापेमारी का काम जारी रखा जाएगा।
बंगलादेश व अन्य राज्यों से भीख मांगने के लिए लाए जा रहे बच्चे
बाल मजदूरी व बाल भिखारियों की बात करें तो पता चलता है कि कुछ भिखारी गैंग बंगलादेश व अन्य कुछ पिछड़े राज्यों से बच्चों को अमृतसर में लाकर उनसे बाल मजदूरी व भीख मांगने का घिनौना काम करवा रहे हैं। अति गरीब घरों में रहने वाले बच्चों को तो कुछ माता-पिता ही बेच देते हैं। इन बच्चों को महानगर के प्रमुख चौक व चौराहों पर भीख मांगते हुए देखा जा सकता है।
इसके अलावा कुछ अमीर लोग अपने घरों में भी इन बच्चों से बाल मजदूरी करवाते हैं, जिनको ट्रेस कर पाना प्रशासन के लिए आसान काम नहीं है। लेबर विभाग की तरफ से व्यापारिक प्रतिष्ठानों, कारखानों व अन्य स्थलों पर रेड कर बाल मजदूरी करने वाले बच्चों को रिलीज तो करवाया जाता है, लेकिन इन बच्चों की पढ़ाई-लिखाई का खर्च व अन्य खर्चे उठाने की क्षमता विभाग में नहीं होती है। मजबूरी में कुछ माता-पिता अपने बच्चों से बाल मजदूरी करवाते हैं। लेबर विभाग चाहकर भी ऐसे बच्चों व बच्चों से मजदूरी करवाने वालों को रोक नहीं पाता है।
बाल मजदूरी व भीख मांगना मजबूरी
बाल मजदूरी व भीख मांगने वाले बच्चों के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो पता चलता है कि पंजाब में 5 हजार से ज्यादा बच्चे बाल मजदूरी व भीख मांगने के काम में लगे हुए हैं। हालांकि ऐसा काम वे विवशतावश ही करते हैं, लेकिन सरकार के लिए ऐसे बच्चों को पढ़ाना-लिखाना व समाज की मुख्य धारा के साथ जोडऩा भी एक बहुत बड़ी चुनौती है। सरकार द्वारा अलग-अलग जिलों में चाइल्ड प्रोटैक्शन होम भी बनाए गए हैं, जिनमें इन बच्चों को शरण दी जाती है, लेकिन फिलहाल परिणाम कुछ सकारात्मक नहीं आ रहे हैं। सामाजिक सुरक्षा व बाल विकास विभाग को इस काम में तेजी लाने की सख्त जरूरत है।