... वे मैं तेरी मां दी बोली हां..

Edited By Punjab Kesari,Updated: 25 Dec, 2017 12:12 PM

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पिछले कुछ सालों से पंजाब के अलग-अलग स्कूलों और कालेजों के अलावा यूनिवर्सिटियों अंदर पंजाबी भाषा के साथ संबंधित विषय पढने वाले विद्यार्थियों की संख्या लगातार कम होती जा रही है।

गुरदासपुर (हरमनप्रीत): पिछले कुछ सालों से पंजाब के अलग-अलग स्कूलों और कालेजों के अलावा यूनिवर्सिटियों अंदर पंजाबी भाषा के साथ संबंधित विषय पढने वाले विद्यार्थियों की संख्या लगातार कम होती जा रही है।

इन मामलों में स से बड़ा चिंता का विषय यह है कि सरकार की तरफ से न तो कालेजों में पंजाबी विषय पढ़ाने वाले लैक्चरारों/प्रोफैसरों की असामियां भरी जा रही हैं और न ही अलग-अलग स्थानों पर पंजाबी भाषा को लागू करवाने वाले भाषा विभाग को बचाने के लिए कोई सहृदय यत्न किए जा रहे हैं। इसके चलते फिलहाल स्थिति यह बनती जा रही है कि पंजाब में ही पंजाबियों की मां-बोली पंजाबी को पढने और लिखने का रुझान कम होता जा रहा है। 

स्कूलों में पंजाबी की हालत
पिछली अकाली-भाजपा गठजोड़ सरकार की तरफ से हर सरकारी और गैर-सरकारी स्कूल में पंजाबी विषय की पढ़ाई निश्चित रूप में करवाने के लिए सख्त कदम उठाए गए थे। इस कारण अब चाहे अलग-अलग बोर्डों के साथ संबंधित प्राइवेट स्कूलों में भी पंजाबी विषय पढ़ाया जा रहा है परन्तु बहुत से स्थानों पर यह सिर्फ खानापूर्ति तक ही सीमित है। असल में इन स्कूलों में अभी भी हिन्दी और अंग्रेजी भाषा का बोलबाला है। बहु संख्या बच्चों और उनके मां-बाप के मन में यह बात बस चुकी है कि जितनी देर फराटेदार अंग्रेजी बोलना और लिखना नहीं आता, उतनी देर अच्छी नौकरी नहीं मिल सकती। 

कालेज बढ़े, परंतु पंजाबी पढऩे वालों की संख्या कम हुई 
12वीं कक्षा के बाद कालेजों में बी.ए. और बी.एससी. के अलावा ग्रैजुएट स्तर की ओर क्लासों में पंजाब की प्रमुख यूनिवॢसटियों की तरफ से पंजाबी विषय का चुनाव करना आवश्यक है। इससे पहले पंजाबी विषय न पढऩे वाले विद्यार्थियों के लिए पंजाब हिस्ट्री एंड कल्चर विषय के हिन्दी और अंग्रेजी में इम्तिहान लेने का विकल्प था परन्तु अब ऐसे विद्यार्थियों को भी प्राथमिक पंजाबी के साथ संबंधित विषय लाजिमी तौर पर लेना पड़ता है।  इस कारण विद्यार्थियों के लिए इस लाजिमी विषय को पढऩा तो मजबूरी बन चुका है परन्तु और विषयों के चुनाव के मौके पर विद्यार्थियों में पंजाबी को इलैक्टिव विषय के तौर पर लेकर पढ़ने का रुझान कम होता जा रहा है। 

एकत्रित विवरणों के अनुसार साल 2007 के दौरान पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला के अधीन 110 कालेजों में करीब 13,725 विद्यार्थियों ने इलैक्टिव पंजाबी को लिया था परन्तु अब जब कालेजों की संख्या 278 तक पहुंच गई है तो इलैक्टिव पंजाबी विषय पढऩे वालों की संख्या कम हो कर करीब साढ़े 12 हजार रह गई है। 
इसी तरह गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी में इलैक्टिव पंजाबी पढऩे वाले कुल 12,425 विद्यार्थियों की संख्या कम हो कर 12 हजार के करीब रह गई है। पंजाब यूनिवॢसटी चंडीगढ़ के साथ संबंधित 182 कालेजों में तब 14 हजार इलैक्टिव पंजाबी पढऩे वाले थे, अब जब कालेज 196 हो गए हैं तो यह संख्या कम होकर 13 हजार के पास रह गई है। 

पंजाबी अध्यापकों और भाषा विभाग की त्रासदी
पंजाब में भाषा विभाग अपने आखिरी सांस गिन रहा है जिसके दफ्तरों में मुलाजिमों की कमी पंजाबी भाषा को बचाए रखने में रुकावट बन रही है। इस विभाग के पास 15 के करीब जिला भाषा अफसरों की असामियों पर सिर्फ 5 के करीब अफसर तैनात हैं। इसी तरह और अलग-अलग अहम असामियां भी खाली पड़ी हुई हैं। यूनिवॢसटियों और कालेजों में पंजाबी पढ़ाने वाले प्रोफैसरों की असामियों की स्थिति भी ऐसी है जिनमें अंदाजन 5000 के करीब मनजूरशुदा असामियां में से सिर्फ 1200 के करीब असामियों पर ही रैगुलर प्रोफैसर काम कर रहे हैं। जबकि कुछ स्थानों पर गैस्ट फैकल्टी लैक्चरार काम चला रहे हैं। 

 

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