पंजाब सियासतः विस्तार की बजाए घटा कैप्टन का कैबिनेट,सबसे मजबूत विकेट गिरा

Edited By Punjab Kesari,Updated: 16 Jan, 2018 01:45 PM

punjab minister rana gurjit resigns

पंजाब की सियासत में शांति की उम्मीद की ही नहीं जा सकती फिर चाहे सरकार अकालियों की हो या कांग्रेस की।

जालंधर(सोनिया गोस्वामी) : पंजाब की सियासत में शांति की उम्मीद की ही नहीं जा सकती फिर चाहे सरकार अकालियों की हो या कांग्रेस की। सरकार बनते ही लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरना तो बाद की बात विवादों में घिरना सरकारों के लिए आम बात हो गई है। अकाली सरकार बनते ही जैसे बीबी जागीर कौर को इस्तीफा देना पड़ा था उसी तरह कैप्टन सरकार बनते ही कांग्रेस कैबिनेट का सबसे मजबूत विकेट गिरा। राणा गुरजीत के इस्तीफा देने से विपक्ष की मांग जहां पूरी हुई वहीं दोआाबा को अपना एकलौता कांग्रेसी मंत्री खोना पड़ा हालांकि इस पर निर्णय सीएम अमरेंद्र सिंह और कांग्रेस के राष्टीय अध्यक्ष राहुल गांधी को लेना है। फिर भी माना जा रहा है कि कांग्रेस को अपनी छवि सुधारने के लिए उनका इस्तीफा मंजूर करना पड़ेगा।  


विधानसभा चुनाव दौरान कांग्रेस के सबसे अमीर उम्मीदवार के तौर पर उभरे चीनी व्यापारी राणा गुरजीत सिंह ने कपूरथला से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। सिंह  उत्तर प्रदेश और पंजाब में डिस्टिलरी और चीनी मिलों के मालिक भी हैं। राणा ने चुनाव दौरान पत्नी के साथ, चल-अचल संपत्ति  169.88 करोड़ रुपए घोषित किए थे। जो  2012 के 68.46 करोड़ रुपए से दोगुनी हुई। व्यापारी-से राजनेता बने गुरजीत जो हिमाचल प्रदेश से मैट्रिक पास है। राणा गुरजीत 1,941 उम्मीदवारों की सूची में सबसे ऊपर रहे ।

 

उल्लेखनीय है कि राणा गुरजीत रेत खदानों की नीलामी में अपनी की कम्पनियों को ठेकों के आबंटन को लेकर जहां लगातार सुर्खियों में बने हुए थे वहीं विपक्ष के भी निशाने पर थे। इससे सरकार की छवि पर भी असर पड़ रहा था।  हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उनके बेटे को नोटिस जारी किया है। ऐसे में सरकार को फजीहत से बचाने के लिए उन्होंने पद से इस्तीफा देने का विकल्प चुना।

 

रेत खदानों की ई नीलामी में मंत्री की कम्पनी में रसोईये के रूप में कार्यरत नेपाली मूल के अमित बहादुर ने भी अनेक बड़े ठेकेदारों को पटखनी देते हुए शहीद भगत सिंह नगर जिले में सैदपुर खुर्द गांव में लगभग साढ़े 26 करोड़ रुपए का रेत खनन का ठेका लिया था जबकि आर्थिक रूप से उसकी ऐसी हैसियत नहीं थी। कम्पनी के तीन अन्य कर्मचारियों को भी कथित तौर पर रेत खनन के ठेके मिले थे। इस प्रकरण के बाद रेत खदानों के आबंटन में घांधली होने को लेकर मंत्री और राज्य की समूची कांग्रेस सरकार विपक्षी राजनीतिक दलों आम आदमी पार्टी (आप) और शिरोमणि अकाली दल-भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) गठबंधन के निशाने पर आ गई थी। यह मामला विधानसभा में भी जोरशोर से गूंजा था जिसमें विपक्ष ने मंत्री और सरकार पर भ्रष्टाचार में संलिप्त होने के आरोप लगाए थे।

 

राणा गुरजीत का इस्तीफा ऐसे समय आया है जब मुख्यमंत्री मंत्रिमंडल विस्तार सहित अन्य मुद्दों को लेकर 16 जनवरी को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने दिल्ली में मुलाकात करने वाले हैं। इस बैठक में मंत्री के इस्तीफे को मंजूर करने तथा मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने वाले नए चेहरों को लेकर चर्चा और फैसला लिया जाएगा।

 

 

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