Edited By Punjab Kesari,Updated: 16 Nov, 2017 01:29 PM
पंजाब यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डा. बी.एस. घुम्मन ने कहा है कि हमारी सामाजिक-सांस्कृतिक और आर्थिक पृष्ठभूमि के परिप्रेक्ष्य में हम राज्य के इतिहास के सब से भयानक दौर से गुजर रहे हैं। पंजाब आज किसानों की आत्महत्याओं का केंद्र बन गया है और यह बहुत...
पटियाला(जोसन): पंजाब यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डा. बी.एस. घुम्मन ने कहा है कि हमारी सामाजिक-सांस्कृतिक और आर्थिक पृष्ठभूमि के परिप्रेक्ष्य में हम राज्य के इतिहास के सब से भयानक दौर से गुजर रहे हैं। पंजाब आज किसानों की आत्महत्याओं का केंद्र बन गया है और यह बहुत चिंताजनक स्थिति है।
वाइस चांसलर पंजाबी यूनिवर्सिटी की तरफ से ‘गांवों के लोगों द्वारा की जा रही खुदकुशियों की रोकथाम के लिए जनतक नीति बनाना’ विषय पर शुरू की गई वर्कशॉपों की लड़ी में पहली वर्कशाप मौके बोल रहे थे।उन्कहोंने हा कि किसी प्रभावी समाधान की अनुपस्थिति में इस भयानक स्थिति प्रति हमारा सांझी स्वीकृति उन ग्रामीण परिवारों, जो पीड़ित हुए हैं या इस तरह के बनने वाले खतरे में हैं, के न भरपाई योग्य नुक्सान के लिए काफी नहीं है।
डा. घुम्मन ने कहा कि आम भलाई के इस कार्य में न सिर्फ बुद्धिजीवियों परन्तु किसान यूनियन के नेताओं, गैर सरकारी संगठनों, प्रशासन और धार्मिक संगठनों को शामिल कर तुरंत समाधान के उपाय किए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार द्वारा पहले से ही लिए गए फैसले के अनुसार राजनीतिक नेताओं को सीधे तौर पर शामिल कर एक हफ्ते के अंदर निर्धारित नियमों के अनुसार नीति योजनाओं बारे सही परिभाषा देने की जरूरत है।
इस मौके डा. गिल ने कहा कि खुदकुशियां करने वालों के परिवार में खास तौर पर औरतें सब से अधिक पीड़ित हैं। उन्होंने कहा कि इस संबंध में मजदूरों की कम से कम तनख्वाह निश्चित करना एक बेहतर हल हो सकता है। उन्होंने अधिकारियों को पीड़ितों को सस्ते भाव और ग्रांट बढ़ा कर सेहत और शिक्षा की सुविधाएं प्रदान करने की अपील की। आधी-अधूरी जनतक नीतियों की ङ्क्षनदा करते डा. गिल ने इस तथ्य बारे अपनी नाराजगी जाहिर की कि एस.जी.पी.सी. पी.एस.ई.बी. में सुधार लाने की बजाय सी.बी.एस.ई. को मान्यता दे रही है।