आज से किसान संगठन जिला हैडक्वार्टरों पर करेंगे रोष प्रदर्शन

Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Nov, 2017 03:10 PM

protest by the farmer

कैप्टन अमरेंद्र सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को राज्य की सत्ता को संभाले 8 माह बीत चुके हैं परंतु अभी तक सरकार किसानों के सिर चढ़े कर्जे को माफ करने वाला अपना फैसला लागू नहीं कर सकी। जिसके चलते समूचा किसान वर्ग परेशान व निराशा के आलम में है...

श्री मुक्तसर साहिब( हरीश तनेजा): कैप्टन अमरेंद्र सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को राज्य की सत्ता को संभाले 8 माह बीत चुके हैं परंतु अभी तक सरकार किसानों के सिर चढ़े कर्जे को माफ करने वाला अपना फैसला लागू नहीं कर सकी। जिसके चलते समूचा किसान वर्ग परेशान व निराशा के आलम में है तथा सरकार के साथ किसानों की नाराजगी भी हर जगह झलक रही है, क्योंकि विधानसभा चुनाव के समय कांग्रेस ने अपने चुनाव मैनीफै स्टो में किसानों से कर्जे माफ करने का वायदा किया था। कर्जे माफी वाली बात ने राज्य के किसानों को कांग्रेस के पक्ष में वोटों डालने के लिए उकसाया व किसानों ने धड़ाधड़ पंजे के निशान वाला बटन दबा दिया।

किसानों को उम्मीद थी कि कैप्टन सरकार अपनी पहली कैबिनेट बैठक में ही किसानों के सभी कर्जे माफ करने की घोषणा कर देगी परंतु कर्जे का फंडा अभी जारी है। पहले सभी कर्जे माफ होने की बात व फिर अढ़ाई एकड़ व कभी 5 एकड़ वाले किसानों का 2 लाख तक का कर्जा माफ होने की बातें हो रही हैं। इंतजार करके किसान थक-हार गए परंतु पंजाब सरकार ने राज्य के किसानों पर चढ़े कर्जे को माफ करने वाला नोटीफिकेशन अभी तक जारी नहीं किया, जिसके चलते कैप्टन सरकार का कर्जा माफी वाला वायदा अभी पूरा नहीं हुआ।

किसान संगठनों का आरोप है कि सरकार अपने फैसले से भाग रही है व किसानों से धोखा कर रही है, जबकि मुख्यमंत्री पंजाब कैप्टन अमरेंद्र सिंह व उनका पूरा मंत्रिमंडल आज भी यही कह रहा है कि किसानों का 2 लाख तक का कर्जा माफ कर दिया गया है परंतु अगर देखा जाए तो किसानों के हाथ अभी कुछ नहीं लगा।

नहीं रुक रहा किसान आत्महत्याओं का सिलसिला
भले ही गत दस वर्षों में अकाली-भाजपा गठजोड़ के शासन काल के दौरान भी अपने सिर चढ़े कर्जे के कारण सैंकड़ों किसानों ने अपने गले में फंदा लगाकर या जहरीली दवा पीकर व सल्फास की गोलियां खाकर अपनी जीवन लीला समाप्त की थी परंतु यह सिलसिला कांग्रेस के राज में भी उसी तरह जारी है व मार्च 2017 से लेकर अब तक  अनेक किसान आत्महत्या कर चुके हैं।

समझ नहीं आ रही कर्जा माफी वाली बात
लक्खेवाली के किसान लाल सिंह बराड़, नंदगढ़ के किसान जसविंद्र सिंह व रहूडियांवाली के किसान सुखराज सिंह ने कहा कि किसानों को सरकार के कर्जे माफी वाली बात समझ ही नहीं आ रही कि कौन सा कर्जा माफ किया जाना है। सहकारी सभाओं का कर्जा माफ होगा या अन्य बैंकों से लिया गया कर्जा, क्योंकि किसानों की सारी जमीनों पर ही कर्जे वाली लाल लकीर लगी हुई है व बैंकों के पास जमीनों के नंबर हैं। अभी तो बैंक वालों को भी स्वयं यह पता नहीं कि किसका कर्जा माफ किया जाना है।

किसानों को बैंकों द्वारा नोटिस जारी
बैंकों द्वारा कर्जे की किस्तें न लौटाने वाले किसानों को नोटिस भेजे जा रहे हैं व कानूनी कार्रवाई करने के बारे में कहा जा रहा है, जिस कारण किसान निराश हैं।
 

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