Edited By Punjab Kesari,Updated: 20 Dec, 2017 09:51 AM
एक तरफ केन्द्र सरकार के बेनामी एक्ट-2016 ने बेनामी संपत्ति मालिकों में आतंक मचा रखा है तो अब पंजाब सरकार ने भी प्रॉपर्टी के लेन-देन में फ्रॉड व बेनामी संपत्तियों को ट्रेस करने के लिए एक नोटीफिकेशन जारी करके सभी जिलों के रजिस्ट्री दफ्तरों को आदेश...
अमृतसर(नीरज): एक तरफ केन्द्र सरकार के बेनामी एक्ट-2016 ने बेनामी संपत्ति मालिकों में आतंक मचा रखा है तो अब पंजाब सरकार ने भी प्रॉपर्टी के लेन-देन में फ्रॉड व बेनामी संपत्तियों को ट्रेस करने के लिए एक नोटीफिकेशन जारी करके सभी जिलों के रजिस्ट्री दफ्तरों को आदेश जारी कर दिया है कि रजिस्ट्री करते समय उसमें खरीदने व बेचने वाले का आधार कार्ड नंबर लिखा जाए और बिना आधार कार्ड नंबर रजिस्ट्री को रजिस्टर्ड न किया जाए। पंजाब सरकार की तरफ से जारी इस आदेश के बाद प्रॉपटी कारोबारियों में भय छा गया है, क्योंकि सरकार के इस फैसले से पहले से ही पतन की कगार पर खड़े प्रॉपर्टी कारोबार को डूबने में बहुत कम समय लगेगा।
जानकारी के अनुसार सैक्रेटरी रैवेन्यू पंजाब की तरफ से राज्य के सभी डिवीजनल कमिश्नरों, डिप्टी कमिश्नरों, एस.डी.एम्ज व तहसीलदारों को इस नोटीफिकेशन की कापी भेज दी गई है और रजिस्ट्री दफ्तर में तैनात तहसीलदारों व नायब तहसीलदारों ने सरकार के आदेश का पालन करना भी शुरू कर दिया है। इस आदेश का पालन करते हुए जिले की सभी तहसीलों व सब-तहसीलों में भी वसीका नवीसों ने भी जमीन-जायदाद की रजिस्ट्री करते समय जमीन खरीदने व बेचने वाले व्यक्ति का आधार कार्ड नंबर रजिस्ट्री में लिखना शुरु कर दिया है ।
बकायदा इसकी फोटो कापी भी रजिस्ट्री के साथ लगाई जा रही है। हालांकि पंजाब सरकार ने इस नोटीफिकेशन को जारी करने में यह तर्क दिया गया है कि यह कदम जमीनों की बिक्री में होने वाले फ्रॉड रोकने के लिए उठाया गया है और यह सच भी है, क्योंकि आए दिन तहसीलों में कोई न कोई फ्रॉड का केस पकड़ में आ रहा है। इसमें कोई व्यक्ति अपने हिस्से की जमीन के साथ-साथ किसी दूसरे के हिस्से की जमीन भी बेच देता है।
कई बार तहसीलों में ऐसे केस पकड़े गए हैं जिसमें कोई शातिर व्यक्ति नकली दस्तावेज तैयार कर किसी दूसरे व्यक्ति के खाली पड़े प्लाट की ही रजिस्ट्री करवा देता है और कई बार एक प्लाट की 2-2 रजिस्ट्रियां होने के मामले भी सामने आते रहे हैं। ये मामले काफी ङ्क्षहसक रूप धारण कर लेते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि नकली दस्तावेज बनाकर रजिस्ट्री हो जाती है, हालांकि इस आदेश से पहले भी रजिस्ट्री करवाते समय खरीदने व बेचने वाले का कोई न कोई आई.डी. प्रूफ लगाना जरूरी था, चाहे वह ड्राइविंग लाइसैंस की कापी हो या फिर पैन कार्ड की कापी, लेकिन इन दस्तावेजों में भी किसी न किसी प्रकार के फ्रॉड हो ही जाते हैं। लेकिन आधार कार्ड व इसके नंबर को बदलना किसी के लिए भी आसान नहीं है, हालांकि सरकार के इस फैसले का काफी विरोध भी किया जा रहा है। विरोधी पक्ष तर्क दे रहा है कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि आधार कार्ड लिंक करना सभी के लिए जरूरी नहीं है। फिलहाल इतना तय है कि पंजाब सरकार के इस कदम से प्रॉपर्टी कारोबार को तगड़ा झटका लगा है।
कलैक्टर रेट घटाए, सरकारी फीस घटाई, पर नहीं उठ सका प्रॉपर्टी कारोबार
पूर्व गठबंधन सरकार से पहले कैप्टन की ही सरकार में पंजाब में प्रॉपर्टी के कारोबार इतने बूम आया था कि हजारों लोग इस कारोबार में आकर करोड़पतिबन गए। पूर्व गठबंधन सरकार के पहले 5 वर्षों में भी पंजाब में प्रॉपर्टी कारोबार में काफी बूम रहा लेकिन बाद में पॉवर ऑफ अटॉर्नी बंद किए जाने ,फिर से शुरु किए जाने, अप्रूव्ड कालोनी के लिए सरकारी फीसों में बढ़ौतरी जैसे मामले सामने आने के बाद पूर्व गठबंधन सरकार के अंतिम दिनों में पंजाब में प्रॉपर्टी कारोबार बिल्कुल ही खत्म हो गया, जिसको कैप्टन सरकार ने मुद्दा बनाया और इसका फायदा भी मिला। कैप्टन सरकार ने सत्ता में आते ही प्रॉपर्टी कारोबार को बचाने के लिए कुछ बड़े फैसले भी लिए जिसमें 15 से 20 प्रतिशत फ्लैट कलैक्टर रेट कम कर दिए गए।
इतना ही नहीं, रजिस्ट्रेशन फीस को भी 9 प्रतिशत से कम करके 5 प्रतिशत कर दिया गया, लेकिन फिर भी आज के दिन में प्रॉपर्टी कारोबार अपने पहले वाले शबाब में वापस नहीं आ सका क्योंकि केन्द्र सरकार के वित्त मंत्रालय की तरफ से बेनामी प्रॉपर्टी ट्रेस करने के लिए बेनामी एक्ट 2016 लागू कर दिया गया, नोटबंदी शुरू कर दी गई और इसके बाद जी.एस.टी. भी लगा दिया गया, जिससे प्रॉपर्टी के लेन-देन में इन्वैस्ट काला धन बाहर हो गया। आज पंजाब सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद प्रॉपर्टी कारोबार मंदी में जा रहा है। ऊपर से रजिस्ट्री के साथ आधार कार्ड नंबर लिखना अनिवार्य करने के बाद तो यह कारोबार बिल्कुल भी खत्म हो जाएगा।
एक हजार से ज्यादा रजिस्ट्रियों की डिटेल मांग चुका है इंकम टैक्स विभाग
प्रॉपर्टी के लेन-देन में काले धन को पकडऩे के लिए इंकम टैक्स विभाग पूरी सख्ती के साथ काम कर रहा है। अभी हाल ही में इंकम टैक्स विभाग ने तहसील अमृतसर व अन्य सब-तहसीलों से एक हजार से ज्यादा रजिस्ट्रियों की डिटेल निकलवाई है, जिसको तहसीलदारों ने उपलब्ध भी करा दिया है। एक बड़े बेनामी प्रॉपर्टी के केस में यह डिटेल मांगी गई है, वैसे भी रजिस्ट्री दफ्तरों से 20 लाख रुपए से ज्यादा की रजिस्ट्रियों की डिटेल इंकम टैक्स विभाग को भेजी जाती है। इस प्रकार के मामलों में इंकम टैक्स विभाग खरीदने व बेचने वाले से उसका सोर्स ऑफ इंकम पूछ सकताहै और कार्रवाई कर सकता है।
बेनामी एक्ट के तहत अटैच हो चुकी हैं लौहारका रोड की सौ से ज्यादा प्रॉपर्टीज
प्रॉपर्टी के कारोबार में काले धन पर केन्द्र सरकार के वित्त मंत्रालय की तरफ से बेनामी एक्ट 2016 के तहत अमृतसर जिले में लौहारका रोड की 100 से ज्यादा प्रॉपर्टीज को इनकम टैक्स विभाग की तरफ से अटैच किया जा चुका है। इसमें करोड़ों रुपए की बेनामी प्रॉपर्टी को अटैच किया जा चुका है। इन प्रॉपर्टीज को जब्त करने के लिए भी नोटिस भेजे जा चुके हैं।
करोड़ों की प्रॉपर्टी का मालिक चाय वाला चर्चा में
जमीनों की बिक्री में काले धन का प्रयोग किस प्रकार से होता है, इसका पता बेनामी एक्ट के तहत ट्रेस किए गए चाय वाले से ही पता चल जाता है, जिसके नाम पर 11 एकड़ से ज्यादा करोड़ों रुपए की जमीन एक रईस स्कूल मालिक ने करवा रखी है। फिलहाल ईंकम टैक्स विभाग के बेनामी विंग की तरफ से चाय वाले व उसके मालिक के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।
आधार कार्ड को प्रॉपर्टी के साथ ङ्क्षलक करने की तरफ कदम
चर्चा में आ रहा है कि केन्द्र सरकार प्रॉपर्टी को आधार कार्ड के साथ ङ्क्षलक करने का फैसला लेने जा रही है। इसके बारे में सोशल मीडिया पर कई प्रकार की अफवाहें भी आए दिन चलती रहती हैं। फिलहाल पंजाब सरकार ने आधार कार्ड का नंबर रजिस्ट्री में दर्ज करने के आदेश जारी करने के बाद आधार कार्ड को प्रॉपर्टी के साथ ङ्क्षलक करने संबंधी अफवाहों को अमलीजामा पहनाने के रास्ते खोल दिए हैं। वैसे भी गुजरात व हिमाचल में पी.एम. मोदी की बड़ी जीत के बाद यह माना जा रहा है कि लोग नोटबंदी व जी.एस.टी. से दुखी नहीं हैं।
अपने कारिन्दों के नाम से जमीन-जायदाद बेचते हैं कुछ कालोनाइजर्स
चाहे बेनामी संपत्तियों का मामला हो या फिर जमीनों के फ्रॉड केस देखा गया है कि जहां कुछ बड़े कालोनाइजर्स पूरी ईमानदारी से पुडा से कालोनी को अप्रू्व्ड करवाकर बकायदा सारे टैक्स अदा करके जमीनों की बिक्री करते हैं और बकायदा फर्म द्वारा रजिस्ट्री करवाई जाती है। दूसरी तरफ कुछ कालोनाइजर्स ऐसे भी हैं, जो बेनामी संपत्तियों में अपना काला धन इन्वैस्ट करते हुए जब किसी जमीन-जायदाद का सौदा करते हैं तो रजिस्ट्री करते समय खुद नहीं, बल्कि अपने किसी कर्मचारी से जमीन की रजिस्ट्री करवाते हैं।
ऐसा करने में उनका लक्ष्य इंकम टैक्स विभाग की नजरों से बचना व टैक्स चोरी करना होता है। कुछ मामलों में कुछ नेताओं, बड़े-बड़े सरकारी अफसरों ने भी अपना काला धन प्रॉपर्टी में इन्वैस्ट किया है पर वे खुद सामने आने की बजाय अपने कारिन्दों के जरिए जमीन-जायदाद की बिक्री करते हैं और तगड़ा मुनाफा भी कमाते हैं। अब जमीनों की बिक्री करते समय खरीदने व बेचने वाले का आधार कार्ड नंबर रजिस्ट्री में लिखे जाने से वे कारिन्दे भी इंकम टैक्स विभाग की नजरों से बच नहीं सकेंगे, जो कुछ कालोनाइजर्स ने जमीनों की बिक्री करने के लिएतैनात किए होते हैं। 1, 2 या 4 रजिस्ट्रियों के बाद इंकम टैक्स विभाग आसानी से जमीन की बिक्री करने वाले कारिन्दे को पहचान जाएगा और बेनामी एक्ट में जवाबतलबी हो जाएगी।