Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Dec, 2017 11:41 AM
ज्वाइंट फोरम के बैनर तले होशियारपुर पावरकॉम सर्कल की विभिन्न यूनियनों के सर्कल सचिवों राकेश कुमार शर्मा, इंजीनियर लखविन्द्र सिंह मल्ली व विजय कुमार शर्मा ने पंजाब सरकार पर थर्मल प्लांट की 2,000 एकड़ जमीन कौडिय़ों के भाव बेचने की साजिश तहत थर्मल...
होशियारपुर(अमरेन्द्र): ज्वाइंट फोरम के बैनर तले होशियारपुर पावरकॉम सर्कल की विभिन्न यूनियनों के सर्कल सचिवों राकेश कुमार शर्मा, इंजीनियर लखविन्द्र सिंह मल्ली व विजय कुमार शर्मा ने पंजाब सरकार पर थर्मल प्लांट की 2,000 एकड़ जमीन कौडिय़ों के भाव बेचने की साजिश तहत थर्मल प्लांट बंद करने का आरोप लगाया।
होशियारपुर में सर्कल सचिवों की बैठक के बाद मीडिया को जानकारी देते हुए यूनियन नेताओं ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि सरकार अपने इस नादिरशाही फैसले को वापस ले अन्यथा बठिंडा थर्मल प्लांट की सभी 4 और रोपड़ थर्मल प्लांट की 2 यूनिट बंद करने की सरकार की नीति के खिलाफ 22 दिसम्बर को पावरकॉम के सभी सब-डिवीजन कार्यालयों के बाहर पावरकॉम कर्मचारी विरोध प्रदर्शन करेंगे।
3,500 कर्मचारी हो जाएंगे बेघर
यूनियन नेताओं राकेश शर्मा, विजय शर्मा व इंजी. लखविन्द्र सिंह मल्ली ने कहा कि बङ्क्षठडा थर्मल प्लांट को बंद करने से 3,500 लोग सीधे तौर पर प्रभावित होंगे वहीं प्लांट बंद होने से करोड़ों रुपए की पब्लिक प्रॉपर्टी बर्बाद हो जाएगी। उन्होंने कहा कि 2005-06 और 2012 से लेकर 2014 तक प्लांट के चारों ही यूनिटों का नवीनीकरण करने के लिए सरकार ने 716 करोड़ रुपए खर्च किए थे। 2,200 एकड़ रकबे में बने हुए उक्त प्लांट की हर रोज 1 करोड़ यूनिट बिजली पैदा करने की क्षमता है। प्लांट में 2,300 के करीब कच्चे व पक्के कर्मचारी काम कर रहे हैं।
निजी थर्मल प्लांटों को लाभ पहुंचाने का आरोप
यूनियन नेताओं ने कहा कि सरकार ने निजी थर्मल प्लांटों को लाभ पहुंचाने के मकसद से साल 2022 तक राज्य के सभी सरकारी थर्मल प्लांट बंद करने का मन बनाया हुआ है। उन्होंने कहा कि करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद प्लांट की समर्था, गुणवत्ता और मियाद में 15-20 साल का इजाफा हो चुका है। प्लांट बिल्कु ल नए जैसा बन चुका है, जिसे बंद करना किसी मूर्खता से कम नहीं। उन्होंने कहा कि पावरकॉम में आवश्यक 1,05,000 कर्मचारियों की जगह इस समय महज 37,000 कर्मचारी काम कर रहे हैं। एक अफसर की जगह खाली होते ही उसके स्थान पर तत्काल नए अफसर की तैनाती कर दी जाती है लेकिन जब बात कर्मचारियों की तैनाती की होती है तो सरकार आंखें मूंद लेती है।