PU में बिगड़े वित्तीय हालात: इस बार 250 करोड़ तक जाएगा यूनिवर्सिटी का घाटा

Edited By Punjab Kesari,Updated: 17 Nov, 2017 08:26 AM

poor financial situation in pu

पंजाबी यूनिवर्सिटी के वार्षिक बजट को लेकर औपचारिकताएं शुरू हो गई हैं। इस बार फिर से यूनिवर्सिटी का बजट घाटे वाला बनने जा रहा है। साल 2018-19 के लिए यूनिवर्सिटी बजट 250 करोड़ रुपए के करीब घाटे वाला होगा। 2016-17 में 131 करोड़ घाटे का बजट था और...

पटियाला (प्रतिभा): पंजाबी यूनिवर्सिटी के वार्षिक बजट को लेकर औपचारिकताएं शुरू हो गई हैं। इस बार फिर से यूनिवर्सिटी का बजट घाटे वाला बनने जा रहा है। साल 2018-19 के लिए यूनिवर्सिटी बजट 250 करोड़ रुपए के करीब घाटे वाला होगा। 2016-17 में 131 करोड़ घाटे का बजट था और 2017-18 में यह घाटा बढ़कर 200 करोड़ हो गया था। हालांकि अभी बजट को लेकर सभी डिपार्टमैंट्स को लैटर जारी हुए हैं। उनके खर्चे और जरूरी फंड्स के मुताबिक ही कुल बजट तैयार होगा। पर घाटे को लेकर वित्त विभाग द्वारा जो रिव्यू किया गया है, उसके मुताबिक घाटा इस बार बढ़ रहा है। फिलहाल इस घाटे की पक्की अमाऊंट आने वाले दिनों में बनाई जानी है। 

पिछले 9 साल से नहीं इंकम का कोई साधन
वित्त विभाग के बजट सैक्शन ने जो रिव्यू किया है, उसमें पिछले 10 सालों का रिकार्ड खंगाला गया है। इस रिकार्ड के मुताबिक 10 में से 9 सालों के रिकार्ड को देखा गया तो यह बात सामने आई है कि खर्चों की बढ़ौतरी लगातार होती रही लेकिन इंकम का कोई साधन सामने नहीं आया है। ऐसे में यूनिवर्सिटी के बजट में घाटा होना स्वाभाविक ही है। 9 साल में वी.सी. डा. जसपाल सिंह रहे और उनके द्वारा भी घाटे को कम करने के लिए इंकम का कोई रास्ता नहीं निकाला गया। हालांकि दावे बहुत बड़े-बड़े हुए और विशेष कमेटियां भी बनाई गईं। इन कमेटियों को इंकम के साधन बढ़ाने के लिए उनके विचार भी पूछे गए। लेकिन उनका कोई भी हल सामने नहीं आया।

9 सालों में सैमीनारों, विभागों की ही हुई बढ़ौतरी
यूनिवर्सिटी अथारिटी ने पिछले 9 सालों में जहां विभागों की गिनती बढ़ाई, वहीं सैमीनारों की बढ़ौतरी भी होती चली गई। एक सैमीनार पर लाखों रुपए खर्च आता है। जबकि इन सैमीनारों से क्या फायदे हो रहे हैं, यह बात किसी की समझ में नहीं आई। इसके अलावा विभागों के खर्च भी बढ़े ही हैं। कहने को तो नए विभाग जो बनाए गए, वो प्रोफैशनल एजुकेशन दे रहे हैं लेकिन उनकी इंकम से भी आर्थिक हालात सुधरे नहीं हैं। इतना ही नहीं यूनिवर्सिटी का सबसे बड़ा सोर्स ऑफ इंकम इंजीनियरिंग कालेज में भी इस बार हर साल की तरह ज्यादा एडमिशन नहीं हुई। ऐसे ही हालात एम.बी.ए. विभाग के भी देखने को मिले। 

इंकम का ज्यादा हिस्सा सैलरी पर हो रहा खर्च
यूनिवर्सिटी का खर्च हर साल बढ़ रहा है और यह 480 करोड़ रुपए से ज्यादा हो चुका है। जबकि इंकम के साधन कम होने की वजह से 300 करोड़ रुपए से भी कम इंकम यूनिवॢसटी को हो रही है। ऐसे में इंकम का ज्यादा हिस्सा स्टाफ, मुलाजिमों की सैलरी पर ही खर्च हो रहा है। यूनिवॢसटी के हालातों को देखते हुए पिछले साल सितम्बर में राज्य सरकार ने 50 करोड़ की स्पैशल ग्रांट भी जारी की थी। इसकी सिर्फ एक किस्त ही यूनिवर्सिटी को मिली जबकि 3 किस्तें और दी जानी थीं, जोकि सरकार ने अभी तक नहीं दीं। क्योंकि यूनिवर्सिटी अथारिटी ने सरकार की रखी शर्तों को पूरा नहीं किया। 

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