Edited By Punjab Kesari,Updated: 07 Nov, 2017 01:28 PM
नरोट जयमल सिंह तथा बमियाल इलाके में अलग-अलग स्थानों पर बनाए गए बस स्टॉप क्षतिग्रस्त होने के कारण तथा कुछ बस स्टॉपों पर पुलिस फोर्स द्वारा कब्जा करने के कारण सवारियों तथा स्कूल विद्यार्थी को बरसात तथा गर्मी के दिनों में सड़क पर ही रुक कर बसों का...
पठानकोट/बमियाल (शारदा, राकेश): नरोट जयमल सिंह तथा बमियाल इलाके में अलग-अलग स्थानों पर बनाए गए बस स्टॉप क्षतिग्रस्त होने के कारण तथा कुछ बस स्टॉपों पर पुलिस फोर्स द्वारा कब्जा करने के कारण सवारियों तथा स्कूल विद्यार्थी को बरसात तथा गर्मी के दिनों में सड़क पर ही रुक कर बसों का इंतजार करना पड़ता है।
सीमावर्ती इलाके में सांसद स्व. विनोद खन्ना जी के प्रयासों से कई स्थानों पर बस स्टॉप तैयार किए गए थे परंतु इनमें से कुछेक आम लोगों द्वारा नाजायज कब्जे किए जाने के बाद क्षतिग्रस्त हो गए तथा कुछ बस स्टॉप रिपेयर आदि न होने के कारण क्षतिग्रस्त हो गए।
इसके अलावा जो बस स्टॉप अच्छी हालत में थे उन पर पठानकोट एयरबेस हमले के बाद इलाके में तैनात की गई सैकेंड लाइन ऑफ डिफैंस की फोर्स द्वारा अधिक निर्माण करके पुलिस चौकियां तैयार कर ली गई हैं। इस तरह इन पर पुलिस प्रशासन का पूर्ण कब्जा हो चुका है जिसका खमियाजा सफर करने वाली सवारियों को भुगतना पड़ता है।
अधिकारियों की लापरवाही के कारण सरहदी जनता को नहीं मिल पाती सुविधाएं
बमियाल के चांदनी चौक में भी एक बस स्टॉप उपस्थित था जोकि रिपेयर के अभाव के कारण क्षतिग्रस्त हो गया था तथा अब उस पर सीमा सुरक्षा बल द्वारा पुलिस चौकी बना ली गई है। इसके अलावा एक बस स्टॉप कोलिया चौक में भी उपस्थित था परंतु यहां पर भी पुलिस चैक पोस्ट का निर्माण कर लिया गया है।
पंजाब पुलिस ने इस बस स्टॉप को भी पूरी तरह से अपने अधीन कर लिया है जिस कारण आने-जाने वाली सवारियों तथा स्कूल-कॉलेज के विद्याॢथयों को सड़क पर खड़े होकर ही घंटों बस का इंतजार करना पड़ता है। इसी तरह कथलौर बस स्टॉप पर भी पिछले लंबे समय तक माइङ्क्षनग धारकों का कब्जा रहा था जोकि पंजाब में माइनिंग बंद होने के बाद यह बस स्टॉप खाली हुआ था।
चिंता का विषय है कि सरहद से सटे इलाकों में लोगों के लिए सरकार द्वारा जो सुविधाएं दी जाती हैं वे सही ढंग से लोगों को उपलब्ध नहीं हो पाती हैं जिसका मूल कारण संबंधित अधिकारियों की लापरवाही हो सकता है। पुलिस द्वारा इन बस स्टॉप पर पुलिस चौकी बनाने दौरान पी.डब्ल्यू.डी. विभाग ने इस विषय पर क्यों विचार नहीं किया?