Edited By Punjab Kesari,Updated: 20 Nov, 2017 04:59 PM
पंजाब में दिसम्बर महीने में प्रस्तावित तीन शहरों के कार्पोरेशन चुनावों को देखते हुए पंजाब कांग्रेस कमेटी द्वारा अलग से चुनावी घोषणापत्र जारी नहीं किया जाएगा।
जालंधर (धवन): पंजाब में दिसम्बर महीने में प्रस्तावित तीन शहरों के कार्पोरेशन चुनावों को देखते हुए पंजाब कांग्रेस कमेटी द्वारा अलग से चुनावी घोषणापत्र जारी नहीं किया जाएगा। कांग्रेसी हलकों से पता चला है कि कार्पोरेशन चुनावों के लिए कांग्रेस द्वारा पंजाब विधानसभा चुनाव के समय तत्कालीन अध्यक्ष कैप्टन अमरेन्द्र सिंह द्वारा शहरी विकास को लेकर किए गए वायदों को आधार बनाकर ही चुनाव लड़े जाएंगे।
कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने शहरों में मास्टर प्लान के तहत गरीब बस्तियों को खत्म करने का भी वायदा किया था तथा साथ ही शहरी क्षेत्रों में शत प्रतिशत जलापूॢत व सीवरेज की सुविधाएं देना भी कांग्रेस के एजैंडे में शामिल था। शहरों की सड़कों को बेहतर बनाने की बात भी कही गई थी। शहरी विकास को लेकर सरकार ने अपनी प्रक्रिया शुरू कर दी है। मुख्यमंत्री जालंधर, पटियाला व अन्य शहरों का दौरा करके ग्रांटें ऐलान कर चुके हैं। विकास कार्यों के लिए अब टैंडर लगाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
बताया जाता है कि विधानसभा चुनाव से पूर्व कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने शहरों का मास्टर प्लान तैयार करके विकास करवाने का वायदा किया था। अभी तक तो इन शहरों में कार्पोरेशनों की कमान भाजपा व शिअद के हाथों में थी, जो पिछले समय में समाप्त हो चुकी है।
उत्तर प्रदेश में भी कार्पोरेशन चुनावों की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है तथा वहां पर सत्ताधारी भाजपा अलग से शहरों के लिए चुनावी घोषणापत्र लेकर आई है। पंजाब में अब तक अगर अतीत पर दृष्टि डाली जाए तो विधानसभा चुनाव वाले घोषणापत्र को आधार बनाकर ही पार्टी चुनाव लड़ती आ रही है। 2002 से 2007 में कैप्टन सरकार के कार्यकाल में भी कार्पोरेशन चुनाव के लिए अलग से कांग्रेस ने चुनावी घोषणापत्र जारी नहीं किया था बल्कि मुख्यमंत्री द्वारा किए गए वायदों को अमल में लाने का भरोसा देकर ही कार्पोरेशन चुनावों में जीत हासिल की थी।
अब भी पंजाब कांग्रेस पुराने फार्मूले को ही अमल में लाने जा रही है। पंजाब कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने भी इस संबंध में कहा है कि शहरों का सर्वपक्षीय विकास करने के लिए मास्टर प्लान तैयार करने जरूरी है। पूर्व शिअद सरकार के समय शहरों का समुचित ढंग से विकास नहीं हो सका था। पूर्व सरकार के समय तो पिक एंड चूज की नीति अपनाई जाती रही। कांग्रेसी कौंसलरों के वार्डों को विकास कार्यों के लिए ग्रांटें नहीं दी गई थी परन्तु कांग्रेस एक मास्टर प्लान के तहत ही शहरों का विकास करवाएगी।