ओवरलोड ट्रकों से लिंक रोड हो रहा खराब

Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 Nov, 2017 12:29 PM

overloaded trucks

अक्सर देखा जाता है कि हमारे प्रांत में जो भी कानून बनता है, उसको तुरंत तोड़ते हुए न सिर्फ उस कानून की धज्जियां उड़ाई जाती हैं बल्कि ऐसा करने वाले अपने आप पर बड़ा गर्व करते हैं। ऐसा ही एक कानून गत लम्बे अरसे से जानबूझकर तोड़ा जा रहा है जिसके चलते...

बटाला(सैंडी): अक्सर देखा जाता है कि हमारे प्रांत में जो भी कानून बनता है, उसको तुरंत तोड़ते हुए न सिर्फ उस कानून की धज्जियां उड़ाई जाती हैं बल्कि ऐसा करने वाले अपने आप पर बड़ा गर्व करते हैं। ऐसा ही एक कानून गत लम्बे अरसे से जानबूझकर तोड़ा जा रहा है जिसके चलते सरहदी जिले के ग्रामीण क्षेत्रों की सड़कें खराब होने लगी हैं।

माझा में पठानकोट एक ऐसा शहर है जहां दरिया की रेत, बजरी, गटका और ग्रेवल आदि की अनेक खड्ढे बने हुए हैं, जहां से सारा माल 4-5 जिलों में विशाल स्तर पर सप्लाई होता है। ऐसे माल की ढुलाई के लिए टिप्पर, ट्रक और ट्राले आदि का निरंतर इस्तेमाल होता है। कुछ वाहन चंद पैसे बचाने के लिए लोगों की जान से खिलवाड़ करते हुए लिंक रोड को खराब कर रहे हैं। 

टोल बचाने के लिए ट्रक हाईवे को करते हैं दरकिनार 
पुलिस जिला बटाला के बहुत से ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों ने प्रशासन और पुलिस अधिकारियों समक्ष विशाल स्तर पर मांग करते व जबरदस्त रोष जताते हुए कहा कि यदि ट्रकों, ट्रालों आदि वालों ने मनमर्जी करते हुए टोल बचाने के लिए गांवों के रास्ते ही जाना है तो फिर इतना महंगा और बड़ा रोड बनाने की क्या जरूरत थी। कानून कहता है कि ऐसे बड़े ट्रक-ट्राले नैशनल हाईवे पर चलने चाहिएं लेकिन ये लोग कानून को नजरअंदाज करते हुए टोल बचाने की खातिर गांवों की कमजोर सड़कों को खराब कर रहे हैं जिनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। 

बड़े ट्रकों कारण ग्रामीण क्षेत्रों में जानलेवा हादसे बढ़े
फतेहगढ़ चूडिय़ां, डेरा बाबा नानक, धारीवाल, बटाला और अन्य ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों ने ‘पंजाब केसरी’ के जरिए प्रशासन से विशेष मांग की कि ओवरलोड चल रहे ट्रकों और ट्रालों पर रोक लगाई जाए ताकि हमारे ग्रामीण क्षेत्रों में घटित हो रहे जानलेवा सड़क हादसों में कमी आ सके। 

जिला बटाला और गुरदासपुर की ट्रैफिक पुलिस भी नहीं दे रही ध्यान
इन हलकों के लोगों ने कहा कि यदि बटाला और गुरदासपुर की ट्रैफिक पुलिस चाहे तो रेत-बजरी वाले वाहनों को ग्रामीण क्षेत्रों की ओर जाने से मुकम्मल तौर पर रोक सकती है लेकिन या तो टै्रफिक पुलिस जानबूझकर निजी लाभ के लिए ऐसा करती है या फिर कानून तोडऩे वाले पुलिस की परवाह ही नहीं करते। 

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