Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Jan, 2018 07:22 AM
आर.टी.ए. दफ्तर में भ्रष्टाचार को लेकर आरोप लगना कोई नई बात नहीं है। मगर पिछले कुछ समय से जिस प्रकार बड़े-बड़े घोटाले सामने आ रहे हैं, उनको देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि परिवहन विभाग के अंदर कुछ कर्मचारियों को न तो किसी कानून का कोई भय है और न ही...
जालंधर (अमित): आर.टी.ए. दफ्तर में भ्रष्टाचार को लेकर आरोप लगना कोई नई बात नहीं है। मगर पिछले कुछ समय से जिस प्रकार बड़े-बड़े घोटाले सामने आ रहे हैं, उनको देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि परिवहन विभाग के अंदर कुछ कर्मचारियों को न तो किसी कानून का कोई भय है और न ही किसी अधिकारी की कोई परवाह, क्योंकि ऐसे भ्रष्ट कर्मचारियों के कारण ही आज पूरा आर.टी.ए. दफ्तर और यहां काम करने वाले सारे अधिकारी और कर्मचारी कटघरे में किसी आरोपी की भांति खड़े हुए हैं।
कुछ समय से पूरे शहर में हॉट-टॉक बने पुरानी सीरीज के छोटे नंबरों को नई गाडिय़ों के गोरखधंधे में हर रोज नए खुलासे हो रहे हैं। आर.टी.ए. दफ्तर के सूत्रों की मानें तो यह कोई छोटा मामला नहीं है, बल्कि बहुत बड़ा है। 1-2 नहीं बल्कि पूरी 64 आर.सी. ऐसी हैं, जो सारे नियम-कानून को ताक पर रखते हुए बनाई गई हैं। पूरे दफ्तर में इस बात की चर्चा जारी है कि आर.सी. का काम देखने वाले एक निजी कारिंदे जिसके पास पुरानी छोटी सीरीज के रजिस्टर हुआ करते थे ,ने अपने एक पहचान वाले एजैंट के साथ मिलकर ही इस पूरे घोटाले को अंजाम दिया। सूत्रों का कहना है कि शहर के मशहूर चुनमुन माल के पास स्थित एजैंट के दफ्तर में ही इस मास्टर प्लान को अमलीजामा पहनाया गया था।
गलत ढंग से आर.सी. जारी कर करोड़ों के किए गए वारे-न्यारे
पुरानी सीरीज के छोटे नंबर जैसे कि पी.आई.क्यू., पी.सी.यू., पी.ए.एक्स. आदि ऐसी सीरीज हैं जिनके छोटे नम्बरों की आजकल काफी डिमांड है। अमीर घरों के नौजवान अपनी महंगी लग्जरी गाडिय़ों पर ऐसे नंबर लगवाना अपनी शान समझते हैं और इसके लिए 2-3 लाख रुपए बड़े आराम से खर्च करने के लिए तैयार हो जाते हैं। इसी बात का फायदा उठाकर उक्त कारिंदे और एजैंट ने पुरानी सीरीज के नंबरों की आर.सीज गलत ढंग से जारी कर करोड़ों के वारे-न्यारे किए हैं।
मैन्युल आर.सी. बनाकर किया सारा फर्जीवाड़ा
पुरानी सीरीज के नंबरों को नई गाडिय़ों पर लगाने के लिए बड़ी चालाकी के साथ मैन्युल आर.सी. का सहारा लेकर सारा फर्जीवाड़ा किया जाता था। हालांकि नियमानुसार 2011 के पश्चात किसी भी गाड़ी की मैन्युल आर.सी. जारी ही नहीं की जा सकती है, मगर दफ्तर से गायब रजिस्टर में से नंबर लेकर मैन्युल आर.सी. जारी कर मोटे पैसे बटोरने का काम काफी देर से जारी था।
गलत आर.सीज का दफ्तर में नहीं कोई रिकार्ड
सूत्रों की मानें तो आज तक जितनी भी आर.सी. पुरानी सीरीज वाले नंबरों से जारी की गई हैं, उनमें से अधिकतर का रिकार्ड दफ्तर में मौजूद ही नहीं है, क्योंकि इस पूरे गोरखधंधे को बाहर से ही चलाया जा रहा था।
पुरानी सीरीज वाले नंबरों के साथ सड़कों पर नाजायज दौड़ रही कई गाडिय़ां
जो लोग पुरानी सीरीज वाले नंबर लगाने के चक्कर में इस घोटाले का शिकार हुए हैं उन्हें इस बात का अंदाजा भी नहीं है, कि उनकी गाडिय़ां सड़कों पर नाजायज दौड़ रही हैं, क्योंकि उनके पास मौजूद आर.सी. सही नहीं है और कानूनन वे गाड़ी को चला ही नहीं सकते।
केन्द्रीय मंत्री सांपला की गाड़ी का रिकार्ड आज तक नहीं हुआ ट्रेस
कुछ देर पहले केन्द्रीय मंत्री विजय सांपला की गाड़ी का ऐसा ही एक मामला सामने आया था, जिसमें उनकी गाड़ी नंबर की आर.सी. किसी अन्य के नाम पर थी और उसका रिकार्ड आर.टी.ए. दफ्तर में मौजूद ही नहीं था। इतना लंबा समय बीतने के बाद आज तक सांपला की गाड़ी का रिकार्ड ट्रेस नहीं हो सका , जिसका सीधा मतलब है कि आर.टी.ए. दफ्तर में बड़े स्तर पर गोलमाल हो रहा है।
गहन पड़ताल की जाए तो खुल सकते हैं कई राज
अगर इस मामले की गहन पड़ताल की जाए तो कई राज खुल सकते हैं। इस घोटाले में शामिल कई लोगों के चेहरे बेनकाब हो सकते हैं। इतना ही नहीं जिन लोगों ने अपनी गाडिय़ों पर पुरानी सीरीज के नंबर लगवाए हैं और इस काम के लिए मोटी राशि खर्च की है। अगर आर.टी.ए. दफ्तर से वैरीफिकेशन करवाते हैं, तो उन्हें पूरी सच्चाई का पता लग सकता है।
गैर- कानूनी काम करने वालों के खिलाफ होगी बनती कार्रवाई : सैक्रेटरी आर.टी.ए.
सैक्रेटरी आर.टी.ए. दरबारा सिंह ने कहा कि गल्त ढंग से मैन्युल आर.सी. जारी करना कानूनी अपराध है और ऐसे गैर- कानूनी काम करने वाले किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा। ऐसे लोगों के खिलाफ बनती कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि विजीलैंस विभाग द्वारा पुरानी सीरीज का सारा रिकार्ड अपने कब्जे में लिया जा चुका है और उनकी जांच फिलहाल जारी है। एक साथ दो इंक्वायरी नहीं की जा सकती। मगर इस मामले की गहन पड़ताल अवश्य की जाएगी।