Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Nov, 2017 09:46 AM
धान की कटाई के बाद गेहूं की बिजाई के लिए जमीन तैयार करने के लिए किसानों द्वारा बड़ी मात्रा में जलाई गई धान की पराली के धुएं के कारण वातावरण में फैलीस्मॉग की तह के कारण आए दिन घटित हो रही दुर्घटनाएं भारी नुक्सान कर रही हैं, वहीं पराली को जलाने की...
सुल्तानपुर लोधी (धीर): धान की कटाई के बाद गेहूं की बिजाई के लिए जमीन तैयार करने के लिए किसानों द्वारा बड़ी मात्रा में जलाई गई धान की पराली के धुएं के कारण वातावरण में फैलीस्मॉग की तह के कारण आए दिन घटित हो रही दुर्घटनाएं भारी नुक्सान कर रही हैं, वहीं पराली को जलाने की बदौलत फैले प्रदूषण के कारण आसमान में धुएं से लोगों को सड़कों से गुजरने में बहुत जोखिम नजर आ रहा है क्योंकि सड़कों के आसपास पराली को लगाई आग की बदौलत कुछ भी दिखाई न देने के कारण रोजाना ही दुर्घटनाएं हो रही हैं। प्रदूषण के चलते जहां लोगों का सांस लेना दूभर हो गया है, वहीं ग्रीन ट्रिब्यूनल ने धुएं के कारण फैले स्मॉग पर गहरी ङ्क्षचता प्रकट की है।
किसान भी स्मॉग से परेशान
वहीं खुद किसान भी स्मॉग के कारण बेहद परेशान नजर आ रहे हैं। धुएं की धुंध के कारण कई दिनों से धूप न लगने से किसानों को गेहूं की बिजाई में देरी हो रही है जिसका बाद में झाड़ पर असर पड़ सकता है। किसान सुरिन्द्रजीत सिंह, बलविन्द्र सिंह, गुरदीप सिंह, मनदीप सिंह, जगजीत सिंह का कहना है कि उनके द्वारा आग लगाए बिना अपने खर्च पर पराली को खेत में जोता गया था।
पराली को गलाने के लिए जमीन को पानी से भरा ताकि गेहूं की बिजाई समय तक पराली जमीन में गल जाए जिसके उपरांत जमीन को तैयार करके आसानी से जोतकर गेहूं की बिजाई की जाए लेकिन पिछले कई दिनों से स्मॉग के कारण धूप न लगने के कारण उनकी जमीन अभी तैयार नहीं हो रही जिस कारण गेहूं की बिजाई में देरी हो रही है जिसका असर झाड़ पर भी पड़ सकता है।
प्रदूषित वातावरण मानव शरीर के लिए हानिकारक
प्रसिद्ध गोल्ड मैडलिस्ट डा. अमनप्रीत सिंह का कहना है कि जहरीले वातावरण में रहकर लोग सांस, दमा, फेफड़ों, नाक, कान, गले, छाती, पेट, अलर्जी व चमड़ी के कई प्रकार के रोगों की चपेट में आ रहे हैं व ऐसा प्रदूषित वातावरण मानव शरीर के लिए बहुत घातक है।