Edited By Punjab Kesari,Updated: 02 Dec, 2017 05:00 PM
पंजाब के हिन्दू नेताओं के कत्लों संबंधी पंजाब पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए धॄमद्र सिंह गुगनी व खालिस्तानी लिब्रेशन फोर्स प्रमुख हरमिंद्र सिंह मिंटू को कई दिनों की मोगा पुलिस व बाघापुराणा पुलिस हिरासत के उपरांत 8 दिसम्बर तक ज्यूडीशियल रिमांड में भेजा...
नाभा(जैन): पंजाब के हिन्दू नेताओं के कत्लों संबंधी पंजाब पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए धॄमद्र सिंह गुगनी व खालिस्तानी लिब्रेशन फोर्स प्रमुख हरमिंद्र सिंह मिंटू को कई दिनों की मोगा पुलिस व बाघापुराणा पुलिस हिरासत के उपरांत 8 दिसम्बर तक ज्यूडीशियल रिमांड में भेजा गया है।
दूसरी तरफ पंजाब सरकार ने आर.एस.एस. नेता ब्रिगेडीयर जगदीश गगनेजा (जालंधर), रविंद्र गोसाईं (लुधियाना), शिवसेना मुखी दुर्गा दास गुप्ता (खन्ना), अमित शर्मा (लुधियाना), डेरा सच्चा सौदा हिमायती सतपाल कुमार व पुत्र रमेश (खन्ना), इसाई पादरी सुल्तान मसीह (लुधियाना) के कातिलों व लुधियाना में आर.एस.एस. शाखा किदवई नगर व अमृत अरोड़ा पर फायरिंग आदि के 7 मामले जांच के लिए राष्ट्रीय जांच एजैंसी (एन.आई.ए.) के हवाले कर दिए हैं।
वर्णनीय है कि इन हत्याओं की जांच के लिए गुगनी को नाभा जेल व मिंटू को पटियाला जेल में प्रोडक्शन वारंड पर मोगा पुलिस ने हिरासत में पिछले महीने लिया था। के.एल.एफ. चीफ मिंटू को नाभा की प्रसिद्ध मैक्सीमम सिक्योरिटी जेल में 20 दिसम्बर 2014 को लाया गया था, जहां वह जेल ब्रेक के समय 27 नवम्बर 2016 तक रहा और फरार होने के कुछ घंटे बाद ही दिल्ली पुलिस ने उसे काबू कर लिया था।
मिंटू से दिल्ली पुलिस ने रिमांड लेकर पूछताछ की जबकि जेल ब्रेक कांड से 7-8 दिनों बाद यहां मिंटू को लाकर जब अदालत में पेश किया गया तो पंजाब पुलिस को पहले मिंटू का 5 दिन का पुलिस रिमांड मिला और फिर 2 दिन का और रिमांड लिया गया था। यहां अदालत में एडवोकेट सिकंदर प्रताप सिंह ने मिंटू के केस की पैरवी की थी। मिंटू के खिलाफ थाना भोगपुर पुलिस ने 28 अगस्त 2009 व 2 अगस्त 2014 को 2 मामले दर्ज किए थे जबकि यहां 18 जनवरी और 21 फरवरी 2010 को मामले दर्ज हुए।
आदमपुर, थाना सदर पटियाला, गुरदासपुर जिला, थाना जगराओं व सुधार में भी मामले दर्ज हुए। मिंटू का यहां जेल में धॄमद्र गुगनी (गैंगस्टर) के साथ कैसे सम्पर्क हुआ अभी तक समझ से परे है। धॄमद्र गुगनी यहां लंबे समय से जिला जेल में रहा और 6 सितम्बर 2016 से लगभग 14 महीने मैक्सीमम सिक्योरिटी जेल में बंद रहा। समझा जाता है कि मिंटू व गुगनी में मैक्सीमम सिक्योरिटी जेल में 6 सितम्बर से 26 नवम्बर 2016 तक आपसी तालमेल बढ़ गया था पर खुफिया एजैंसियों को कोई भनक नहीं लगी और न ही जेल प्रबंधकों ने कोई ध्यान दिया कि दोनों 4जी इंटरनैट कैसे प्रयोग कर रहे हैं?
गुगनी के खिलाफ पहला मामला 3 नवम्बर 2011 को थाना साहनेवाल और उसके बाद 4 और पुलिस मामले 27 फरवरी 2013, 20 फरवरी 2016, 9 मार्च 2016 और 6 जुलाई 2017 को दर्ज हुए। मजे की बात है कि 4 सालों के दौरान पुलिस व सुरक्षा/खुफीया एजैंसियों ने कभी भी गुगनी पर नजर नहीं रखी। हिन्दू नेताओं के कत्ल करवाने के लिए चाहे विदेशों में साजिश रची गई पर मिंटा व गुगनी के इंटरनैट वर्क को जेल का जैमर (3जी मोबाइल) काबू नहीं कर सका। पंजाब पुलिस के डी.जी.पी. सुरेश अरोड़ा ने सारे मामलों की गंभीरता को देखते हुए टार्गेट किलिंग मामलों की उच्च स्तरीय जांच की और अब कै. अमरेंद्र सिंह चाहते हैं कि दूध का दूध पानी का पानी किया जाए।
एन.आई.ए. जांच में खुफिया एजैंसियां, पुलिस व जेल विभाग के कुछ अधिकारियों पर भी गाज गिर सकती है क्योंकि मैक्सीमम सिक्योरिटी जेल के सी.सी.टी.वी. कैमरे, करोड़ों रुपए के जैमर व सैंट्रल वॉच टावर का क्या लाभ? अगर जेल में बैठे गैंगस्टर व आतंकवादी विदेशी ताकतों के सम्पर्क में रह कर वारदातों को अंजाम देते रहे पर खुफिया एजैंसियां खामोश रहीं।हालांकि यहां खुफीया विंग के अनेक अधिकारी/मुलाजिम सिक्योरिटी जेल के कारण पिछले लंबे अरसे से तैनात हैं। आम देखने में आया है कि खुफीया तंत्र की परफार्मैंस खराब होने के कारण ही सरकारों की बदनामी होती है।