Edited By Punjab Kesari,Updated: 17 Jan, 2018 02:20 PM
नगर निगम चुनाव का बिगुल बजने के बाद से जहां एक दूसरी पार्टियों के नेताओं पर डोरे डालने का सिलसिला तेज हो गया है, वहीं सियासी पार्टियों द्वारा पुराने नेताओं की घर वापसी भी शुरू कर दी गई है। लेकिन कांग्रेस में इस मुद्दे पर घमासान मचा हुआ है क्योंकि...
लुधियाना(हितेश): नगर निगम चुनाव का बिगुल बजने के बाद से जहां एक दूसरी पार्टियों के नेताओं पर डोरे डालने का सिलसिला तेज हो गया है, वहीं सियासी पार्टियों द्वारा पुराने नेताओं की घर वापसी भी शुरू कर दी गई है। लेकिन कांग्रेस में इस मुद्दे पर घमासान मचा हुआ है क्योंकि घर वापसी की कवायद में जुटे ज्यादातर नेता उत्तरी हलका से संबंधित हैं जिनके नाम पर राकेश पांडे द्वारा किसी भी कीमत पर सहमति नहीं दी जाएगी। शायद यही वजह है कि हाईकमान की हरी झंडी मिलने के बावजूद सांसद रवनीत बिट्टू इस मामले में कोई फैसला लेने को तैयार नजर नहीं आ रहे है।
जानकारी के अनुसार घर वापसी करने को तैयार नेताओं की लिस्ट में सबसे अहम नाम मदन लाल बग्गा का है जो 2007 में कांग्रेस छोड़कर आजाद चुनाव लड़े थे और उनके द्वारा ली गई वोटों को ही राकेश पांडे की जीत में रुकावट डालने के रूप में देखा गया। फिर बग्गा अकाली दल में शामिल हो गए और व्यापारी बोर्ड के वाइस चेयरमैन के तौर पर स्टेट मिनिस्टर का दर्जा दिया गया। वह अकाली दल के जिला अध्यक्ष भी रहे लेकिन विधानसभा चुनाव में टिकट न मिलने के कारण दोबारा आजाद चुनाव लड़ा। अब कई महीनों से बग्गा के अगले कदम को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है जिसमें उनके अकाली दल में जाने के अलावा भाजपा व आम आदमी पार्टी के साथ संपर्क में होने की चर्चा सुनने को मिली जबकि बग्गा की पहल शायद कांग्रेस है जो पहले 3 बार कांग्रेस के कौंसलर रह चुके हैं।
इसके अलावा कांग्रेस में घर वापसी करने वालों में एक बड़ा नाम हेमराज अग्रवाल का भी है जो 4 बार पार्षद व विपक्ष के नेता भी रह चुके हैं लेकिन पिछला विधानसभा चुनाव उन्होंने आजाद लड़ा था। उन पर भी अकाली दल, भाजपा व बैंस ग्रुप द्वारा डोरे डाले जा रहे हैं। इसी तरह पूर्व पार्षद कृष्ण खरबंदा भी कांग्रेस में आना चाहते हैं उनका परिवार पुराना कांग्रेसी है और उनके भाई के पास कांग्रेस में पद भी है। लेकिन पिछला नगर निगम चुनाव आजाद लड़कर जीता था और बाद में बग्गा के खेमे में शामिल हो गए। अब खरबंदा को कांग्रेस में शामिल करने के लिए संगरूर से विधायक विजयइंद्र सिंगला द्वारा सिफारिश की जा रही है। कांग्रेस में शामिल होने के लिए जोर लगाने वालों में डिम्पल राणा का नाम भी सुनने को मिल रहा है। वो पहले जिला यूथ के प्रधान रहे है और लोकसभा चुनाव में अकाली दल के साथ चले गए थे जिन्होंने विधानसभा चुनाव के दौरान बग्गा की मदद की ओर कुछ दिन पहले ही शिवसेना में शामिल हुए हैं। बताया जाता है इन सब नेताओं को कांग्रेस में वापस लेने के लिए पंजाब प्रधान सुनील जाखड़ ने तो सहमति दे दी है लेकिन आखिरी फैसला रवनीत बिट्टू पर छोड़ दिया है और उनको पांडे के नाराज होने का डर सता रहा है, क्योंकि इन सब नेताओं ने विधानसभा चुनाव में पांडे का खुलेआम विरोध किया था और अब पांडे द्वारा इन नेताओं को शामिल करने की सहमति देना मुश्किल नजर आ रहा है। इसके संकेत पहले ही खरबंदा के वार्ड के जनरल से एस.सी. कैटेगरी के लिए रिजर्व होने से मिल चुके हैं।