Edited By Punjab Kesari,Updated: 25 Nov, 2017 12:40 PM
पंजाब भर के सरकारी स्कूलों में जो मिड-डे मील वर्कर्ज बच्चों के लिए मिड-डे मील योजना अधीन दोपहर का खाना बना रही हैं, वे समय की सरकारों की गलत नीतियों का शिकार हो रही हैं परंतु उनकी बात सुनने वाला कोई भी नहीं है जबकि अपना अधिकार लेने के लिए ये मिड-डे...
श्री मुक्तसर साहिब (तनेजा): पंजाब भर के सरकारी स्कूलों में जो मिड-डे मील वर्कर्ज बच्चों के लिए मिड-डे मील योजना अधीन दोपहर का खाना बना रही हैं, वे समय की सरकारों की गलत नीतियों का शिकार हो रही हैं परंतु उनकी बात सुनने वाला कोई भी नहीं है जबकि अपना अधिकार लेने के लिए ये मिड-डे मील वर्कर सरकार के खिलाफ संघर्ष कर रही हैं व इनके द्वारा धरने, प्रदर्शन और रैलियां जारी हैं।
पंजाब के 22 जिलों के सरकारी स्कूलों में इस समय 44900 मिड-डे मील वर्कर्ज दोपहर का खाना बच्चों के लिए बना रही हैं और इन्हें स्कूलों में रोजाना 5-6 घंटे काम करना पड़ता है परन्तु समय की सरकारों की तरफ से इन पर कम से कम वेतन का कानून यह कह कर नहीं लागू किया जाता है कि ये पार्ट टाइम वर्कर हैं।
केवल 1200 रुपए दिया जाता था प्रति माह
सरकार की तरफ से इन मिड-डे मील वर्करों को अब तक सिर्फ 1200 रुपए प्रति माह दिया जाता था व अब पंजाब सरकार ने 500 रुपए माह और बढ़ाया, जो इन वर्करों के लिए एक मजाक है। मिड-डे मील वर्करों की मांग है कि उन्हें कम से कम 10 हजार रुपए प्रति माह दिया जाए।
आंखें मूंद कर बैठी है पंजाब सरकार
मिड-डे मील वर्कर्ज यूनियन पंजाब की अध्यक्ष लखविंद्र कौर व जिला मुक्तसर की अध्यक्ष रमनजीत कौर ने कहा है कि पंजाब सरकार मिड-डे मील कर्मियों की मांगों प्रति आंखें बंद करके बैठी है। इन कर्मियों को कोई छुट्टी तक नहीं मिलती, खतरनाक हालातों में काम करते होने के बावजूद इन कर्मियों का कोई बीमा वगैरह नहीं किया जाता न ही किसी किस्म की वर्दी दी जाती है। इनके लिए छुट्टी व वर्दी का कोई प्रबंध नहीं है।
आंखें मूंद कर बैठी है पंजाब सरकार
स्कूलों में कार्य करते मिड-डे मील वर्करों व पार्ट टाइम वर्करों को कम से कम मेहनताना कानून में लाया जाए। पार्ट टाइम सफाई वर्करों को शिक्षा विभाग के मुलाजिम मान कर पक्का किया जाए। मिड-डे मील वर्करों व पार्ट टाइम सफाई वर्करों को नियुक्ति पत्र और ई.एस.आई. की सुविधा दी जाए। साल में 10 माह की जगह 12 माह का वेतन दिया जाए। मिड-डे मील वर्करों की छंटनी बंद की जाए और छंटनी किए गए वर्करों को फिर बहाल किया जाए। इन वर्करों को हर किस्म की अचानक छुट्टियां, मैडीकल छुट्टियां व 6 माह की प्रसूति की छुट्टी दी जाए। मिड-डे मील वर्करों का कम से कम 2 लाख रुपए का बीमा किया जाए।
मिड-डे मील के लिए स्कूलों में बकाया रकम भेजी जाए : डैमोक्रेटिक मुलाजिम फैडरेशन
डैमोक्रेटिक मुलाजिम फैडरेशन जिला श्री मुक्तसर साहिब के अध्यक्ष पवन कुमार और राज्य कमेटी सदस्य जसविंद्र सिंह झबेलवाली ने सरकार से मांग की है कि मिड-डे मील चलाने के लिए स्कूलों में बकाया राशि भेजी जाए और आगे से समय पर पैसे भेजे जाएं।